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Rohingya: रोहिंग्या मुसलमानों का जबरदस्त प्रदर्शन, बांग्लादेश की सड़कों पर उतरकर सरकार से उठाई ये मांग

Rohingya Muslims: रोहिंग्या शरणार्थियों के हुए इस प्रदर्शन में बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएं, हर उम्र के लोग शामिल थे।

नई दिल्लीOct 29, 2024 / 12:16 pm

Jyoti Sharma

Rohingya Muslims refugees protests

Rohingya Muslims: म्यांमार की सैन्य कार्रवाई से भागकर बांग्लादेश और भारत आए रोहिंग्या का मुद्दा फिर सिर उठाता नजर आ रहा है। इन रोहिंग्या शरणार्थियों ने अब सड़कों पर उतर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है और किसी भी हालत में म्यांमार सुरक्षित भेजने की मांग उठाई है। बांग्लादेश में म्यांमार (Myanmar) में सैन्य कार्रवाई की सातवीं सालगिरह के मौके पर बांग्लादेश में हजारों रोहिंग्या शरणार्थियों ने शिविरों में रैलियां कीं और म्यांमार में अपनी सुरक्षित वापसी की मांग की। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में हुए इस प्रदर्शन में बच्चे, बुजुर्ग महिलाएं, जवान सभी शामिल हो रहे हैं। इन्होंने अपने हाथ में बैनर ले रखे हैं जिन पर लिखा है “रोहिंग्या नरसंहार की याद।”

2017 में म्यांमार में हुई थी सैन्य कार्रवाई

बता दें कि म्यांमार में ज्यादातर मुस्लिम अल्पसंख्यक रोहिंग्या लंबे समय से पूर्वाग्रह और अंतरजातीय संघर्ष का केंद्र रहे हैं। म्यांमार में सैन्य कार्रवाई ने रोहिंग्याओं को भागने के लिए मजबूर कर दिया था। 2017 में म्यांमार की सेना के कार्रवाई शुरू करने के बाद, कम से कम 750,000 रोहिंग्या बांग्लादेश भाग गए। न्यूज एजेंसी ANI ने अल जजीरा की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि ये कार्रवाई वर्तमान में हेग में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में नरसंहार के मामले का केंद्र बिंदु है। हाल के हफ़्तों में हज़ारों रोहिंग्या पश्चिमी म्यांमार के रखाइन राज्य से बांग्लादेश भाग गए हैं, क्योंकि सैन्य तानाशाही और अराकान सेना के बीच लड़ाई बढ़ गई है, जो एक दुर्जेय जातीय सशस्त्र समूह है जो बहुसंख्यक बौद्ध आबादी के बीच भर्ती करता है।

रोहिंग्या मुसलमानों के हालात सबसे गंभीर

जब फरवरी 2021 में आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को सेना ने उखाड़ फेंका, तो म्यांमार अराजकता में फंस गया। सत्ता हथियाने के कारण सैन्य शासन के खिलाफ़ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और जब सेना ने बलपूर्वक जवाबी कार्रवाई की, तो विरोध एक सशस्त्र विद्रोह में बदल गया।
इससे पहले 22 अगस्त को, ह्यूमन राइट्स वॉच ने दावा किया था कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान 2017 के बाद से सबसे गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं। HRW के अनुसार हाल के महीनों में, म्यांमार की सेना और जातीय अराकान सेना ने रखाइन राज्य में रोहिंग्या समुदायों के खिलाफ़ सामूहिक हत्याएँ, आगजनी और गैरकानूनी भर्ती की है। 

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