उत्तर कोरिया इन दिनों जबरदस्त रूप से खाद्यान्न संकट का सामना कर रहा है। हालात यह है कि वहां भूखमरी की नौबत आ गई है। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने देश में खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए तुगलकी फरमान जारी किया है। तानाशाह ने इस संकट का ठोस हल निकालने के बजाय जनता से कहा है कि वे रोज एक वक्त खाना खाएं। यह स्थिति तब है जब वहां पहले से ही बुजुर्गों और बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। देश की ज्यादातर जनसंख्या कुपोषण का शिकार है।
भूखमरी से निपटने की जगह खतरनाक मिसाइलें हासिल करने में जुटे उत्तर कोरिया के तानाशाह किम-जोंग उन आर्थिक मोर्चे पर दाने-दाने को मोहताज हैं। इसके कारण तानाशाह ने लोगों को वर्ष 2025 तक ‘कम भोजन’ करने का आदेश दिया है।
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देश में बढ़ते खाद्य संकट की समस्या को जटिल होने को लेकर किम जोंग ने कई कारण गिनाए हैं। किम ने कहा कि आपूर्ति बाधित होने और कृषि क्षेत्र में लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन नहीं होने से देश में खाद्य संकट गहरा गया है। इससे देश में अनाज और अन्य जरूरी खाद्य सामग्री की कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं। इस साल भारी बारिश ने भी फसल को चौपट करने का काम किया। हालात की गंभीरता को भांपते हुए सत्ताधारी वर्कर पार्टी के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ने बैठक करके हालात पर मंथन किया है। इसके पहले अप्रैल को भी किम जोंग ने अधिकारियों से कहा था कि जनता को मुश्किलों से थोड़ी राहत देने के लिए फिर से एक ‘मुश्किल मार्च’ शरू करें। इस वाक्यांश का इस्तेमाल उत्तर कोरिया में 90 के दशक में किया गया था जब देश भारी अकाल से जूझ रहा था। इसमें करीब 30 लाख लोगों की मौत हुई थी। तब सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्तर कोरिया को मदद मिलनी बंद हो गई थी।
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तानाशाह की टीम से जुड़े एक स्रोत के मुताबिक किम ने यह भी साफ कर दिया है कि खाद्य संकट वर्ष 2025 तक जारी रहेगा। अधिकारियों ने बताया कि उत्तर कोरिया और चीन के बीच सीमापार व्यापार के अगले चार साल में शुरू होने की संभावना बहुत कम है। उत्तर कोरिया में खाद्यान्न संकट की प्रमुख वजह महामारी के कारण लॉकडाउन जैसे अन्य कड़े कदम से आपूर्ति बाधित हुई। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण उत्तर कोरिया का बाकी दुनिया से कट जाना भी प्रमुख कारण है। इसके अलावा, पिछले साल आए चक्रवाती तूफान का भी कृषि क्षेत्र पर असर पड़ा है।
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