अंतरराष्ट्रीय समुदाय में तीखी आलोचना हो रही
संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने कहा, सेना की कार्रवाइयों की अंतरराष्ट्रीय समुदाय में तीखी आलोचना हो रही है। संयुक्त राष्ट्र ने नागरिकों के खिलाफ हिंसा की तत्काल समाप्ति की मांग की। “नागरिकों की आबादी पर हवाई हमले का इस्तेमाल गहरी चिंता का विषय है और इसे तुरंत रोकना चाहिए। राखाइन राज्य में नागरिकों को लगातार संघर्षों का सामना करना पड़ा है, और कई लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं।
वैश्विक स्तर पर भी चिंता का कारण
म्यान्मार में सेना के हवाई हमलों और हिंसा से संबंधित कई घटनाएँ और मुद्दे हैं जो न केवल इस देश के भीतर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चिंता का कारण बनते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ संबंधित घटनाएँ और जानकारी:
म्यान्मार में सैन्य शासन और संघर्ष
म्यान्मार में 2021 में एक सैन्य तख्तापलट हुआ था, जिसके बाद सेना ने लोकतांत्रिक सरकार को अपदस्थ कर दिया और सत्ता अपने हाथों में ले ली। इसके बाद से देश भर में सेना और विपक्षी दलों के बीच संघर्ष जारी है, विशेषकर जातीय सशस्त्र समूहों और लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ। म्यांमार के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार हिंसा और अस्थिरता की स्थिति बनी हुई है, और नागरिकों को इस संघर्ष का सबसे अधिक खामियाजा उठाना पड़ रहा है।
राखाइन राज्य में संघर्ष
राखाइन राज्य म्यान्मार का एक संघर्षग्रस्त क्षेत्र है, जहां म्यांमार सेना और स्थानीय जातीय सशस्त्र समूहों, जैसे कि राखाइन आर्मी (AA) के बीच लगातार झड़पें होती रही हैं। राखाइन राज्य में कई जातीय समुदायों के बीच तनाव और हिंसा जारी है, और सेना की ओर से किए गए हवाई हमले लोगों की जान पर आफत बने हुए हैं।
संघर्षों के कारण नागरिकों की स्थिति
म्यान्मार में सैन्य संघर्षों और हवाई हमलों के कारण लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, म्यान्मार में लाखों लोग मानवीय सहायता की प्रतीक्षा कर रहे हैं, और कई गांवों और समुदायों में खाद्य संकट, चिकित्सा सुविधाओं की कमी और सुरक्षा की गंभीर समस्याएं हैं।
म्यान्मार की सेना कर रही मानवाधिकार उल्लंघन
म्यान्मार सेना पर अक्सर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया जाता है, जिसमें नागरिकों के खिलाफ हवाई हमलों का इस्तेमाल, गांवों को जलाना, और परिवारों के बीच विभाजन करना शामिल है। विशेष रूप से 2017 में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की स्थिति को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने म्यान्मार सेना की आलोचना की थी। इस हिंसा को कई देशों ने जातीय सफाया (ethnic cleansing) के रूप में देखा और इसकी जांच की मांग की थी।
मानवाधिकार संगठनों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
म्यान्मार की सेना की कार्रवाई पर वैश्विक स्तर पर लगातार आलोचना हो रही है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, और कई मानवाधिकार संगठनों ने म्यान्मार की सेना की ओर से नागरिकों के खिलाफ किए गए अत्याचारों की निंदा की है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। हालांकि, म्यान्मार के सैन्य शासन ने इन आलोचनाओं की उपेक्षा की है और अधिक सख्ती से अपनी कार्रवाई जारी रखी है।
लाखों नागरिकों की जिंदगी दांव पर
बहरहाल म्यान्मार में चल रहे संघर्षों के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और उन्हें तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है। इधर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने त्वरित आपातकालीन राहत की अपील की है, जिसमें खाद्य आपूर्ति, चिकित्सा सेवा, और सुरक्षा उपायों का समावेश है, लेकिन इन राहत कार्यों को म्यान्मार सरकार ने अक्सर बाधित किया है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। इन घटनाओं और संघर्षों ने म्यान्मार को एक गंभीर मानवीय संकट में डाल दिया है, जिसमें लाखों नागरिकों की जिंदगी दांव पर है।