दक्षिणी अफ्रीकी डॉक्टर का कहना है कि इस बार 5 साल से कम उम्र के बच्चों में भी संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, सभी बच्चे ओमिक्रॉन से संक्रमित नहीं हैं, लेकिन इतने छोटे बच्चों का संक्रमित होना ही अपने आप में चिंता का कारण है।
यह भी पढ़ेंः Omicron Variant: ICMR ने बताया कोरोना के नए वैरिएंट से जंग में कौनसा टीका ज्यादा असरदार! ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत समेत दुनियाभर में अपने पैर तेजी से पसार रहा है। भारत में भी अब तक दो मामलों में इस संक्रण की पुष्टि हो चुकी है, जबकि संपर्क में आने वाले पांच अन्य की जांच जारी है। इसके अलावा दिल्ली में भी 12 संदिग्ध मरीज अस्तपाल में भर्ती जिनके जांच रिपोर्ट आने का इंतजार हैं।
इन सभी मरीजों की उम्र प्लस है। लेकिन राजस्थान के जयपुर में एक ही परिवार के लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, इनमें दो बच्चे भी शामिल हैं, हालांकि इनके ओमिक्रॉन से संक्रमित होने की फिलहाल पुष्टि नहीं हुई है।
लेकिन इन सबके बीच जो डराने वाली बात है वो ये कि ओमिक्रॉन अब छोटी उम्र के बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। साउथ अफ्रीका में ऐसे कई बच्चे हैं जो ओमिक्रॉन वैरिएंट की चपेट में आ चुके हैं। वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन के इस खतरे को लेकर चिंता जाहिर की है।
शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका में 16,055 नए मामले सामने आए हैं और 25 मरीजों की मौत हुई है, जबकि, नवंबर के दूसरे हफ्ते में हर दिन महज 200 मामले ही सामने आ रहे थे।
साउथ अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिसीजेस (NICD) की डॉ. वासिला जसैट के मुताबिक ‘किसी भी वायरस में बच्चों के संक्रमित होने का खतरा कम रहता है, पहले की महामारियों में भी यही देखने को मिला है। लेकिन इस बार ओमक्रॉन वैरिएंट का ट्रेंड अलग है। ये बहुत छोटी उम्र के बच्चों को भी शिकार बना रहा है।
तीसरी लहर में 5 वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या बढ़ी थी और अब चौथी लहर में हमने सभी एज ग्रुप में संक्रमण की बढ़ने का ट्रेंड देखा है, खास तौर से 5 साल से छोटे बच्चे इस वैरिएंट की चपेट में आ रहे हैं।
मौजूदा समय में 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग इस वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित हैं, जबकि दूसरे नंबर पर 5 साल से छोटे बच्चे हैं। जसैट के मुताबिक इस बार हमें कुछ अलग ट्रेंड भी देखने को मिल रहा है, जो डराने वाला है।
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वहीं NICD से जुड़ीं डॉ. मिशेल ग्रोम ने कहा कि छोटे बच्चों में संक्रमण तेजी से क्यों फैल रहा है, इस पर रिसर्च जारी है। इसके बाद ही इसकी जड़ पहुंचा जा सकता है, लेकिन फिलहाल ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि इतने छोटे बच्चों पर वायरस अटैक कर रहा है।
वहीं NICD से जुड़ीं डॉ. मिशेल ग्रोम ने कहा कि छोटे बच्चों में संक्रमण तेजी से क्यों फैल रहा है, इस पर रिसर्च जारी है। इसके बाद ही इसकी जड़ पहुंचा जा सकता है, लेकिन फिलहाल ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि इतने छोटे बच्चों पर वायरस अटैक कर रहा है।
उन्होंने ये भी कहा कि सरकारों को बच्चों के लिए बेड और स्टाफ बढ़ाने की ओर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही वैक्सीन को लेकर भी जल्द फैसले लिए जाने चाहिए।