ईरान के विदेश मंत्री के भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात के बाद ईरानी विदेश मंत्रालय की ओर से एक प्रेस नोट जारी किया। जिसमें बताया गया कि इस मुलाकात के दौरान क्या कुछ हुआ। हालांकि प्रेस नोट जारी होने के कुछ ही देर बाद उक्त प्रेस नोट से कुछ बातों को हटा दिया गया। इस बात की जानकारी सामने आते ही लोग अब यह जानना चाह रहे हैं कि आखिर उस प्रेस नोट से डिलीट किया गया वो पार्ट क्या था?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों के नेताओं की इस मीटिंग के दौरान पैगंबर मोहम्मद विवाद को लेकर भी चर्चा हुई थी। इस विवाद को लेकर ईरान के विदेश मंत्री के सवाल पर अजीत डोभाल ने बताया कि दोषियों पर कार्रवाई की गई है। साथ ही उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री को यह आश्वत किया कि भारत सभी धर्मों का आदर करने वाला देश है। इस मुलाकात के बाद ईरानी विदेश मंत्रालय के वेबसाइट पर बातचीत से संबंधित बयान प्रकाशित किया गया। लेकिन बाद में उस बयान से पैगंबर मोहम्मद विवाद को लेकर कुछ हिस्से को हटा दिया गया।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बयान के जिस हिस्से को हटाया गया उसमें यह पैगंबर मोहम्मद विवाद को लेकर लिखा गया था कि ‘सबक सिखाया जाएगा’। ईरान के बयान में दावा किया गया था कि विदेश मंत्री हुसैन को मीटिंग के दौरान अजीत डोभाल की ओर से बताया गया था कि जो लोग पैगंबर के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करते हैं, उन्हें “सबक सिखाया जाएगा”। हालांकि अब इस लाइन का ईरानी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर उल्लेख नहीं है।
बताते चले कि एक दिन पहले गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा था कि हमने पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे ट्वीट, टिप्पणियां सरकार के रुख को प्रदर्शित नहीं करती हैं। ऐसे ट्वीट व टिप्पणियां करने वालों के खिलाफ संबंधित पक्ष द्वारा कार्रवाई की गई है। इस बारे में इसके अतिरिक्त मुझे और कुछ नहीं कहना है।
दूसरी ओर ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अबदुल्लाह ने मीटिंग के बाद ट्वीट किया था कि हमारे द्विपक्षीय रणनीतिक वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए पीएम मोदी, एफएम जयशंकर और अन्य भारतीय अधिकारियों से मिलकर खुशी हुई। तेहरान और नई दिल्ली ईश्वरीय धर्मों और इस्लामी पवित्रताओं का सम्मान करने और विभाजनकारी बयानों से बचने की आवश्यकता पर सहमत हैं।