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Ratan Tata: किन विदेशी कंपनियों को खरीद कर रतन टाटा ने लिया अपने अपमान का बदला 

Ratan Tata ने TATA Group को भारत तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि उन्होंने विदेश में भी अपनी कंपनी का डंका बजवाया।

नई दिल्लीOct 10, 2024 / 04:25 pm

Jyoti Sharma

Ratan Tata buying foreign companies Ford brand Jaguar Land rover Tetley Tea

Ratan Tata: बिजनेस टाइकून रतन टाटा अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके किए गए काम जिंदा हैं, उनका नाम जिंदा है जो आने वाले पीढ़ी को वो पाठ पढ़ाएगी जिससे वो भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नाम कमा सकेंगे। रतन टाटा की लीडरशिप ने टाटा कंपनी (TATA Group) ने भारत से बाहर कई बड़े देशों की बड़ी कंपनियां अधिग्रहित कर ली, जो उस ज़माने में कोई नहीं कर पाया था। टाटा ने उन कंपनियों को अपने नाम किया, जिन कंपनियों ने कभी उन्हें अपमानित भी किया था। अपमान का ये घूंट रतन टाटा पी गए और ऐसा संकल्प लेकर अपनी मेहनत को रंग दिया कि अपमान करने वाली इन कंपनियों को TATA के रहमोकरम पर चलना पड़ा। 

जगुआर और लैंड रोवर (Jaguar and Land Rover)

टाटा मोटर्स ने 2008 में ब्रिटेन के विश्वस्तरीय कार कंपनी फोर्ड के लग्ज़री कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया। रतन टाटा की टाटा मोटर्स ने इस कंपनी को लगभग 2.3 बिलियन अमेरिकन डॉलर में खरीदा। दरअसल टाटा मोटर्स को एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनाने के लिए ये अधिग्रहण बेहद अहम हो गया था जो टाटा मोटर्स के लिए एक रणनीतिक अवसर बन गए। इस अधिग्रहण से टाटा मोटर्स को उन्नत तकनीकी क्षमता, प्रीमियम सेगमेंट में वैश्विक ब्रांड और विकसित देशों में एक दमदार मौजूदगी मिली। 

अपमान का लिया था बदला

रतन टाटा के ये अधिग्रहण भारत की विश्व में एक मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के साथ ही अपने अपमान का बदला भी था। दरअसल 90 के दशक में टाटा कंपनी ने ट्रक से हटकर भारत की पहली स्वदेशी कार TATA Indica बनाई, तो पूरे भारत में टाटा एक ट्रक निर्माण कंपनी से ऊपर उठकर कार निर्माता बाज़ार में कदम रख चुकी थी। लेकिन इस कार के निगेटिव फीडबैक ने रतन टाटा तो भीतर से तोड़ दिया। दरअसल दिल्ली-मुंबई से कई शिकायतें ऐसी आई थी, वहीं की सड़कों पर चलने के लिए टाटा इंडिका कार सही नहीं थी, उन्हें कार में बहुत नुकसान हुआ। जिसके बाद रतन टाटा ने कार के निर्माण को ही बंद करने का फैसला कर लिया। इसी के तहत वो टाटा इंडिका ब्रांड को बेचने के लिए ब्रिटेन गए। 

Ford के चेयरमैन बिल फोर्ड ने किया अपमानित

यहां पर रतन टाटा के साथ उनकी पूरी टीम कार कंपनी Ford के हेड ऑफिस पहुंचे और Ford के चेयरमैन बिल फोर्ड से कार कंपनी के बारे में बात की। लेकिन बिल फोर्ड ने तो रतन टाटा को अपमानित कर दिया। बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा कि “आपको जब कार बनाने का अनुभव नहीं था तो फिर बनाई क्यों, आपने ये कदम उठाया ही क्यों, फिर भी हम आप पर उपकार कर रहे हैं आपकी इस कार कंपनी को खरीद रहे हैं।”
बस फिर क्या था, रतन टाटा ने बिल फोर्ड से मीटिंग खत्म की और वापस अपनी टीम के साथ अगले दिन इंडिया आ गए। एक पुराने इंटरव्यू में खुद रतन टाटा ने ये बात कही थी कि उस रात वो सो भी नहीं पाए। उन्हें बिल फोर्ड के वो शब्द कांटों की तरह उनके कानों में चुभ रहे थे। बस उसी दिन उन्होंने अपनी कार कंपनी को बेचने का फैसला त्याग दिया और उसी कार कंपनी से और बेहतरनी कार बनाने का संकल्प कर लिया। 

2008 में खरीद लिए Ford के ब्रांड Jaguar Land Rover

टाटा ग्रुप के दिग्गज प्रवीण काडले ने साल 2014 में एक समारोह के दौरान इस बात जिक्र करते हुए कहा था कि “1999 में जिस फोर्ड ने हमारी कार कंपनी को खरीदने का ‘उपकार’ बताय़ा था, 2008 में हमने उसी कंपनी के विश्वस्तरीय लग्जरी ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया। तब बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा था कि आपने ये दोनों कार कंपनियों के ब्रांड खरीदकर हम पर उपकार किया है।”

ये विदेशी कंपनियां भी हुई TATA के नाम

कोरस ग्रुप (Corus Group)

रतन टाटा ने टाटा स्टील को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए ब्रिटेन की एक और स्टील कंपनी कोरस कंपनी का अधिग्रहण कर लिया। कोरस उस समय यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी इस्पात निर्माता कंपनी थी। इस अधिग्रहण से टाटा स्टील को सिर्फ यूरोपीय बाजारों में एंट्री ही नहीं मिली बल्कि हाई क्वालिटी वाले इस्पात उत्पादन की तकनीक और बड़ी उत्पादन क्षमता भी मिल गई। साल 2007 में TATA ने लगभग 13.1 बिलियन अमेरिका डॉलर में इसे खरीद लिया। 

टेटली टी (Tetley Tea)

ब्रिटेन की टेटली टी, उस समय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय निर्माता कंपनी थी। TATA के इस अधिग्रहण से टाटा ग्लोबल बेवरेजेज जिसे पहले टाटा टी (TATA Tea) कहा जाता था, को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत पहचान मिली। टेटली के अधिग्रहण से टाटा चाय को प्रमुख चाय बाजारों में विस्तार करने का एक सुनहरा मौका मिला और इसे वैश्विक पेय पदार्थ बाजार में एक अहम दर्जा मिला। साल 2000 में TATA ने 271 मिलियन यूरो में इसे खरीद लिया। 

डाएवो कमर्शियल व्हीकल्स (Daewoo Commercial Vehicles)

दक्षिण कोरिया की इस कंपनी का ये अधिग्रहण टाटा मोटर्स के लिए एशियाई और वैश्विक कमर्शियल व्हीकल्स मार्केट में विस्तार का एक अहम हिस्सा रहा। इससे टाटा मोटर्स को एशिया के बाजारों में अहम पैठ मिल गई। इसके अलावा उन्नत तकनीकी उत्पादन क्षमताओं तक भी TATA के हाथ पहुंच गए। 2004 में इस कंपनी को लगभग 102 मिलियन अमेरिकन डॉलर में खरीद लिया गया। 

पीयरलेस सिमेटलिस्मो (Piaggio Aero) में हिस्सेदारी

TATA Group ने इटली की विमानन कंपनी में हिस्सेदारी लेकर अपने एयरोस्पेस बिजनेस को वैश्विक स्तर पर विस्तारित किया। ये कदम टाटा समूह की उभरते क्षेत्रों में मौजूदगी बढ़ाने की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा था। साल 2006 में टाटा ने इस कंपनी की 14% हिस्सेदारी खरीद ली। 

होटल उद्योग में अधिग्रहण (Taj Hotels)

टाटा समूह के इंडियन होटल्स कंपनी (IHCL) ने लक्ज़री होटलों के अधिग्रहण से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने होटल मैनेजमेंट बिजनेस को एक विस्तार दिया। इससे टाटा को वैश्विक लक्जरी होटल मैनेजमेंट में जगह मिली। इसके ब्रांड ‘ताज’ को एक वैश्विक पहचान मिली। टाटा ने 2005 से 2010 तक अमेरिका ब्रिटेन के तमाम होटल जैसे Ritz-Carlton Boston, Campton Place, Pierre Hotel, और The Crown Plaza Hotel का अधिग्रहण कर लिया। 

टाटा केमिकल्स – जनरल केमिकल्स इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स (General Chemical Industrial Products)

टाटा ग्रुप के इस अधिग्रहण से टाटा केमिकल्स को सोडा ऐश के प्रोडक्शन में एक ग्लोबल लीडर बनने का सुनहरा मौका मिला। वैश्विक नेता बनने का अवसर मिला। सोडा ऐश का उपयोग ग्लास, केमिकल्स, और डिटर्जेंट जैसे उत्पादों में होता है। अमेरिका की कंपनियों की खरीद से इस क्षेत्र में एंट्री टाटा केमिकल्स के लिए एक अहम पड़ाव साबित हुआ। साल 2008 में टाटा ग्रुप ने 1 बिलियन अमेरिकिन डॉलर में इसे खरीद लिया। 2006 में टाटा ने ब्रिटेन की ब्रुनेस्ली को भी 65 मिलियन यूरो में खरीद लिया। 

वॉटरमैन हॉल (Waterman Hall)

टाटा समूह ने फाइनेंस और इंश्योरेंस क्षेत्रों में अपना विस्तार कनरे के लिए ब्रिटेन की इस कंपनी का अधिग्रहण किया। ये टाटा कैपिटल के अधीन अधिग्रहण था। साल 2013 में इसे टाटा कैपिटल ने खरीद लिया। 

स्टारबक्स के साथ संयुक्त उद्यम (2012)

TATA ने टाटा ग्लोबल बेवरेजेज (अब टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स) ने भारत में अमेरिका की Starbucks आउटलेट लॉन्च करने के लिए एक संयुक्त उद्यम पर सहमत हुए। इस समझौत से TATA को तेजी से बढ़ते भारतीय कॉफी खुदरा बाजार में एंट्री मिली।
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