इटली के रिसर्चर्स ने इसका फोटोग्राफ तैयार किया है। इसे रोम के बैम्बिनो गेसू अस्पताल ने जारी किया है। मैप की तरह दिखने वाले इस थ्री-डायमेंशनल फोटो में डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट के बीच म्यूटेशन की तुलना की गई है।
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कोरोना वायरस के नए वैरिएंट पर रिसर्च कर रही टीम ने एक बयान में कहा कि नई तस्वीर का तीन आयामों ( Three Diamention ) से अध्ययन करने के बाद पता चला है कि नया वैरिएंट खुद को इंसानों की तरह बदल रहा है, स्वयं को उनके अनुकूल बना रहा है। इसके साथ ही यह लगातार म्यूटेट होता जा रहा है।
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट पर रिसर्च कर रही टीम ने एक बयान में कहा कि नई तस्वीर का तीन आयामों ( Three Diamention ) से अध्ययन करने के बाद पता चला है कि नया वैरिएंट खुद को इंसानों की तरह बदल रहा है, स्वयं को उनके अनुकूल बना रहा है। इसके साथ ही यह लगातार म्यूटेट होता जा रहा है।
दरअसल ज्यादातर म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन के उस एरिया के ऊपर मौजूद है, जो ह्यूमन सेल के साथ संपर्क करता है। थ्रीडी फोटोग्राफ से हुआ ये खुलासा
शोधकर्ताओं के मुताबिक ओमिक्रॉन वैरिएंट के पहले फोटो से इस बात का खुलासा होता है कि ये इंसानों की तरह खुद को ढालने में सक्षम है जो चिंता का विषय है, हालांकि इससे अब तक ये बात साफ नहीं हुई है कि ये ज्यादा खतरनाक है, कम खतरनाक है या फिर खतरनाक है ही नहीं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक ओमिक्रॉन वैरिएंट के पहले फोटो से इस बात का खुलासा होता है कि ये इंसानों की तरह खुद को ढालने में सक्षम है जो चिंता का विषय है, हालांकि इससे अब तक ये बात साफ नहीं हुई है कि ये ज्यादा खतरनाक है, कम खतरनाक है या फिर खतरनाक है ही नहीं।
बता दें कि शोधकर्ताओं ने बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका में सामने आए वैरिएंट के क्रम में एक स्टडी के आधार पर यह तस्वीर प्रकाशित की है। यह भी पढ़ेँः Omicron Variant: दक्षिण अफ्रीका से महाराष्ट्र पहुंचा शख्स निकला कोरोना पॉजिटिव, मचा हड़कंप
WHO भी कर रहा शोध
कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी सतर्क नजर आ रहा है। हालांकि WHO भी अब तक ये नहीं बता सका है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कितना खतरनाक है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ओमिक्रॉन कितना घातक है इसको लेकर स्थिति शोध के बाद ही साफ हो पाएगी।
कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी सतर्क नजर आ रहा है। हालांकि WHO भी अब तक ये नहीं बता सका है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कितना खतरनाक है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ओमिक्रॉन कितना घातक है इसको लेकर स्थिति शोध के बाद ही साफ हो पाएगी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि विश्वविद्यालयों में किए गए प्रारंभिक शोध युवाओं पर किए गए हैं। युवाओं में पहले से ही अधिक गंभीर बीमारी नहीं होती है, इसलिए इस पर विस्तृत रिपोर्ट आने में कुछ सप्ताह का समय लग सकता है।
यही नहीं दक्षिण अफ्रीका में तेजी से संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन यह पता लगाना फिलहाल बाकी है कि इसका कारण ओमिक्रॉन ही है या फिर कोई और वजह इसके पीछे जिम्मेदार है।