स्लिम लैंडर 20 जनवरी को चांद की सतह पर उतरा था। इसने सटीक लैंडिंग की थी। रिजर्व बैटरी के दम पर कुछ घंटे चलने के बाद यह बंद हो गया। सूर्य की रोशनी की दिशा बदलने पर लैंडर ने 28 जनवरी को बिजली बनानी शुरू कर दी थी। तब इससे फिर संपर्क हुआ था।
पिछले साल अगस्त में भारत के चंद्रयान-3 यान के चांद की सतह पर उतरने के कुछ दिन बाद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान स्लीप मोड में चले गए थे। इसरो को उम्मीद थी कि ये फिर सक्रिय होंगे, लेकिन 14 रातें बीतने के बाद ऐसा नहीं हुआ। चांद पर रात को कड़ाके की सर्दी में रोवर्स का संचालन कठिन हो जाता है। वे अपने इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट्स की सुरक्षा के लिए स्लीप मोड में चले जाते हैं।