विदेश

Sheikh Hasina News: 10 बिंदुओं में समझिए बांग्लादेश का राजनीतिक इतिहास और संकट

Sheikh Hasina : 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, बांग्लादेश एक उभरता हुआ राष्ट्र बना। इसके गठन के बाद से, देश को विभिन्न राजनीतिक संकटों का सामना करना पड़ा है, जिनमें सैन्य तख्तापलट, राजनीतिक अस्थिरता और लोकतंत्र की बहाली जैसे मुद्दे प्रमुख रहे हैं।

नई दिल्लीAug 05, 2024 / 10:14 pm

Anand Mani Tripathi

Sheikh Hasina : बांग्लादेश का राजनीतिक इतिहास अत्यंत जटिल और विविधतापूर्ण रहा है। 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, बांग्लादेश एक उभरता हुआ राष्ट्र बना। इसके गठन के बाद से, देश को विभिन्न राजनीतिक संकटों का सामना करना पड़ा है, जिनमें सैन्य तख्तापलट, राजनीतिक अस्थिरता और लोकतंत्र की बहाली जैसे मुद्दे प्रमुख रहे हैं। आइए आपको 10 बिंदुओं में बताते हैं बांग्लादेश के प्रमुख राजनीतिक संकट…
1 . स्वतंत्रता और प्रारंभिक लोकतंत्र (1971-1975)

1971 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, अवामी लीग ने 1973 में पहले आम चुनाव जीते। 1975 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानी और पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद देश ने एक गंभीर राजनीतिक संकट का सामना किया
2.चार सत्तावादी शासन (1975-1990)
.शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद, खांडकर मुश्ताक अहमद ने अस्थायी अध्यक्ष के रूप (अगस्त-नवंबर 1975) में शासन किया। लेकिन उनका शासन भी अस्थिर और विवादित था।
.खांडकर मुश्ताक अहमद के इस्तीफे के बाद, न्यायमूर्ति सईम ने (नवंबर 1975-अप्रैल 1977) अस्थायी शासन संभाला, जो भी राजनीतिक अस्थिरता से मुक्त नहीं था।
.उसके बाद जियाउर्रहमान ने (अप्रैल 1977-मई 1981) एक तानाशाही शासन स्थापित किया। उसके शासनकाल में देश ने राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव का सामना किया।
.फिर हुसैन मुहम्मद इरशाद ने (मार्च 1982-दिसंबर 1990) एक अन्य सैन्य शासन की शुरुआत की, जो अंततः 1990 में समाप्त हुआ और बांग्लादेश ने लोकतंत्र की ओर वापसी की।
3 . लोकतंत्र की बहाली (1991)

1991 में न्यायाधीश शहाबुद्दीन अहमद के नेतृत्व में अस्थायी सरकार ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए। शेख हसीना की अवामी लीग और खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने प्रमुख दावेदार के रूप में चुनाव लड़ा।
4. दो दलीय शासन और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा (1991-वर्तमान)

1991 के बाद से, अवामी लीग और बीएनपी के बीच कड़ी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा जारी रही। राजनीतिक प्रतिस्पर्धा ने समाज का अत्यधिक राजनीतिकरण किया और पार्टी की तर्ज पर विभाजन को जन्म दिया।
5. 2006-2008 का राजनीतिक संकट

2006 में, बांग्लादेश में व्यापक राजनीतिक अशांति और हिंसा हुई, जिसके कारण 2007 में एक आपातकाल की स्थिति लागू की गई। सैन्य समर्थित अंतरिम सरकार ने 2008 तक शासन किया, जब अंततः चुनाव आयोजित हुए और शेख हसीना प्रधानमंत्री बनीं।
6.2013-2014 का राजनीतिक संघर्ष

वर्ष 2013 बांग्लादेश की आज़ादी के चार दशक बाद सबसे घातक वर्षों में से एक था। स्थानीय सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक हिंसा में 500 से ज़्यादा लोग मारे गए। 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया गया, जिससे राजनीतिक संघर्ष और बढ़ गया।
7.2018 का चुनावी विवाद

बांग्लादेश में दिसंबर 2018 में हुए आम चुनाव में हिंसा और धांधली के आरोप लगे। मुख्य विपक्षी दलों ने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया और विरोध प्रदर्शन किए।
8.धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा

कुछ मौकों पर, बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं हुईं, जिनमें मंदिरों और पूजा स्थलों पर हमले शामिल हैं।

9.अभी बांग्लादेश में चल रहे विरोध प्रदर्शन में भारी हिंसा हो रही है जिसमें कम से कम अभी तक 300 लोगों की मौत हो गई है।

Hindi News / world / Sheikh Hasina News: 10 बिंदुओं में समझिए बांग्लादेश का राजनीतिक इतिहास और संकट

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.