भारत की अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री स्मृति इरानी पिछले दिनों सऊदी अरब के दौरे पर थीं। इस दौरान वह मदीना भी गई और वहां हज की तैयारियों का जायजा लिया था। इस दौरे के दौरान वहां एक अहम हज समझौता किया गया है। भारत और सऊदी अरब सरकार के बीच हुए इस समझौते के फायदे नुकसान से ज्यादा चर्चा इस समय स्मृति इरानी के मदीना दौरे की हो रही है।
दरअसल, ये पहला मौका है जब कोई भारतीय गैर मुस्लिम महिला इस तरह से मदीना गई, उसमें भी वह बिना सिर ढके मदीना गई हैं। इसकी पाकिस्तान के लोग भी खूब चर्चा कर रहे हैं। स्मृति इरानी के इस दौरे को लेकर पाक मीडिया को मिर्ची लग गई है और अब वह स्मृति इरानी के अलावा सऊदी अरब पर भी सवाल उठा रहा है।
पाकिस्तानी अखबार ने केंद्रीय मंत्री के पहनावे पर उठाए सवाल
स्मृति इरानी के दौरे पर सवाल उठाते हुए पाकिस्तानी अखबार द न्यूज की वेबसाइट ने भारतीय डेलिगेशन को भारतीय डेलिगेशन न लिखकर हिंदू डेलिगेशन लिखा है इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री के पहनावे पर सवाल उठाते हुए लिखा कि इरानी के नेतृत्व में पहली बार कोई गैर-मुस्लिम डेलिगेशन मदीना गया है और उसने इस्लाम के ऐतिहासिक स्थानों का दौरा किया है।
डेलिगेशन में दो महिलाएं थीं, जिन्होंने साड़ी और सलवार कमीज पहन रखी थी। इन लोगों ने सिर भी नहीं ढके थे। इसके अलावा स्मृति इरानी ने माथे पर बिंदी लगा रखी थी। इसके अलावा मंत्री वी. मुरलीधरण ने धोती और भगवा कुर्ता पहन रखा था। जो उनके सांप्रदायिक रुख को दिखाता है।
सऊदी प्रिंस को बस पैसे से मतलब
वहीं, इरानी के इस विजिट पर पाकिस्तान के जानेमाने पॉलिटिकल कमेंटेटर और यूट्यूबर कमर चीमा ने सवाल उठाए है। उन्होंने कहा सऊदी अरब ने भारत के लिए दरवाजे खोल दिए हैं, वो अब चीजों को बिजनेस के नजरिए से देख रहे हैं। सऊदी को पैसा और टूरिस्ट चाहिए। सऊदी सरकार भारत को एक मार्किट की तरह देख रही है। मक्का या मदीना में आमतौर पर कोई औरत बिना दुपट्टे के नहीं जाती हैं लेकिन स्मृति इरानी गईं और ये बहुत दुर्लभ उदाहरण बना है।
दुनिया के मुसलमानों में इस पर काफी बहस हो रही है लेकिन सऊदी के क्राउन प्रिंस को तो बस पैसे से मतलब है। वह इसे अपनी टूरिस्ट बढ़ाने की पहल की तरह देख रहे हैं, जो उनकी लगातार चल रही कोशिशों का हिस्सा है।
कश्मीर के मुद्दे पर समर्थन न मिलने से नाराज है पाक
बता दें कि पाकिस्तान इन दिनों अपने मुस्लिम ब्रदरहुड से कश्मीर के मुद्दे पर समर्थन न मिलने से काफी नाराज है। उसने तो यहां तक कहा है कि हमारे मुस्लिम भाई भी कारोबार की वजह से चुप्पी साधे हुए हैं। बता दें कि स्मृति इरानी मदीना के जिस कुबा मस्जिद तक गई। वहां किसी गैर-मुस्लिम की एंट्री पर मनाही है, लेकिन 2021 में नियमों में थोड़ा बदलाव हुआ था और अब गैर-मुस्लिम भी बाहरी परिसर तक जा सकते हैं।
वहीं, केंद्रीय मंत्री ने अपने दौरे का फोटों शेयर कर बताया कि वह मदीना की पवित्र अल मस्जिद अल नबवी और कुबा मस्जिद के बाहरी परिसर तक गई थीं। कुबा मस्जिद को इस्लाम की पहली मस्जिद माना जाता है। इसकी स्थापना पैगंबर मोहम्मद ने 622 ई. में की थी।