लद्दाख में दिल्ली की जमीन के बराबर चीन का कब्जा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीते बीते मंगलवार (स्थानीय समय) को वाशिंगटन डीसी में नेशनल प्रेस क्लब में मीडिया से बातचीत में ये बयान दिया। उन्होंने कहा कि “चीनी सैनिकों ने लद्दाख में दिल्ली के आकार की भूमि पर कब्जा कर लिया है, और मुझे लगता है कि यह एक आपदा है। मीडिया इसके बारे में लिखना पसंद नहीं करता है। अगर कोई पड़ोसी उसके 4,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर ले तो अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया होगी? क्या कोई राष्ट्रपति यह कहकर बच निकल पाएगा कि उसने इसे अच्छी तरह से संभाला है? इसलिए, मुझे नहीं लगता कि पीएम मोदी ने चीन को बिल्कुल भी ठीक से संभाला है। मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि चीनी सैनिक हमारे क्षेत्र में क्यों बैठे रहें”।
चीन का प्रोडक्टिवटी पर राज- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा कि “हम इसे वैसे नहीं करना चाहते जैसे चीन कर रहा है। हम इसे ऐसे माहौल में नहीं करना चाहते जो गैर-लोकतांत्रिक हो, जो उदार न हो। इसलिए 21वीं सदी के लिए असली सवाल ये है कि चीन ने उत्पादन के लिए एक दृष्टिकोण सामने रखा है। ये एक गैर-लोकतांत्रिक उत्पादन दृष्टिकोण है। क्या अमेरिका और भारत लोकतांत्रिक मुक्त समाज में उत्पादन के लिए एक दृष्टिकोण रखकर इसका जवाब दे सकते हैं? और मुझे लगता है कि यहीं बहुत सारे जवाब छिपे हैं।” राहुल गांधी बोले कि एक समय में पश्चिमी देश दुनिया की प्रोडक्टिवटी पर राज करते थे लेकिन धीरे-धीरे चीन ने अब इस पर कब्जा कर लिया है।
2020 में गलवान में हुई थी झड़प
दरअसल साल 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गलवान में झड़प हुई थी। जब चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर यथास्थिति को आक्रामक तरीके से बदलने की कोशिश की, तब से दोनों पक्षों को पेट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास अग्रिम चौकियों पर तैनात किया गया है, जो गलवान संघर्ष के मद्देनजर एक तनाव बिंदू के तौर पर उभर कर सामने आया है।
ऐसे में 2020 से ही LAC पर अग्रिम चौकियों पर 50,000 से ज्यादा भारतीय सैनिक तैनात हैं, जिनके पास LAC पर यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए उन्नत हथियार हैं।
बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की पहली अमेरिका यात्रा
बता दें कि राहुल गांधी 3 दिन की अमेरिका यात्रा पर हैं। 11 सितंबर को उनकी ये यात्रा समाप्त हो रही है। अमेरिका में उन्होंने विश्वविद्यालयों में छात्रों और शिक्षकों के अलावा भारतीय प्रवासियों से बातचीत की और अमेरिकी सांसदों से भी मुलाकात की। लोकसभा में विपक्ष के नेता बनने के बाद यह राहुल गांधी की पहली अमेरिका यात्रा है।