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हमास के खिलाफ इज़रायल पर लगा गाज़ा में सफेद फॉस्फोरस बम इस्तेमाल करने का आरोप, जानिए कितना खतरनाक है यह हथियार

Israel-Hamas War: इज़रायल और हमास के बीच चल रही जंग तेज़ होती जा रही है। हमास के रॉकेट अटैक का जवाब इज़रायल लगातार गाज़ा स्ट्रिप और उसके आसपास एयर स्ट्राइक्स के ज़रिए दे रहा है। हाल ही में इज़रायल पर इस युद्ध में कुछ बेहद ही खतरनाक करने का आरोप लगा है। क्या है इज़रायल पर लगा यह आरोप? आइए जानते हैं।

Oct 11, 2023 / 01:51 pm

Tanay Mishra

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Israeli air strike on Gaza

इज़रायल (Israel) और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास (Hamas) के बीच चल रही जंग तेज़ हो गई है। 7 अक्टूबर को हमास ने गाज़ा स्ट्रिप (Gaza Strip) से इज़रायल पर अब तक का सबसे बड़े रॉकेट अटैक किया था। हमास के अनुसार इज़रायल पर करीब 5,000 रॉकेट्स दागे गए थे। हमास के इस हमले से इज़रायल में मरने वालों का आंकड़ा 1,200 पार कर चुका है। हमास ने करीब 200 लोगों को बंधक भी बना लिया है, जिनमें महिलाएं और बच्चें भी शामिल हैं। दूसरी तरफ इज़रायल की गाज़ा स्ट्रिप पर जवाबी कार्रवाई में करीब 1,000 फिलिस्तीनियों की अब तक मौत हो चुकी है। दोनों पक्षों की तरफ से जंग जारी है। पर हाल ही में इस युद्ध में इज़रायल पर एक खतरनाक हथियार के इस्तेमाल का आरोप लगा है।


क्या है आरोप?

इज़रायल की सेना ताबड़तोड़ गाज़ा स्ट्रिप और उसके आसपास के इलाकों पर एयर स्ट्राइक कर रही है। हाल ही में इज़रायल की सेना पर आरोप लगा है कि इज़रायल की सेना आबादी वाले इलाकों में सफेद फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल कर रही है।

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क्यों होते हैं ये बम बेहद खतरनाक?

सफेद फॉस्फोरस एक बेहद ही खतरनाक केमिकल होता है। ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही सफेद फॉस्फोरस जलने लगता है। इसे जहाँ इस्तेमाल किया जाता है वहाँ की पूरी ऑक्सीज़न को यह सोख लेता है और तब तक जलता रहता है जब तक उस इलाके की ऑक्सीज़न पूरी तरह से खत्म हो जाए। इसके धुएं का गुबार आसमान में फैल जाता है। इसके संपर्क में आने पर इंसानों को जलन महसूस होने लगती है और ऑक्सीज़न की कमी से मौत तक हो जाती है। ऐसे में ये बेहद ही खतरनाक होते हैं। अगर किसी तरह इस बम के संपर्क में आने से व्यक्ति बच भी जाए तो उसे गंभीर संक्रमण हो सकता है जिस वजह से हार्ट, लिवर, किडनी को काफी नुकसान हो सकता है और साथ ही शरीर में और भी कई परेशानियाँ हो सकती हैं।

घनी आबादी वाले इलाकों में प्रतिबंधित

ज़्यादा आबादी वाले रिहायशी इलाकों में सफेद फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। 1980 में जिनेवा कन्वेंशन में सफेद फॉस्फोरस बम के घनी आबादी और रिहायशी इलाकों में इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया गया था। 115 देशों ने सफेद फॉस्फोरस बम के कम से कम इस्तेमाल पर तब हस्ताक्षर किए थे। ज़्यादा आबादी या रिहायशी इलाकों में इस बम का इस्तेमाल करना केमिकल अटैक माना जाता है। हालांकि इजरायल ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।

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