इन मछुआरों को अस्थायी नागरिकता प्रमाण पत्र दिए गए फिर इसके बाद मछुआरों को कोलंबो से चेन्नई हवाई अड्डे पर ले जाया गया। यहां पर नागरिकता सत्यापन, सीमा शुल्क जांच और दूसरी औपचारिकताएं पूरी की गईं। इसके बाद मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने उन्हें उनके घर तक छोड़ने के लिए अलग-अलग गाड़ियों का इंतजाम किया और घर पहुंचाया।
मछुआरा संघ लगातार कर रहा विरोध, केंद्र से दखल की मांग
गौर करने वाली बात ये है कि भारत के तमिलनाडु का मछुआरा संघ लगातार मछुआरों की होती गिरफ्तारी को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। मछुआरा संघ ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखकर भेजा था और बीच समुद्र में मछुआरों की नावों की जब्ती और गिरफ्तारी को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की थी क्योंकि ये मछुआरों के जीवन-यापन की आधार है।
141 भारतीय मछुआरे श्रीलंका की कैद में
इसके अलावा PMK (पट्टाली मक्कल कच्ची, तमिलनाडु की पार्टी) अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदास ने राज्यसभा में विदेश मंत्रालय से भारतीय मछुआरों की और गिरफ्तारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार से इस मुद्दे में दखल देने की मांग उठाई थी और सवाल पूछे थे। जिसके जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक रिपोर्ट पेश की थी। जिसमें कहा गया था कि 22 नवंबर 2024 तक, 141 भारतीय मछुआरे श्रीलंका की हिरासत में हैं। इनमें से 45 मछुआरे विचाराधीन हैं जबकि 96 वर्तमान में सजा काट रहे हैं। उन्हें श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग और जाफना में वाणिज्य दूतावास के जरिए कांसुलरी और कानूनी सहायता दी गई है। मछुआरों को छुड़ाने के लिए लगातार सरकार की तरफ से जो कोशिशें की जा रही हैं, जिसका नतीजा ये रहा कि सरकार ने इस साल पकड़े गए 351 मछुआरों की रिहाई और स्वदेश वापसी सुनिश्चित की है। इनके अलावा 12 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया गया है।
इसके बाद हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 4 अक्टूबर 2024 को श्रीलंका में अपनी यात्रा के दौरान श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके के साथ बैठक की थी और मछुआरों के मुद्दे पर बात की थी। यहां इस पर भी गौर करना होगा कि विदेश मंत्रालय श्रीलंका में 141 मछुआरों की गिरफ्तारी की बात कह रहा है जिसमें से कई लोगों की रिहाई भी सुनिश्चित हो गई है। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स तमिलनाडु के 504 भारतीय मछुआरों की श्रीलंका में कैद का दावा करती हैं। हालांकि इनकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
क्यों मछुआरों को गिरफ्तार कर रहा है श्रीलंका
मछुआरों की गिरफ्तारी भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमाओं और मछली पकड़ने के अधिकारों से जुड़े विवादों का नतीजा है। दरअसल भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा को “पाक जलडमरूमध्य” और “मन्नार की खाड़ी” से बांटा गया है।
कच्चातिवु द्वीप
मछुआरों की ज्यादातर गिरफ्तारी इस कच्चातिवु द्वीप के रेंज में आने पर हो जाती है। दरअसल भारत की आजादी से पहले ये द्वीप भारत के अधिकार क्षेत्र में था। इसके बाद 1974 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने श्रीलंका (India-Shri Lanka Agreement on Katchatheevu Island) के साथ एकइस पर एक समझौता किया था। इस समझौते के मुताबिक भारत सरकार ने कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका का हिस्सा माना था। ऐसे में भारतीय मछुआरों को यात्रा दस्तावेजों के बिना कच्चातिवु द्वीप तक पहुंचने की अनुमति दी गई थी। ये द्वीप हिंद महासागर के छोर पर स्थित है जो 285 एकड़ में फैला हुआ है। ये भारत के रामेश्वरम (Rameshwaram) और श्रीलंका के बीच स्थित है। इस द्वीप पर कोई नहीं रहता क्योंकि यहां पर कई ज्वालामुखी मौजूद हैं और उनमें विस्फोट होते रहते हैं। मछुआरे अनजाने में इस द्वीप तक पहुंच जाते हैं, जो श्रीलंका की जलसीमा में आ जाता है इसलिए ये गिरफ्तार हो जाते हैं।
मछली पकड़ने की तकनीक
इनके अलावा भारतीय मछुआरे अक्सर मछली पकड़ने के लिए ट्रॉलर बोट के साथ समंदर में उतरते हैं। ऐसी नावें समुद्र तल को नुकसान पहुंचाती है और श्रीलंकाई मछुआरों के संसाधनों को खतरे में डालती है। क्योंकि श्रीलंका के मछुआरे दावा करते हैं कि ये उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।