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पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने को मालदीव के राष्ट्रपति ने बताया सम्मान की बात, जानिए क्यों बदले मुइज्जू के सुर

Modi 3.0: पीएम नरेंद्र मोदी 9 जून को लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए कई देशों के नेताओं को भी बुलाया गया है। इनमें मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भी नाम शामिल है। पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का आमंत्रण मिलने पर मुइज्जू ने बड़ा बयान दिया है।

नई दिल्लीJun 08, 2024 / 03:32 pm

Tanay Mishra

Mohamed Muizzu says he would be honoured to attend PM Narendra Modi’s swearing in ceremony

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों में एनडीए (NDA) गठबंधन को 292 सीटें मिलने के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का तीसरी बार भारत (India) का प्रधानमंत्री बनना भी तय हो गया। पीएम मोदी 9 जून को शाम 7:15 बजे लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे जो एक ऐतिहासिक पल होगा। पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ देश के नेताओं को ही नहीं, विदेश के बड़े नेताओं को भी बुलाया गया है। पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए कई देशों के प्रधानमंत्रियों/राष्ट्रपतियों को आमंत्रण दिया गया है। इनमें मालदीव (Maldives) के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) का भी नाम शामिल है। अब मुइज्जू ने पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रण मिलने पर एक बड़ा बयान दिया है।

पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना सम्मान की बात

मुइज्जू ने पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का आमंत्रण स्वीकार कर लिया है। इस बारे में मुइज्जू ने कहा है कि पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना उनके लिए सम्मान की बात होगी। मुइज्जू ने पीएम मोदी की उनकी जीत के लिए भी बधाई दी थी और उनके साथ मिलकर दोनों देशों के लिए काम करने की इच्छा भी जताई थी।

क्यों बदले मुइज्जू के सुर?

जो मुइज्जू कुछ समय पहले तक भारत विरोधी बयान देने से पीछे नहीं हट रहे थे, अब वह भारत के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। मुइज्जू न सिर्फ पीएम मोदी को उनकी जीत के लिए बधाई दे रहे हैं बल्कि उनकी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने को सम्मान की बात भी बता रहे हैं। ऐसे में मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि आखिर मुइज्जू के सुर क्यों बदल गए? दरअसल जब से मुइज्जू ने भारत से पंगा लिया है तभी से मालदीव को काफी नुकसान हो रहा है। मालदीव की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से भारत के पर्यटकों पर निर्भर करती थी पर भारत से पंगा लेने के बाद देश के ज़्यादातर लोगों ने मालदीव का बहिष्कार कर दिया है। इस वजह से मालदीव की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है। इसके साथ ही कई दूसरे सेक्टर्स में भी मालदीव को काफी नुकसान पहुंचा है।

इतना ही नहीं, भारत लंबे समय से मालदीव का सबसे बड़ा मददगार रहा है। ऐसे में भारत ने आर्थिक रूप से भी मालदीव की मदद की है। इस समय मालदीव पर भारत से लिया बड़ा उधार बकाया है, जिसकी राशि 400.9 मिलियन डॉलर्स है, जिसकी भारतीय करेंसी में वैल्यू करीब 3300 करोड़ रुपये है। मालदीव को यह उधार इस साल के अंत तक चुकाना है। मुइज्जू इस उधार को चुकाने में भी राहत चाहते हैं। मुइज्जू अब यह भी समझ चुके हैं कि भारत से संबंध बिगाड़कर मालदीव को सिर्फ नुकसान ही झेलना पड़ेगा। इसी वजह से उनके सुर अब बदल गए हैं।

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