स्विट्जरलैंड सरकार की ओर से इच्छा मृत्यु की मशीन को कानूनी मान्यता दिए जाने के बाद अब इस मशीन का इस्तेमाल ऐसे लोगों पर किया जा सकेगा, जो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और उनके बचने की उम्मीद नहीं है। इस मशीन के जरिए ऐसे लोग मौत को गले लगा सकेंगे।
-
वहीं, दूसरी ओर इस मशीन को मंजूरी मिलने के बाद कुछ लोग स्विट्जरलैंड सरकार के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उनकी दलील है कि इस निर्णय से आने वाले समय में आत्महत्या को बढ़ावा मिलेगा। इच्छा मृत्यु यानी यूथनेशिया दो तरह की होती हैं। एक, एक्टिव यूथनेशिया और दूसरी पैसिव यूथनेशिया।
एक्टिव यूथनेशिया में संबंधित व्यक्ति के जीवन का अंत सीधे तौर पर चिकित्सक की मदद से किया जाता है। वहीं, पैसिव यूथनेशिया में रिश्तेदारों और सगे-सम्बंधियों की अनुमति से चिकित्सक कोमा या गंभीर हालत में मरीज को बचाने वाले जीवनरक्षक उपकरण को धीरे-धीरे बंद करते जाते हैं और इस तरह धीरे-धीरे मरीज की मौत हो जाती है।
इस खास मशीन को बनाने वाले संगठन के मुताबिक, हमने सुसाइड पॉड के दो प्रोटोटाइप तैयार किए हैं। इसका नाम सारको रखा गया है। इसमें मरीज को सुलाया जाता है। इसके बाद एक बटन दबाया जाता है। ऐसा करने के बाद मशीन के अंदर नाइट्रोजन का लेवल बढ़ना शुरू हो जाता है और 20 सेकंड में ऑक्सीजन का लेवल 21 फीसदी से 1 फीसदी तक पहुंच जाता है। इसके परिणाम स्वरूप मरीज की 5 से 10 मिनट के अंदर मौत हो जाती है।
-
वहीं, संस्था के निदेशक डॉ. फिलीप के अनुसार, इस नई मशीन से इच्छा मृत्यु मांगने वाला मरीज पैनिक नहीं होता। अब तक इच्छा मृत्यु का तरीका अलग था। स्विट्जरलैंड में अब तक करीब 1300 लोगों को इच्छा मृत्यु दी जा चुकी है।
इस खास मशीन को मंजूरी दिए जाने से पहले स्विट्जरलैंड में अब तक इच्छा मृत्यु मांगने वाले मरीजों को लिक्विड सोडियम पेंटोबार्बिटल का इंजेक्शन दिया जाता था। इंजेक्शन देने के 2 से 5 मिनट बाद मरीज गहरी नींद में चला जाता था। इसके बाद कोमा में जाने के बाद मरीज की मौत हो जाती थी। कंपनी का कहना है, अब सुसाइड कैप्सूल की मदद से मरीज को ज्यादा आसान मौत दी जा सकेगी।