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इस विलुप्त होती अनोखी चिड़िया को बचाएंगे मच्छर, जानिए कैसे?

हनीक्रीपर चिड़िया (Honeycreepers) ऊंचे पहाड़ों पर रहती है। कई हनीक्रीपर्स की प्रजातियों को सन् 1800 के दशक में मच्छरों से फैली बीमारी एवियन मलेरिया ने नष्ट कर दिया था। इस बीमारी के लिए प्राकृतिक प्रतिरक्षा नहीं होने के कारण हनीक्रीपर्स की संक्रमित मच्छरों के काटने से मौत हो जाती है।

नई दिल्लीJun 22, 2024 / 03:25 pm

Jyoti Sharma

Honeycreeper

अपने चमकीले रंग और अनोखी चोंच के लिए पहचाने जाने वाली दुर्लभ चिडिय़ा हनीक्रीपर (Honeycreeper) को बचाने के लिए हवाई द्वीप समूह में अनोखे प्रयास शुरू किए गए हैं। हेलिकॉप्टर से हर सप्ताह ढाई लाख मच्छरों (Mosquitoes) को वातावरण में छोड़ा जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि हनीक्रीपर को बचाने के लिए अंतिम प्रयास किया जा रहा है। उम्मीद है, हम इसमें कामयाब होंगे। हनीक्रीपर हवाई द्वीप समूह में पाई जाने वाली 50 से अधिक प्रजातियों और उप-प्रजातियों का समूह है। इनमें से 33 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। यह समूह विलुप्त होने के कगार पर है।

1800 के दशक में मच्छरों ने ही खत्म कर दी Honeycreeper चिड़िया

बता दें कि हनीक्रीपर्स ऊंचे पहाड़ों पर रहते हैं। कई हनीक्रीपर्स को 1800 के दशक में मच्छरों से फैले एवियन मलेरिया ने खत्म कर दिया था। इस बीमारी के लिए प्राकृतिक प्रतिरक्षा नहीं होने के कारण हनीक्रीपर्स की संक्रमित मच्छरों के काटने से मौत हो जाती है।

बैक्टीरिया से मिलेगी बचाने में सहायता

माउई के हेलेकाला राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी क्रिस वारेन ने बताया कि हनीक्रीपर्स को बचाने के लिए इस सप्ताह 2.5 लाख नर मच्छरों को हेलिकॉप्टर से जंगलों में छोड़ा गया। इनमें प्राकृतिक रूप से वोलबैचिया नाम का बैक्टीरिया पाया जाता है। यह जन्म दर रोकने में कारगर होता है। बैक्टीरिया जंगली मादा मच्छरों के अंडों को फूटने से रोकता है। इससे मच्छरों की आबादी कम की जा सकती है। इस प्रयास से हनीक्रपर्स को बचाया जा सकेगा। अब तक एक करोड़ मच्छरों को हेलिकॉप्टर से छोड़ा जा चुका है।
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