रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को रोकने के लिए दुनियाभर के देश अपील कर रहे हैं। वहीं पुतिन ने इस युद्ध के बीच ना आने की चेतावनी दी है। पुतिन ने कहा है कि जो भी बीच में आएगा उसका अंजाम बुरा होगा। अपनी इस चेतावनी के साथ ही रूस ने यूक्रेन पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागना शुरू कर दी हैं। आइए जानते हैं क्या होती है बैलिस्टिक मिसाइल और क्या है इनकी खासियत
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प्राचीन काल में युद्ध के दौरान शब्दभेदी बाण का इस्तेमाल किया जाता था। जिसको निशाना बनाना होता है बाण छोड़ते वक्त उसी का नाम लिया जाता था, कुछ ऐसा ही आधुनिक हथियार है बैलिस्टिक मिसाइल। दरअसल जब किसी प्रक्षेपास्त्र के साथ दिशा बताने वाला यंत्र लगा दिया जाता है तो वह हथियार बैलिस्टिक मिसाइल बन जाता है।
इस मिसाइल को जब अपने स्थान से छोड़ा जाता है या फिर कहें दागा जाता है तो यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर जाकर गिरता है। यह मिसाइल छोड़े जाने पर ऊपर जाते हुए यह पृथ्वी के सबसे ऊपर के वातावरण तक जाती है और फिर नीचे आती है। इस मिसाइल के इस तरह से जाने और आने के कारण ही इसे बैलिस्टिक मिसाइल कहा जाता है।
बैलिस्टिक मिसाइल की खासियत
Ballistic Missile की खासियत की बात करें तो इसकी मारक क्षमता 5000 किलोमीटर से लेकर 10000 किलोमीटर तक होती है। इस मिसाइल में जो दिशा यंत्र लगा होता है उसके कारण यह अपने प्रक्षेपण के शुरुआत में ही गाइड कर दी जाती है।
– इसके बाद जैसे यह ऊपर जाती है तो इसका निर्देश पाठ आर्बिटल मेकैनिक्स के सिद्धांतों और बैलिस्टिक्स के सिद्धांतों से निश्चित कर दिया है।
– वर्तमान समय में बैलिस्टिक मिसाइल को रासायनिक रॉकेट इंजिन के द्वारा प्रोपेल किया जाता है।
– इन मिसाइलों में बहुत बड़ी मात्रा में विस्फोटकों को ले जाने की क्षमता होती है।
– बैलिस्टिक मिसाइल अपना इंधन लेकर चलते हैं और उसमें इस्तेमाल होनेवाला ऑक्सीजन भी उनके साथ ही होता है
भारत के पास भी बैलिस्टिक मिसाइलें
भारत के पास बैलिस्टिक मिसाइलों का जखीरा है। मौजूदा समय में भारतीय सैन्य बेड़े में पृथ्वी, अग्नि और धनुष नाम की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
पहली बैलिस्टिक मिसाइल कब बनी
सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल नाजी जर्मनी ने 1930 से 1940 के मध्य में विकसित की थी। यह कार्य रॉकेट वैज्ञानिक वेन्हेर्र वॉन ब्राउन के संरक्षण और देखरेख में किया गया था।
सबसे पहले कब हुआ बैलिस्टिक का इस्तेमाल? सबसे पहले इस मिसाइल का प्रयोग फ्रांस के विरुद्ध 6 सितंबर 1944 को किया गया था और इसके तुरंत दो दिन बाद लंदन पर इसका प्रयोग किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने तक यानि 1945 वर्ष के मई मास तक बैलिस्टिक मिसाइल को 30,000 से भी ज्यादा बार प्रयोग किया गया था।
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