150 देशों में एक लाख करोड़ डॉलर का निवेश
चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट में करीब 150 देश शामिल हैं और इन देशों के साथ चीन ने 50527 समझौतों के माध्यम से 1 लाख करोड़ डॉलर का निवेश किया है। इस तरह औसतन एक समझौता करीब 127 अरब डॉलर का है। हालांकि चीन ने बीआरआई के अंतर्गत 150 देशों में निवेश किया है लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश, अंगोला, लाओस, कंबोडिया, मलेशिया, वियतनाम, सिंगापुर, थाईलैंड और यूएई में चीन ने लगातार निवेश किया है।
चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट में करीब 150 देश शामिल हैं और इन देशों के साथ चीन ने 50527 समझौतों के माध्यम से 1 लाख करोड़ डॉलर का निवेश किया है। इस तरह औसतन एक समझौता करीब 127 अरब डॉलर का है। हालांकि चीन ने बीआरआई के अंतर्गत 150 देशों में निवेश किया है लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश, अंगोला, लाओस, कंबोडिया, मलेशिया, वियतनाम, सिंगापुर, थाईलैंड और यूएई में चीन ने लगातार निवेश किया है।
कई देशों पर सारी दुनिया से ज्यादा चीनी कर्ज
बीआरआई के अंतर्गत निम्न आय वर्ग देशों के जो कर्ज के आंकड़े आए हैं वो हैरान करने वाले हैं। कम आय वाले देशों के ऊपर 2022 में अपने दि्वपक्षीय कर्ज की 37% देनदारी चीन के प्रति थी, जबकि शेष दुनिया के प्रति ये दि्वपक्षीय कर्ज देनदारी 24% थी। इनमें 42 देशों को ये कर्ज प्रमुख बैंकों तथा चीनी उद्यमों के जरिए जटिल समझौतों के जरिए दिया गया है, जो कि पब्लिक डोमेन में नहीं हैं। पाकिस्तान ने भी अपनी चीनी कर्ज की शर्तों और ब्याज दरों का खुलासा नहीं किया है।
बीआरआई के अंतर्गत निम्न आय वर्ग देशों के जो कर्ज के आंकड़े आए हैं वो हैरान करने वाले हैं। कम आय वाले देशों के ऊपर 2022 में अपने दि्वपक्षीय कर्ज की 37% देनदारी चीन के प्रति थी, जबकि शेष दुनिया के प्रति ये दि्वपक्षीय कर्ज देनदारी 24% थी। इनमें 42 देशों को ये कर्ज प्रमुख बैंकों तथा चीनी उद्यमों के जरिए जटिल समझौतों के जरिए दिया गया है, जो कि पब्लिक डोमेन में नहीं हैं। पाकिस्तान ने भी अपनी चीनी कर्ज की शर्तों और ब्याज दरों का खुलासा नहीं किया है।
इन देशों पर चीन का सबसे अधिक कर्ज
चीन ने रोड, रेल, बंदगाह विकास के नाम पर ग्लोबल प्रोजेक्ट्स पर दुनिया भर में निवेश किया है और इसके जरिए इन देशों को कर्ज दिया है, जिसमें पाकिस्तान को दिया गया कर्ज सबसे अधिक है।
चीन ने रोड, रेल, बंदगाह विकास के नाम पर ग्लोबल प्रोजेक्ट्स पर दुनिया भर में निवेश किया है और इसके जरिए इन देशों को कर्ज दिया है, जिसमें पाकिस्तान को दिया गया कर्ज सबसे अधिक है।
देश कर्ज
पाकिस्तान 77.3 अरब डॉलर
अंगोला 36.3 अरब डॉलर
इथोपिया 7.9 अरब डॉलर
केन्या 7.4 अरब डॉलर
श्रीलंका 7 अरब डॉलर
मालदीव 6.93 अरब डॉलर
बांग्लादेश 4 अरब डॉलर कई देशों पर राष्ट्रीय आय का 40 फीसदी चीनी कर्ज
पाकिस्तान 77.3 अरब डॉलर
अंगोला 36.3 अरब डॉलर
इथोपिया 7.9 अरब डॉलर
केन्या 7.4 अरब डॉलर
श्रीलंका 7 अरब डॉलर
मालदीव 6.93 अरब डॉलर
बांग्लादेश 4 अरब डॉलर कई देशों पर राष्ट्रीय आय का 40 फीसदी चीनी कर्ज
अफ्रीकी देशों पर कुल चीनी कर्ज करीब 150 अरब डॉलर है। इसमें भी जिबूती और अंगोला पर चीन का सबसे अधिक भुगतान का बोझ है। जिबूती ने तो चीन को नौसैनिक अड्डा भी बनाने का अधिकार चीन को दिया है। इन देशों पर चीनी कर्ज इनकी सकल राष्ट्रीय आय के 40 प्रतिशत से अधिक है। वहीं एशियाई देश लाओस और मालदीव पर भी उनकी सकल आय का 30% कर्ज है। इस कर्ज से इन देशों के आगामी दिनों में दिवालिया होने की आशंका जताई जा रही है।
डिफॉल्टर देशों के संसाधनों को कब्जा रहा है चीन
राष्ट्रीय आय के 9 प्रतिशत चीनी कर्ज वाला श्रीलंका पहले ही दिवालिया घोषित हो चुका है और 6 अरब डॉलर चीनी कर्ज वाला जांबिया भी कर्ज का भुगतान नहीं कर पा रहा है। चीनी कर्ज वाले पाकिस्तान और श्रीलंका पहले ही दिवालिया होने से बचने के लिए आइएमएफ से कर्ज ले रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि डिफॉल्ट होने वाले देश से चीन बंदरगाह या खनन या रेलवे लाइन के अधिकार हासिल कर लेता है।
राष्ट्रीय आय के 9 प्रतिशत चीनी कर्ज वाला श्रीलंका पहले ही दिवालिया घोषित हो चुका है और 6 अरब डॉलर चीनी कर्ज वाला जांबिया भी कर्ज का भुगतान नहीं कर पा रहा है। चीनी कर्ज वाले पाकिस्तान और श्रीलंका पहले ही दिवालिया होने से बचने के लिए आइएमएफ से कर्ज ले रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि डिफॉल्ट होने वाले देश से चीन बंदरगाह या खनन या रेलवे लाइन के अधिकार हासिल कर लेता है।
बीआरआई प्रोजेक्ट से मानवाधिकार उल्लंघन संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद की 51वीं बैठक में अमरीका ने चीन में उइगुरों के उत्पीड़न को लक्षित करते हुए मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया था। 47 सदस्यीय परिषद में चीन के खिलाफ ये प्रस्ताव पारित नहीं हो सका था। यह देखा गया था कि जिन 19 देशों ने चीन के समर्थन में मतदान दिया था वे सभी चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट के भागीदार थे। जो 11 देश इस प्रस्ताव में मतदान से दूर रहे थे उनमें से 8 देश भी चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट के हिस्सा हैं।
क्या है बीआरआई प्रोजेक्ट
बीआरआई प्रोजेक्ट चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सबसे महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में ये नाम दिया था। इसके अंतर्गत चीन एशिया, अफ्रीका और यूरोप को भूमि तथा समुद्री नेटवर्क के जरिए जोड़ना चाहता है। बीआरआई प्रोजेक्ट जिसे ‘वन बेल्ट और वन रोड प्रोजेक्ट’ भी कहा जाता है, इसके पीछे ऐतिहासिक सिल्क रोड की संकल्पना है।