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पाकिस्तान चुनाव में तीन दलों के साथ सेना भी मोर्चे पर, चुनाव जीतने के लिए नवाज, इमरान और बिलावल ने झोंकी ताकत

Pakistan Election: पाकिस्तान में दो दिन बाद यानी 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है।

Feb 06, 2024 / 09:43 am

Prashant Tiwari

 pak Army along with three parties in Pakistan elections Nawaz Imran and Bilawal put in all  strength to win elections

 

पाकिस्तान में दो दिन बाद यानी 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्य मुकाबला पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल-एन), जेल में बंद इमरान खान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआइ) और बिलावल भुट्टो की अगुवाई वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच है। लेकिन चौथे किरदार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और वह है पाकिस्तानी फौज, जो पाकिस्तान की राजनीति में विशेष भूमिका रहती है।

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नवाज शरीफ

पंजाब का शेर कहे जाने वाले नवाज शरीफ की पीएमएल-एन को अकेले बहुमत तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसा हुआ तो नवाज चौथी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। हालांकि अब तक उन्होंने कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। सत्ता या विपक्ष में रहते भ्रष्टाचार के कई मामलों में वर्षों जेल या निर्वासन में रहे हैं। 74 वर्षीय शरीफ देश के सबसे धनी लोगों में गिने जाते हैं। आर्थिक उदारीकरण के पक्षधर हैं और भारत से संबंध सुधारने के इच्छुक। भाई और पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी उनके पक्ष में लगातार रैलियां कर रहे हैं।

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इमरान खान

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के चुनाव में हिस्सा लेने की उम्मीद नहीं है। वह भ्रष्टाचार, देशद्रोह और अवैध विवाह की अलग-अलग सजा भुगत रहे हैं। उन्हें एक दशक के लिए राजनीति से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न भी छिन गया, लिहाजा ज्यादातर उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव मैदा में हैं। हालांकि उनकी पार्टी पीटीआइ को बड़ी जीत का भरोसा है।

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बिलावल भुट्टो

एक समय भुट्टो-जरदारी परिवार पाकिस्तान की राजनीति का केंद्र बिंदु था। पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बड़े बेटे बिलावल के नाना जुल्फिकार प्रधानमंत्री और पिता आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति रह चुके हैं। 35 वर्षीय बिलावल की पार्टी पीपीप को अकेले सत्ता तक पहुंचने की उम्मीद नहीं है, लेकिन दक्षिणी सिंध प्रांत में पार्टी की पकड़ से कुछ उम्मीद है।

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चुनावी मैदान में हाफिज के रिश्तेदार

इस चुनाव में नई पार्टी पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग भी हिस्सा ले रही है। यह पार्टी मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के प्रतिबंधित संगठनों से जुड़ी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके ज्यादातर उम्मीदवार या तो हाफिज सईद के रिश्तेदार हैं या प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा या मिल्ली मुस्लिम लीग से जुड़े रहे हैं।

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फौज

पाकिस्तान के 76 वर्ष के इतिहास में लगभग आधे समय सेना ने ही देश पर शासन किया है। अयूब खान, याह्या खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ की देश की राजनीति पर गहरी छाप है। इसके अलावा अन्य सरकारों में भी विदेश और रक्षा नीति फौज ही तय करती है। राजनीतिक दल और उनके नेता सेना के समर्थन से ही उठते और गिरते रहे हैं। हालांकि प्रत्यक्ष रूप से सेना चुनावों में इस्तक्षेप से इनकार करती रही है।

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मतपत्र छापने में 2170 टन कागज का इस्तेमाल

नेशनल एसेंबली और पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान की प्रांतीय एसेंबली के 859 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 26 करोड़ मतपत्र छपवाए गए हैं। चुनाव आयोग के प्रवक्ता के मुताबिक तीन सरकारी प्रेस में हुई छपाई में 2170 टन कागज का इस्तेमाल हुआ, जो 2018 के बाद सबसे ज्यादा है।

चुनाव से ठीक पहले फिर हमला

चुनाव से ठीक पहले हिंसा और आतंकी घटनाएं भी तेज हो गई। रविवार को बलूचिस्तान में चुनाव आयोग कार्यालय के बाहर विस्फोट के बाद सोमवार तडक़े खैबर पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान के पुलिस स्टेशन पर हमले में 10 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।

महिला बार हिंदू महिला भी मैदान में

पाकिस्तान में पहली बार कोई हिंदू महिला भी चुनाव मैदान में उतरी है। खैबर पख्तूनख्वा की बुनेर सीट से पीपीपी की टिकट पर चुनाव लड़ रही सवीरा प्रकाश पेशे से डॉक्टर हैं और अभी पीपीपी महिला विंग की महासचिव हैं। वह अक्सर महिला अधिकारों की वकालत करती हैं।

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