औषधियों के गुणों से भरपूर है पौधे की राल
शोधकर्ताओं के मुताबिक शेबा पेड़ एडी 993 से 1202 के बीच प्राचीन दक्षिणी लेवंट में पाया जाता था। यानी 1031 से 822 साल पहले। इसी इलाके में आज इजराइल, फिलिस्तीन और जॉर्डन हैं। बीज से पौधा विकसित करने के बाद वैज्ञानिक अब पौधे से राल (रेसिन) निकालने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। बाइबिल में इस राल को औषधियों गुणों से भरपूर बताया गया है।
प्रजाति का फिलहाल खुलासा नहीं
शेबा किस प्रजाति का पेड़ है, फिलहाल इसका खुलासा नहीं हुआ है। शोध की मुख्य लेखक साराह सेलॉन का कहना है कि सैकड़ों साल पहले ऐतिहासिक क्षेत्र गिलीड में संभवत: शेबा के कई पेड़ रहे होंगे। यह क्षेत्र पूर्वी जॉर्डन में है। बताया जाता है कि प्राचीन काल में शेबा की राल का इस्तेमाल बाम बनाने में किया जाता था।
अंतरराष्ट्रीय शोध टीम
इस शोध का नेतृत्व सारा सेलों ने किया, जो इज़राइल की राजधानी यरूशलम के नेचुरल मेडिसिन रिसर्च सेंटर की विशेषज्ञ हैं। इस टीम में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड और स्वीडन के वैज्ञानिक शामिल थे। उनके निष्कर्ष जर्नल ऑफ कम्युनिकेशन बायोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं। 1980 के दशक में, यह बीज जूडियन रेगिस्तान में एक गुफा में पाया गया था, और इस पर शोध 2010 में शुरू हुआ।
उगने और विकसित होने की प्रक्रिया
टीम ने बीज के DNA, रासायनिक संरचना और रेडियो कार्बन डेटिंग का विश्लेषण किया ताकि इसके उगने के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्धारण किया जा सके। विकास के लिए उपयुक्त परिस्थितियों का पता लगाने के बाद, बीज को मिट्टी में दबा दिया गया, जिसने सफलतापूर्वक अंकुरण किया। हालांकि, अभी तक पौधे ने फूल नहीं दिए हैं।
रेजिन के औषधीय गुण
शोधकर्ताओं का कहना है कि शेवा पेड़ प्राचीन दक्षिणी लेवेंट में AD 993 से 1202 के बीच पाया गया था, जो वर्तमान में इज़राइल, फिलिस्तीन और जॉर्डन के क्षेत्र में है। बीज से पौधा विकसित करने के बाद, वैज्ञानिक अब पौधे से रेजिन निकालने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे बाइबिल में औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है। प्रजाति की पहचान नहीं हो पाई
हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि शेबा पेड़ किस प्रजाति से संबंधित है। शोध की प्रमुख लेखिका सारा सेलों का कहना है कि इतिहास के गिलियाद क्षेत्र में कई शेवा पेड़ होने चाहिए थे, जो वर्तमान में पूर्वी
जॉर्डन में स्थित है। प्राचीन समय में, शेवा के रेजिन का उपयोग बाम बनाने के लिए किया जाता था, जो इसके ऐतिहासिक औषधीय महत्व को दर्शाता है। यह अद्भुत उपलब्धि प्राचीन वनस्पति और इसके संभावित लाभों को समझने के लिए नए रास्ते खोलती है।