जापान ने क्य़ों उठाया ये कदम?
जापान में हर साल करीब 54 लोग ज्यादा काम करने के कारण जान गंवा देते हैं। इसे वहां ‘करोशी’ (काम से मौत) कहा जाता है। जापान सरकार चार दिन के वर्किंग वीक की योजना को बढ़ावा दे रही है, लेकिन कंपनियों का पुराना माइंडसेट इसमें रोड़ा बन रहा है। सरकार ने पहली बार 2021 में चार दिन के वर्किंग वीक का समर्थन किया था। जापान के स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय के मुताबिक सिर्फ 8% कंपनियां अपने कर्मचारियों को हफ्ते में तीन या उससे ज्यादा दिन की छुट्टी देती हैं, जबकि 7% कंपनियां सिर्फ एक दिन की छुट्टी देती हैं। अपनी पहल को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने कार्यशैली सुधार अभियान शुरू किया है। इसके तहत काम के घंटे कम करने, फ्लेक्सिबल वर्कटाइम और ओवरटाइम के साथ सालाना छुट्टियों में वृद्धि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
ज्यादा काम के चलते हर साल 54 लोगों की हो रही मौत
सरकार मुफ्त कंसल्टिंग और वित्तीय सहायता के जरिए कंपनियों को प्रेरित कर रही है। हालांकि कंपनियों की प्रतिक्रिया ज्यादा अच्छी नहीं है। अब तक सिर्फ तीन कंपनियों ने इस बारे में सरकार से सलाह ली है। हाल ही एक सरकारी रिपोर्ट में बताया गया कि हर साल ज्यादा काम के कारण करीब 54 लोगों की दिल के दौरे या स्ट्रोक से मौत होती है।जापान की कामकाजी संस्कृति को अक्सर कंपनियों के प्रति वफादारी और सामूहिकता से जोड़ा जाता है। इस सोच में बदलाव जरूरी माना जा रहा है, ताकि भविष्य में स्थिर वर्कफोर्स बनी रहे। जापान में जन्मदर घट रही है। कामकाजी लोगों की आबादी 2065 तक 7.4 करोड़ से घटकर 4.5 करोड़ रह जाने के आसार हैं।
विकास में काम के प्रति जुनून की बड़ी भूमिका
जापान में काम को लेकर जुनून ने देश के आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभाई है। वहां कर्मचारियों पर अपनी कंपनी के प्रति वफादार रहने और त्याग करने का काफी दबाव है। भले 85% नियोक्ता हर हफ्ते दो दिन की छुट्टी देते हों और ओवरटाइम पर कानूनी पाबंदियां हों, दफ्तर में ज्यादा घंटे गुजारना अब भी आम है। ज्यादातर कंपनियों में सर्विस ओवरटाइम (बिना वेतन अतिरिक्त काम) जारी है।