किस हथियार से हमला करेंगे व्लादिमिर पुतिन
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया डेली स्टार एक रिपोर्ट एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसके मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अमेरिका-ब्रिटेन को चेतावनी दी है कि उनके पास एक नई ओरेशनिक हाइपरसोनिक मिसाइल है। टेलीग्राम पर टाइम्स ऑफ यूक्रेन चैनल ने अलर्ट जारी किया है कि पुतिन की ये मिसाइल 20 मिनट में ही ब्रिटेन पहुंच सकती है। रूस के पास इसकी कुछ ही मिसाइलें हैं लेकिन ये भी परमाणु हथियार नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक रूस के पास 5,580 परमाणु हथियार हैं। अमेरिका के पास 5,044 और ब्रिटेन के पास सिर्फ 225 परमाणु हथियार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक रूस के ब्रिटेन पर परमाणु हमले के ऐलान के बाद ब्रिटिश सेना ने बीती शनिवार रात से रविवार सुबह तक कई ड्रोन और मिसाइलें गिराईं। इसे लेकर ईरान का कहना है कि इन मिसाइलों को उन्होंने इजरायल पर दागा था। इसके अलावा, ऐसी अफ़वाहें भी उड़ी हैं कि यूक्रेन के साथ 1000 दिनों के संघर्ष के दौरान रूस में ब्रिटिश लंबी दूरी की मिसाइलें भेजी गई थीं।
‘रूस को खतरा तो अमेरिका-ब्रिटेन पर होगा परमाणु हमला’
व्लादिमिर पुतिन ने आधिकारिक तौर पर कहा कि उन्हें अपने देश को “खतरा” होने पर परमाणु हथियार का उपयोग करने की अनुमति है। वहीं ब्रिटेन यूक्रेन और इजरायल के पक्ष में है जो हमास और ईरान के खिलाफ हैं। ऐसे में, बहुत से लोगों के मन में ये सवाल कौंध रहा है कि अदर परमाणु युद्ध की जद में ब्रिटेन आया तो क्या होगा। इस रिपोर्ट में एक इंटरेक्टिव मैप ने इसका जवाब दिया है। जिसके मुताबिक ग्रेटर लंदन सबसे पहले परमाणु हमले की जद में आएगा। इसके साथ ही ब्रिटेन में 38 ऐसे शहर और कस्बे हैं, जिन्हें सरकार के रक्षा अधिकारियों ने ‘संभावित परमाणु लक्ष्य’ के तौर पर चिन्हित किया है। गौर करने वाली बात ये है कि ब्रिटेन की राजधानी लंदन का पहले और दूसरे विश्व युद्ध में भी इस्तेमाल किया जा चुका है। इसलिए ऐसी संभवनाएं जताई जा रही हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन इसे अपना पहला पड़ाव बना सकते हैं।ग्रेटर लंदन सबसे बड़ा टारगेट
ग्रेटर लंदन में 8.8 मिलियन लोग रहते हैं। ये पूरे ब्रिटेन की आबादी का लगभग 13% है। अगर लंदन के बीचोबीच कोई परमाणु हथियार गिराया जाता है, तो ये ट्राफलगर स्क्वायर में गिरेगा, जो नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी का घर है और बकिंघम पैलेस से बस कुछ ही कदम की दूरी पर है। ट्राफलगर स्क्वायर में इस बम के गिरने से इसके पास के क्लैफम, ब्रिक्सटन, किलबर्न, कैमडेन टाउन, इस्लिंगटन और हैकनी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। अगले दायरे में सरे का लगभग आधा हिस्सा आता है, एसेक्स में चेम्सफोर्ड, साउथेंड-ऑन-सी, और बकिंघमशायर का हाई वायकॉम्ब और यहां तक कि मिल्टन कीन्स का आधा हिस्सा थर्मल रेडिएशन की जद में आएगा।ब्रिटेन के ये शहर भी हो जाएंगे नष्ट
आधिकारिक न्यूकेमैप के मुताबिक मिल्टन कीन्स, ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, कोलचेस्टर, कैंटरबरी, ब्राइटन और उनके आस-पास के इलाकों को भी नुकसान पहुंच सकता है। लंदन के विनचेस्टर, उत्तरी इंग्लैंड के मैनचेस्टर, इसमें एक्लेस, ड्रोयल्सडेन, फेल्सवर्थ और स्ट्रेटफोर्ड शामिल हैं। इसके बाद मैक्लेसफील्ड, वॉरिंगटन, रोशडेल, बोल्टन, बरी, नॉर्थविच, रिप्पोंडेन और अन्य आसपास के क्षेत्र भी नष्ट होंगे। एक्रिंगटन स्टेनली, चोर्ले और बक्सटन भी इस हमले की जद में हैं। मैनचेस्टर के आस-पास के सभी प्रमुख शहर प्रेस्टन, लिवरपूल, वेकफील्ड, लीड्स, ब्रैडफोर्ड, रेक्सहैम, चेस्टर और स्टोक-ऑन-ट्रेंट पर भी काफी विनाशकारी असर होगा। हल्के विस्फोट से नॉटिंघम और उत्तरी बर्मिंघम के कुछ हिस्सों सहित मिडलैंड्स के कुछ हिस्सों में क्षति हो सकती है। वेल्स की राजधानी कार्डिफ भी इस परमाणु हमले की जद में है। इंग्लैंड के दक्षिण-पश्चिम में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। न्यूपोर्ट पर भी गहरा प्रभाव होगा। इसमें रहने वाले 700,000 लोगों की तुरंत मौत हो सकती है।
इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड सब बर्बाद
इंग्लैंड के वेस्टन-सुपर-मारे और ब्रिस्टल के बाहरी इलाके, स्वानसी, ब्रिस्टल, बाथ और वेल्स थर्मल विकिरण क्षेत्र में शामिल होंगे। इसके बाद, एक्सेटर, ग्लूसेस्टर, हियरफोर्डशायर और वॉर्सेस्टरशायर के कुछ हिस्सों में भी बम के कारण दीर्घकालिक प्रभाव देखने को मिलेंगे। यह भी माना जा रहा है कि इन इलाकों में रहने वाले लोग बम के उतरने की शुरुआती झलक भी देख सकेंगे। वहीं स्कॉटलैंड के सबसे बड़े शहर ग्लासगो पर भी परमाणु बम गिराया जा सकता है। यहां के रहने वाले लगभग 600,000 लोगों की तुरंत मौत हो जाएगी। किल्मरनॉक और बैनॉकबर्न जैसे इलाके सीमा पर स्थित हैं ऐसे में यहां परमाणु हमले का कम असर हो सकता है। लेकिन यहां के लोगों पर विकिरण का प्रभाव पड़ सकता है। स्टर्लिंग, एडिनबर्ग और डनफर्मलाइन पूरी तरह से विकिरण क्षेत्र में हैं, इसलिए ये शहर भी पूरी तरह खत्म हो सकते हैं।
जो जिंदा बचेंगे वो कैसे सर्वाइव करेंगे
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक इस परमाणु हमले के बाद जो जिंदा बचेंगे उन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को सामना करना पड़ सकता है क्योंकि 1945 में हिरोशिमा पर हुए बम विस्फोट में 140,000 लोग मारे गए थे, और नागासाकी में 74,000 लोग मारे गए थे। इसमें जिंदा बचे लोगों को कैंसर, ल्यूकेमिया हुआ और तो और कई लोगों को अनुमांशिक बीमारियां हुईं, जिन्हें उनकी वर्तमान पीढ़ी भी झेल रही है। इसके अलावा पर्यावरण प्रदूषण, वैश्विक जलवायु पर असर, परमाणु अकाल, परमाणु शीतकाल और शरणार्थी संकट समेत कई नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। ये भी पढ़ें- चीन-पाकिस्तान से निपटने के लिए तैयार भारत का ये ‘ब्रह्मास्त्र’, अमेरिका तक के छूटे पसीने