scriptNRI Story: इस देश में म हसूस हो रही नन्हे भारत की खुशबू,जानिए राजस्थान की कहानी इस राइटर की जुबानी | NRI Story: Vinita Tiwari, living in Virginia, America, told that a mini India lives in America | Patrika News
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NRI Story: इस देश में म हसूस हो रही नन्हे भारत की खुशबू,जानिए राजस्थान की कहानी इस राइटर की जुबानी

NRI Story: अमरीका के वर्जीनिया में रह रहीं ऐसी ही एक प्रवासी भारतीय राइटर विनीता तिवारी से जानिए भारत से परदेस में जा कर बसने और अपनापन महसूस करने की रोचक कहानी:

नई दिल्लीJun 30, 2024 / 02:40 pm

M I Zahir

NRI Vinita Tiwari

NRI Vinita Tiwari

NRI Story: प्रवासी भारतीयों ने विदेश में जा कर अपने कर्म से भारत का नाम खूब रोशन किया है। यूएस के वर्जीनिया में रह रहीं ऐसी ही एक एनआरआई राइटर विनीता तिवारी बता रही हैं अमरीका में लघु भारत बसने की एक रोचक कहानी:

गलियों और चौराहों के सपने

देश से बाहर निकले करीब 25 वर्ष हो गए, लेकिन इन 25 वर्षों में से शुरू के लगभग 12-13 वर्ष ऐसे थे, जिनमें हर दिन, हर पल अपने देश लौट जाने की चाह थी। उन्हीं, पीछे छूटी, भीड़-भाड़ वाली गलियों और चौराहों के सपने थे। जोर-जोर से बजने वाले लाउड स्पीकरों, शादी के बैण्ड-बाजों और माता के जागरणों की गुनगुनाहट थी।

रिश्तों की नरमी

चिड़ियों की चहचहाहट, कबूतरों की गुटर गूं व कौओं की कांव-कांव थी। रिश्तों की नरमी और चुगलखोरी की गरमी थी, लेकिन फिर न जाने कैसे, इसी विदेश के इसी शहर, इसी राज्य में, अपने ही घर के आसपास कुछ ऐसा संजोग बना कि देश-विदेश का सारा भेद जाता रहा।

कमी बाहरी कम, आंतरिक ज़्यादा

विदेश में भी देश की ही खुशबू महसूस होने लगी या फिर यूं कहिए कि जो एक कमी या खोज जीवन में इतने सालों तक महसूस होती रही वो सब ख़त्म हुई और आभास हुआ कि यह कमी बाहरी कम और आत्मिक या आतंरिक ज़्यादा थी।

सब एक ही धरती के हिस्से

अब सवाल यह उठता है कि आखिर यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका के वर्जीनिया राज्य में मुझे ऐसा क्या मिल गया कि फिर ना देश की कसक रही ना विदेश की भनक! अब देश-विदेश सब एक ही धरती के हिस्से होने का आभास कराने लगे। सारी दुनिया मुझे स्वयं में ही समाहित नज़र आने लगी और मैं इस सारी दुनिया में। सब कुछ बहुत सुन्दर, बेहद मनोरम, हर तरफ़ ख़ुशियां ही ख़ुशियां! धरती, नदियां, पर्वत सब पहले से कहीं ज़्यादा रोमांचक ओर मनमोहक।

मुझे किसी से प्यार हो गया

अब ज़ेहन में बस एक ही ख़्याल था कि दुनिया बनाने वाले ने किस जतन से इतनी ख़ूबसूरती इस दुनिया में समेटी होगी! चप्पा-चप्पा, बूटा-बूटा आने वाले कल के लिए उत्साही व प्रेरक प्रतीत हो रहा था। मेरी मानसिक स्थिति पढ़कर आपको ऐसा लग रहा होगा कि मुझे किसी से प्यार हो गया हो। नहीं क्या?

सच्चा प्यार वर्जीनिया राज्य में मिला

जी हाँ, सही समझा। जीवन में इतने सालों बाद मुझे अपना सच्चा प्यार अमेरिका के वर्जीनिया राज्य में मिला और वो था– भारत की सांस्कृतिक कलाओं से जुड़ा मेरा अथाह प्रेम। प्रेम, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत से, नृत्य से, कविताओं से ओर अपनी मातृभाषा से। अपने जीवन की इस नई खोज व सुखद अनुभूति के लिए, अपने दिल की गहराइयों से, धनन्जय कुमार युगल का आभार प्रकट करना चाहूंगी, जिन्होंने वर्जीनिया के शैनटिली शहर में कई सालों पहले इंडिया इन्टरनेशनल स्कूल खोलने के ख़याल को मूर्त रूप दिया और इस क्षेत्र के सभी गुणीजनों व भिन्न-भिन्न कलाओं मे निपुण श्रेष्ठ शिक्षकों को अपनी-अपनी कला की शिक्षा आम प्रवासी भारतीयों तक पहुंचाने की व्यवस्था की। यह स्कूल कुमार युगल के घर के तहख़ाने से शुरू होकर एक अच्छी-खासी इमारत तक तब्दील होने की एक लंबी कहानी है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

इस विद्यालय में हिन्दुस्तानी संगीत के अलावा कर्नाटक संगीत, कथक, कुचिपुडी, भरतनाट्यम, विभिन्न भारतीय वाद्य-यन्त्रों व भाषाओं की शिक्षा भी दी जाती है। यहां समय-समय पर कवि सम्मेलन व हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। योग शिक्षा के लिए निःशुल्क अथवा अल्प शुल्क में शिविर लगाए जाते हैं। होली-दिवाली के उत्सवों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

देश विछोह की पीड़ा का अंत

कुल मिलाकर इस विद्यालय की बदौलत मेरे देश विछोह की पीड़ा का अंत हुआ और मेरी स्वयं की सभी कलाओं को प्रदर्शन व और निखरने का मौक़ा मिला। इस विद्यालय व इसमें कार्यरत शास्त्रीय संगीत के जाने-माने शिक्षकों (पंडित विश्वास शिरगांवकर व उस्ताद हुमायूं खान) को समर्पित मेरी एक कविता में कुछ यूं बयान हुआ है :
इन्डिया स्कूल है एक धरा
जिसका आंचल गुणियों से भरा
ना कोई बैर, ना कोई गिला
एक सुन्दर, सौम्य, सरल चेहरा
नीला आकाश, हरी धरती
औैर रंग उजाले का गहरा
जहां जाति-पाति का बोझ नहीं
दिल पर, ना धर्म का ही पहरा
अपनी संस्कृति को खोज रहे
गुणियों का तन-मन यहां ठहरा
होकर आलोकित, मृदुल मेरा
जीवन गुणगान करे तेरा
कि इंडिया स्कूल है एक धरा
जिसका आँचल गुणियों से भरा।
-विनीता तिवारी
वर्जीनिया, अमेरिका,एनआरआई राइटर

विनीता तिवारी : एक नजर

राजस्थान मूल की विनीता तिवारी का राजस्थान में जन्म हुआ। वे लेखन के अलावा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, नृत्य व चित्रकला में अभिरुचि रखती हैं। इंडिया इंटरनेशनल स्कूल, शैंटिली व वर्जीनिया में हिन्दी का अध्यापन कार्य कर रही हैं। दो संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं व कई साझा संकलनों में रचनाएं शामिल हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में शिरकत करती रहती हैं। वे अमेरिका के वर्जीनिया में रहती है।

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