कार में राष्ट्रपति भवन जाया करते थे
जोस 2010 से 2015 तक देश के राष्ट्रपति रहे, जोस अपनी तनख्वाह (4000 डॉलर) का 90% हिस्सा चैरिटी संगठनों को दान कर दिया करते थे। वह अपनी राष्ट्रपति पद के दौरान एक छोटे से फार्म पर, एक साधारण घर में अपनी पत्नी और अपनी कुतिया के साथ रहते थे। वह 1987 मॉडल की वोक्सवैगन कार में राष्ट्रपति भवन जाया करते थे। नवंबर 2014 में एक “धनी अरब” ने इस कार को खरीदने के लिए जोस को दस लाख डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन जोस ने उसे बेचने से मना कर दिया था।
जब तक जीवित हैं, तब तक कार उनके घर के गैरेज में ही रहेगी
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि जब तक वह जीवित हैं, तब तक यह कार उनके घर के गैरेज में ही रहेगी। जहां तक जोस की बीमारी का सवाल है, तो उनकी कीमोथेरेपी के 32 सत्र हो चुके हैं। उनकी ट्यूमर गायब हो गई थी, लेकिन दो महीने पहले वह फिर से लौट आई और जिगर को भी प्रभावित कर लिया। दुनिया के इस सबसे गरीब राष्ट्रपति ने यह साफ कर दिया कि वह अब और साक्षात्कार नहीं देंगे और भविष्य में कहीं भी सार्वजनिक रूप से नहीं दिखाई देंगे। पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में जोस ने अपनी यह इच्छा व्यक्त की कि वह अपने फार्म पर मरना चाहते हैं और उनका अंतिम विश्राम स्थल फार्म हाउस की मिट्टी के नीचे उनकी कुतिया मानवेला के पास होना चाहिए। उरुग्वे के पूर्व राष्ट्रपति जोस मुझिका का जीवन परिचय
पूरा नाम: जोस अल्वारो मुझिका कوردानो
जन्म: 20 मई 1935, मोंटेवीडियो, उरुग्वे
पद: उरुग्वे के राष्ट्रपति (2010-2015)
पार्टी: कद्दो (फ्रंट) पार्टी
जोस मुझिका का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जोस मुझिका का जन्म उरुग्वे की राजधानी मोंटेवीडियो में हुआ था। उनका बचपन साधारण था और उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत एक किसान के रूप में की। उन्होंने अपनी शिक्षा स्थानीय स्कूलों से प्राप्त की और युवा अवस्था में ही उन्होंने राजनीति में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी।
जोस मुझिका, क्रांतिकारी और राजनैतिक जीवन
मुझिका ने 1960 के दशक में उरुग्वे की वामपंथी क्रांतिकारी गुट “तुंबलैंडो” से जुड़ने का निर्णय लिया। यह गुट उरुग्वे सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष कर रहा था। मुझिका ने इस गुट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और 1970 के दशक में उरुग्वे की सेना के हाथों गिरफ्तार हो गए। उन्हें 13 साल तक जेल में रखा गया, जिसमें उन्होंने करीब 2 साल को अलग-थलग (सोलिटरी कंफाइनमेंट) में बिताया। जेल में रहते हुए मुझिका ने कई किताबें पढ़ीं और आत्मनिर्भरता की दिशा में विचार किए। जेल से रिहा होने के बाद मुझिका ने 1980 के दशक के अंत में राजनीति में सक्रिय भागीदारी शुरू की और उन्होंने कद्दो पार्टी (फ्रंट) में शामिल होकर कार्य किया। 1994 में, उन्होंने संसद सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा और सफल हुए। इसके बाद उन्होंने उरुग्वे की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जोस मुझिका की राष्ट्रपति बनने की यात्रा
जोस मुझिका सन 2010 में उरुग्वे के राष्ट्रपति बने। मुझिका का राष्ट्रपति बनने का रास्ता एक असामान्य था, क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद किसी भी प्रकार की भव्यता को नकारा। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में रहने से मना कर दिया और एक साधारण घर में अपनी पत्नी और कुत्ते के साथ रहे। मुझिका ने अपनी सारी तनख्वाह का बड़ा हिस्सा चैरिटी में दान कर दिया। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई सामाजिक सुधार लागू किए, जिनमें समलैंगिक विवाह की अनुमति, मादक पदार्थों के निजी उपयोग की वैधता, और गरीबों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी शामिल थी।
जोस मुझिका और गरीब राष्ट्रपति का खिताब
मुझिका को “दुनिया का सबसे गरीब राष्ट्रपति” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन में हमेशा सादगी को प्राथमिकता दी। वे राष्ट्रपति बनने के बाद भी अपनी 1987 मॉडल की वोक्सवैगन बीटल कार में सफर करते थे और अपनी तनख्वाह का 90% हिस्सा चैरिटी में दान करते थे।
जोस मुझिका, स्वास्थ्य और अंतिम समय
जोस मुझिका का राजनीतिक करियर और समाज में योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा, लेकिन वे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। 2025 में, उन्होंने कैंसर के खिलाफ लड़ाई में हार मान ली और अपनी अंतिम इच्छा के रूप में यह कहा कि वे अपने फार्म हाउस पर मरना चाहते हैं।
जोस मुझिका का योगदान
मुझिका का जीवन उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी सादगी, ईमानदारी, और विचारधारा के माध्यम से समाज में बदलाव ला सकता है। उनका योगदान न केवल उरुग्वे, बल्कि पूरी दुनिया में एक प्रेरणा बनकर रहा।
उरुग्वे में भारतीयों की तादाद
उरुग्वे में भारतीयों की संख्या लगभग 2,000 से 3,000 के आसपास है। भारतीय समुदाय के लोग मुख्य रूप से व्यापार, शिक्षा और अन्य पेशेवर क्षेत्रों में सक्रिय हैं। उरुग्वे में भारतीयों की संख्या बहुत अधिक नहीं है, लेकिन वे धीरे-धीरे इस देश में अपने सांस्कृतिक और व्यापारिक योगदान के लिए पहचाने जा रहे हैं।