43 सालों बाद खाड़ी देश पहुंचे मोदी
कुवैत सिटी के शेख साद अल अब्दुल्ला इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं महज 2-2.5 घंटे पहले कुवैत पहुंचा हूं और यहां कदम रखने के बाद से ही मुझे हर तरफ एक असाधारण आत्मीयता और गर्मजोशी का एहसास हो रहा है। पीएम मोदी ने कहा, आज व्यक्तिगत रूप से, यह क्षण मेरे लिए बहुत खास है। चार दशक से अधिक समय के बाद, भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आप सभी के लिए भारत आने में चार घंटे लगते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के लिए चार दशक लग गए।रामायण-महाभारत के अरबी ट्रांसलेटर और पब्लिशर से मिले पीएम मोदी
यात्रा से पहले पीएम मोदी ने कहा, हम कुवैत के साथ ऐतिहासिक संबंधों को गहराई से महत्व देते हैं। हम न केवल मजबूत व्यापार और ऊर्जा साझेदार हैं, बल्कि पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि में भी हमारी साझा रुचि है। कुवैत सिटी पहुंचने पर प्रधानमंत्री ने सबसे पहले रामायण और महाभारत का अरबी भाषा में अनुवाद करने वाले अब्दुल्ला बैरन और उसे छापने वाले अब्दुल्ला लतीफ अलनेसेफ से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने मुलाकात के दौरान दोनों को इस शानदार काम के लिए बधाई भी दी। पीएम मोदी ने इसके पहले मन की बात कार्यक्रम में उनके काम की तारीफ की थी।कुवैत की आबादी में 21 फीसदी भारतीय
कुवैत में भारतीय दूतावास द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कुवैत की कुल आबादी में 21% और कुल कार्यबल में 30% भारतीय हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, 2023 तक यहां 1028274 भारतीय थे। इनमें से अधिकांश दक्षिण भारतीय राज्यों केरल, कर्नाटक, पंजाबी, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु से आते हैं।कुवैत-भारत में 10.47 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार
कच्चे तेल का छठा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता होने के साथ कुवैत भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार है। यह भारत की ऊर्जा जरूरतों का 3 प्रतिशत पूरा करता है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10.47 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। गौर करने की बात यह है कि भारतीय निर्यात साल-दर-साल 34.7 प्रतिशत बढ़ रहा है। दूसरी ओर कुवैत के सॉवरेन वेल्थ फंड, कुवैत इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी द्वारा भारत में 10 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया जा चुका है, जिससे देशों के बीच वित्तीय संबंध मजबूत हुए हैं। यह भी पढ़ें
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वर्तमान में कुवैत खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) का भी अध्यक्ष है। ऐसे में पीएम मोदी की इस यात्रा से बहरीन, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत से मिलकर बने इस प्रभावशाली समूह के साथ भारत के जुड़ाव को गहराई मिलने की उम्मीद है। 2022-23 में जीसीसी देशों के साथ भारत का व्यापार 184.46 बिलियन डॉलर का रहा, जो भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों के लिए इस क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है।
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इसलिए कुवैत पहुंचने में भारत के पीएम को 4 दशक लगे
भारतीय विदेश नीति में ऐतिहासिक रूप से दक्षिण एशिया में अपने निकटतम पड़ोसियों (जैसे, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका) और अमरीका, रूस और चीन जैसी प्रमुख शक्तियों को प्राथमिकता दी गई है। ऐसे में शीत युद्ध के दौरान भारत गुटनिरपेक्ष नीति और रणनीतिक कारणों से सोवियत संघ की ओर झुका हुआ था। जबकि कुवैत का झुकाव पश्चिम, विशेष रूप से अमरीका के साथ जुड़ा रहा। ऐसे में भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने कुवैत यात्रा को तवज्जो नहीं दी। इससे पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1981 में कुवैत की यात्रा की थी।कुवैत में मोदी के मुख्य इवेंट
—26वें अरेबियन गल्फ कप के उद्घाटन समारोह में होंगे शामिल—भारतीय समुदाय के एक लेबर कैंप का दौरा
—कुवैत के शीर्ष नेतृत्व अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह से मुलाकात