लंदन से प्रकाशित अखबार का दावा है कि 2020 से अब तक 20 से अधिक आतंकियों को अज्ञात बंदूकधारियों ने मौत की नींद सुला दिया है। इन मौतों से भारत को पहले भी अनौपचारिक रूप से जोड़ा जाता रहा है। पहली बार इस मामले के दस्तावेज भी हाथ लगे हैं और कई खुफिया अधिकारियों ने पाकिस्तान अभियान की चर्चा भी की है।
पाकिस्तान में बैठे दो आंतकी मुहम्मद रियाज और शाहिद लतीफ की हत्या के बाद इस्लामाबाद ने भारतीय एजेंसी रॉ पर हत्या का आरोप लगाया था। इसे नई दिल्ली ने तुरंत प्रभाव से खारिज करते हुए कहा कि यह दुर्भावानापूर्ण भारत विरोधी प्रचार है।
द गार्जियन का दावा है कि पाकिस्तान में हो रही भारत विरोधी आतंकियों की मौत में भारतीय खुफिया एजेंसी के UAE स्लीपर सेल का हाथ है। 2023 से इसकी गतिविधियां बढ़ गई हैं। इस स्लीपर सेल ने स्थानीय अपराधियों को पैसे देकर ये हत्याएं कराई हैं। इसके साथ ही गोलीबारी को अंजाम देने के लिए कई जिहादियों की भी भारत ने भर्ती की।
दो भारतीय खुफिया अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जासूसी एजेंसी की कार्रवाई 2019 में पुलवामा हमले से शुरू हुई। पुलवामा हमले को जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था। पुलवामा के बाद ऐसे आतंकियों ने निपटने के लिए दृष्टिकोण बदला गया। एक अधिकारी ने बताया कि हम हमलों को रोक नहीं सके क्योंकि उनके सुरक्षित ठिकाने पाकिस्तान में थे, इसलिए हमें स्रोत तक पहुंचना पड़ा।
द गार्जियन का यह भी कहना है कि उसके सवालों के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने सभी आरोपों का खंडन एक पूर्व बयान को दोहराते हुए कहा है कि यह झूठा और दुर्भावनापूर्ण भारत विरोधी प्रचार था। मंत्रालय ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा पिछले खंडन पर जोर दिया कि अन्य देशों में चुनिंदा हत्याएं भारत सरकार की नीति के अनुरूप नहीं थीं।
एक रॉ हैंडलर ने कथित तौर पर दोषी कश्मीरी आतंकवादी जहूर मिस्त्री के उपनाम जाहिद अखुंद के बारे में जानकारी के लिए भुगतान किया था। अखुंद एयर इंडिया की उड़ान के अपहरण में शामिल था। मार्च 2022 में कराची में गोलीबारी को अंजाम देने के लिए अफगानियों को लाखों रुपये का भुगतान किया गया था। वह भाग गए लेकिन उनके आकाओं को पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया।
जैश-ए-मोहम्मद कमांडर शाहिद लतीफ पाकिस्तान की धरती पर मारा गया था। पाकिस्तानी जांचकर्ताओं ने पाया कि उस व्यक्ति को लतीफ का पता लगाने के लिए एक गुप्त भारतीय एजेंट द्वारा कथित तौर पर 15 लाख पाकिस्तानी रुपए का भुगतान किया था। युवक ने सियालकोट की एक मस्जिद में लतीफ की गोली मारकर हत्या कर दी, लेकिन उसके तुरंत बाद उसे उसके साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बशीर अहमद पीर और भारत की मोस्टवांटेड सूची में शामिल सलीम रहमानी की हत्या की योजना भी कथित तौर पर संयुक्त अरब अमीरात से बाहर रची गई थी। दुबई से लेन-देन की रसीदों से पता चलता है कि हत्यारों को लाखों रुपये का भुगतान किया गया था।