हाथ में जो आया उसे उठाकर भागे लोग
एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में चित्राल के ग्रीन लश्ट गांव में नदी के उस पार का इलाका नदी बढ़ने से पानी में बह गया। इस मंजर से ग्रीन लश्ट गांव के लोग खासे परेशान हो गए लेकिन कुछ दिन बाद हालात सामान्य हो गए। लेकिन लोगों को ये नहीं पता था कि ये तबाही फिर आएगी और एक रात में ही उनके गांव को तबाह कर देगी।2020 में आई तबाही
ग्रीन लश्ट गांव के लोगों के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 तक नदी का कटाव जारी रहा लोगों को ये तो डर था कि नदी का पानी उनके घरों के पास तक आ सकता है लेकिन ग्लेशियर्स पिघलने से वो हुआ जिसका किसी को अंदाजा भी नहीं था। दरअसल रात भर में नदी का रुख़ उनके गांव की तरफ़ हो गया। नदी का पानी सैलाब की तरह उनके गांव में घुस गय़ा। घबराए लोगों ने अपने हाथों में जो लगा उसे उठाकर सुरक्षित स्थानों पर भागने लगे। कई लोगों की आंखों के सामने उनके कच्चे घर, साइकिल, उनके पालतू जानवर तक बहे चले गए। पक्के मकान पानी के तेज बहाव के आगे अपना जड़त्व भूल गए और धाराशाई हो गए। ये उफ़नाई हुई नदी अपने साथ सबकुछ बहाकर ले गई। सुबह लोगों को यहां पर एक साफ मैदान की दिखा जहां पर लोगों के घर बसे हुए थे एक सुंदर गांव था, वहां पर तबाही की निशानियां थीं।
कोई खुले आसमान के नीचे तो कई रसोई जितने क्वार्टर में
रिपोर्ट में बताया गया है कि लोगों ने ना तो अब वहां घर बचे, ना खेत ना ही मवेशी, अब कुछ लोग बाहर चले गए हैं कुछ लोग बेघर होने के बाद कड़े संघर्ष से अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं, कोई किसी किराए के क्वार्टर में रह रहा तो कई खुले आसमान के नीचे तंबू लगाकर। एक रात में ही जीवन इतना कठिन हो जाएगा ये किसी ने नहीं सोचा था।पिघल रहे हैं चित्राल के ग्लेशियर्स
चित्राल, हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला में स्थित है, जहां दर्जनों ग्लेशियर हैं। ये ग्लेशियर न सिर्फ चित्राल के लिए बल्कि पूरे पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं। चित्राल का क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान के बाद पाकिस्तान का सबसे ग्लेशियर-समृद्ध इलाका है। यहां के प्रमुख ग्लेशियरों में चिरोई, इस्तरो, और तारतासार शामिल हैं। कुनार नदी, यारखून नदी का पानी इन्हीं ग्लेशियर्स से आता है। सिंचाई, पीने का पानी और हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर के लिए ये जल स्रोत बेहद अहम हैं। ग्रीन लश्ट जैसे एक नहीं बल्कि कई गांव हैं जो इन ग्लेशियर्स के पिघलने से बर्बाद हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। जब ये ग्लेशियर पिघलते हैं, तो उनसे झीलें बनती हैं। झीलें जब भर जाती हैं तो उनके टूटने से बड़े पैमाने पर बाढ़ आती है, जिसे ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) कहते हैं।
2022 में, चित्राल क्षेत्र में ऐसी झीलें टूटने के चलते कई गांव और फसलें नष्ट हो गईं। नदी के किनारे बसे सैकड़ों घर और पुल बह गए। चित्राल घाटी की संकरी और पहाड़ी भू-आकृति इस बाढ़ को और ज्यादा विनाशकारी बनाती है।