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फिलिस्तीनियों के साथ है भारत, PM Modi के बयान से क्या छिटक सकता है इजरायल

India on Palestine: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीन दिवस पर फिलीस्तीन के लोगों के नाम पत्र लिखा है।

नई दिल्लीNov 30, 2024 / 10:43 am

Jyoti Sharma

PM Narendra Modi Statement on Palestine Impact on Israel

India on Palestine: इजरायल और गाजा युद्ध में भारत ने खुद को तटस्थ रखा है हालांकि इस युद्ध को खत्म करने वो लगातार अपील करता रहा है। भारत इजरायल (Israel) का बेहद अच्छा दोस्त और साझीदार है। भारत का शुरूआत से ही फिलिस्तीन के प्रति रुख ऐतिहासिक तौर पर सहानुभूतिपूर्ण और संतुलित रहा है। भारत ने फिलिस्तीन की स्वतंत्रता, संप्रभुता और एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व का समर्थन किया है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने फिलिस्तीन दिवस पर एक बड़ा बयान दिया है। जिससे आने वाले समय में दूरगामी प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है।

फिलिस्तीन के विकास को भारत का समर्थन

29 नवंबर को फिलिस्तीन दिवस मनाया गया इस मौके पर दुनिया भर में आयोजन हुए। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन इस दिन फिलिस्तीनी लोगों के नाम एक पत्र लिखा और जनता को संबोधित किया। इस संबोधन के दौरान एक बड़ा बयान देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि फिलिस्तनी के विकास के लिए भारत लगातार उसके समर्थन का वादा करता है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लेटर के जरिए कहा कि “भारत फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता का आह्वान करता है और इस दिन का जश्न मनाता है।” पीएम मोदी ने कहा, “मैं फिलिस्तीन के लोगों के विकास के लिए भारत के समर्थन को दोहराता हूं। भारत हमेशा फिलिस्तीनियों के विकास में भागीदार रहा है। फिलिस्तीन के विकास में भारत का योगदान रहेगा।”
प्रधानमंत्री मोदी ने ये भी कहा कि गाज़ा में चल रहे इजरायल के युद्ध को लेकर अब तत्काल सीजफायर की अपील करता हूं, आतंकवाद के सभी कारक खत्म हो, बंधकों की रिहाई हो। इसके अलावा पीएम मोदी ने टू स्टेट पॉलिसी पर बात करते हुए कहा कि इसके जरिए फिलिस्तीन राज्य की स्थापना हो सके, जो इजरायल के साथ शांति से रह सके। 

पीएम मोदी के बयान से क्या इजरायल पर क्या प्रभाव

भारत का फिलिस्तीन को लेकर क्या रुख रहा है। इसका इतिहास गवाह है। 1947 में जब संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन को विभाजन कर इजरायल बनाने का प्रस्ताव लाया गया तो भारत ने इसका पुरजोर विरोध किया था। इसके बाद भारत ने 1974 में फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) को फिलिस्तीनियों का वैध प्रतिनिधि माना और 1988 में फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी।
ये बात इजरायल भी अच्छे तरीके से जानता है, लेकिन बावजूद इसके भारत के साथ उसके संबंध बेहद अच्छे रहे हैं। भारत इजरायल को और इजरायल भारत को अपना दोस्त मानता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के संबंध भी काफी प्रगाढ़ है। फिलिस्तीन को लेकर भारत का रूख कभी भी इजरायल-भारत संबंधों के बीच नहीं आया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बयान दिया है वो फिलिस्तीन को लेकर भारत के ऐतिहासिक रूख पर ही कायम होता दिखाता है। ऐसे में इजरायल को इससे कोई परेशानी हो सकती है, ऐसा मुश्किल ही हो सकता है। 
भारत ने इजरायल को सीधे तौर पर युद्ध में समर्थन नहीं दिया, लेकिन कूटनीतिक तौर पर रक्षा सहयोग, तकनीकी सहायता, और सामरिक भागीदारी के जरिए इजरायल के साथ संबंध मजबूत किए हैं। खासतौर पर कारगिल युद्ध और आतंकवाद के खिलाफ अभियान में इजरायल की ने भारत की काफी मदद की। कूटनीति का दांव चलते हुए भारत ने अपने रुख पर कायम रहते हुए इजरायल के संबंधों को संतुलित तरीके से आगे बढ़ाया है। 

क्या है फिलिस्तीन दिवस 

अंतरराष्ट्रीय फिलिस्तीनी एकजुटता दिवस हर साल 29 नवंबर को मनाया जाता है। 1947 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव 181 के पारित होने के बाद ये हर साल मनाया जाता है। इस प्रस्ताव के मुताबिक फिलिस्तीन को यहूदी और अरब राज्यों में बांटने का प्रस्ताव रखा गया था। ये दिन 1978 से मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उनके अधिकारों के लिए चल रहे संघर्षों को उजागर करना है।
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