Meta ने किया क्या बदलाव?
Meta के CEO मार्क ज़करबर्ग ने घोषणा की है कि अमेरिका में फेसबुक-इंस्टाग्राम पर थर्ड पार्टी फैक्ट-चेकिंग खत्म की जा रही है। गलत तथ्यों को उजागर करने का काम अब आम यूजर ‘कम्युनिटी नोट्स’ जैसे मॉडल के तहत करेंगे। ये वही मॉडल है, जिसे एक्स (पहले ट्विटर) ने काफी पॉपुलर बनाया था।
क्या है ‘कम्युनिटी नोट्स’?
कम्युनिटी नोट्स एक क्राउडसोर्स्ड फैक्ट चेकिंग फीचर है, जिसे फेक न्यूज (Fake News Fact Check) के प्रसार की जांच के लिए डिजाइन किया गया है। इस फीचर को X पर पहले ‘बर्डवॉच’ कहते थे। इससे यूजर्स उन ट्वीट पर सहायक नोट्स जोड़ सकते हैं जो भ्रामक हैं। अमेरिका से शुरू करके इसे दुनियाभर में लागू किया जा चुका है।
फेक्ट चेकर्स प्रोग्राम क्या है?
मेटा थर्ड पार्टी फैक्ट चेकिंग के जरिए स्वतंत्र और प्रमाणित संगठन यानी फैक्ट चेकिंग पार्टनर्स के साथ काम करता है। भ्रामक फैक्ट ‘फैक्ट चेक्ड’ के रूप में मार्क कर दिए जाते हैं, पोस्ट फेसबुक और इंस्टाग्राम के फीड में कम दिखाई देती है या उस पर चेतावनी लगाई जाती है। अब अमेरिका में ये नहीं होगा।
आलोचकों का क्या कहना है?
कुछ आलोचक इस प्रोग्राम को बंद करने को डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति के रूप में ताजपोशी से पहले उन्हें खुश करने वाला कदम कह रहे हैं। वहीं, इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क IFCN ने चेताया है कि मेटा ने इसे दुनिया में लागू किया तो बहुत नुकसान होगा क्योंकि कई देशों में फेक न्यूज राजनीतिक अस्थिरता, चुनावी हस्तक्षेप से लेकर नरसंहार तक को बढ़ावा देती हैं।
भारत पर भी पड़ेगा असर?
भारत में अभी फैक्ट चेकर्स प्रोग्राम जारी है। मेटा 12 स्वतंत्र, सर्टिफाइड फैक्ट चेकिंग संगठनों को फंडिंग सहयोग देती है, जिसमें 15 भाषाओं की सामग्री कवर की जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोग्राम बंद होता है तो भ्रामक सूचनाओं के जाल में फंसने का जोखिम बढ़ेगा। एक समान एजेंडे या राजनीतिक पसंद वाले यूजर फैक्ट चेक को प्रभावित कर सकते हैं।