दरअसल, जो बिडेन आगामी गुरुवार और शुक्रवार को वर्चुअल समिट का आयोजन करने वाले हैं। उन्होंने भारत, पाकिस्तान, नेपाल और मालदीव के अलावा दक्षिण एशियाई देशों सहित 100 से अधिक देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। व्हाइट हाउस ने चीन और रूस को निमंत्रण नहीं भेजा, लेकिन ताइवान को निमंत्रण दिया गया है, जिस पर बीजिंग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
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यह कहा गया है कि व्हाइट हाउस ने आमंत्रित लोगों से उनकी भागीदारी की पुष्टि करने के लिए कहा था। पाकिस्तान पिछले हफ्ते इसकी घोषणा करने वाला था, लेकिन आंतरिक परामर्श की वजह से इसमें देरी हुई। राजनयिक सूत्रों के अनुसार सोमवार तक पाकिस्तान ने व्हाइट हाउस को आधिकारिक रूप से कोई जवाब नहीं दिया था।
अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर मतभेदों से पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद खान द्वारा दिए गए कुछ बयानों को व्हाइट हाउस ने पसंद नहीं किया है। एक अन्य कारण जिससे अमेरिकी निमंत्रण पर अंतिम निर्णय में देरी हो रही है, वह रिपोर्ट है कि अमरीकी ट्रेजरी लोकतंत्र को कमजोर करने वाले लोगों के खिलाफ प्रतिबंध लगाएगी।
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मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन और भ्रष्टाचार में शामिल लोगों पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा। हालांकि, एक राजनयिक सूत्र ने स्पष्ट किया कि शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का मतलब यह नहीं है कि देश को किसी भी प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा।