भूकंप के बाद सुनामी का खतरा क्यों रहता हैं ?
दरअसल सुनामी (Tsunami) आने की संभावना उन देशों में होती है जो समुंद्र किनारे बसे होते हैं। जैसे पेरू, जापान, फिलीपींस, इंडोनेशिया। दरअसल जब इन देशों में भूकंप (Earthquake) बड़े मैग्नीट्यूड के आते हैं तब समुद्र तल के नजदीक होने के चलते भूकंप के झटकों का असर समुद्र तल पर भी पड़ता है। जिससे समुद्र तल पर अचानक और तेज़ी से परिवर्तन होता हैं इसलिए भी सुनामी आने के संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जब भूकंप समुद्र के नीचे या तटीय क्षेत्र में आता है, तो ये समुद्र तल को ऊपर या नीचे की ओर धकेल देता हैं। भूकंप के चलते टेक्टोनिक प्लेट्स में विस्थापन होता है जिससे पानी की बड़ी मात्रा हो जाती हैं और भूकंप के दौरान पैदा हुई अथाह ऊर्जा समुद्र में पानी की लहरों के रूप में ट्रांसफर होती है, जिससे सुनामी आती हैं। ये लहरें सामान्य समुद्री लहरों के मुकाबले काफी ऊंची होती हैं और बेहद तेज गति से तटों की ओर बढ़ती हैं, जिससे तटीय क्षेत्रों में विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं।
किन देशों में Earthquake के बाद आती है सुनामी
जापान एक ऐसा देश हैं जो ‘रिंग ऑफ फायर’ (भूकंप का संवेदनशील क्षेत्र) पर स्थित है और यहां अक्सर भूकंप आते हैं इसलिए इस देश में सुनामी का खतरा काफी ज्यादा रहता हैं। 2011 में जबरदस्त भूकंप के बाद भीषण सुनामी आई थी। वहीं दूसरे देशों में इंडोनेशिया, फिलीपींस, पापुआ न्यू गिनी, पश्चिमी तट अमेरिका में समुद्री भूकंपों के बाद सुनामी का खतरा ज्यादा रहता है। यहां के लोग और सरकारें इस खतरे से निपटने के लिए आपातकालीन तैयारियां करते हैं। वहीं तावनी प्रणाली इन क्षेत्रों में सुनामी के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
दुनिया में हाल ही में आए भूकंप।
1 जुलाई को तिब्बत में 4.9 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया, 2 जुलाई को सुमात्रा इंडोनेशिया में 5.3 मैग्नीट्यूड का भूकंप दर्ज किया गया और उत्तरी और दक्षिणी कैलिफोर्निया अमेरिका में कई छोटे भूकंप आए। इनमें से कुछ मैग्नीट्यूड 1.9 से 3.2 तक थे। 28 जून को पेरू में 7.2 रिक्टर स्केल का, वहीं 29 जून को ओकिनावा द्वीप जापान के पास 6.1 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया।