विदेश

Iran Election Explainer : क्यों सवालों के घेरे में ईरान के संसदीय चुनाव

आज ईरान के संसदीय चुनाव हैं। यहां की 290 सीटों के लिए आज वोटिंग हो रही है। लेकिन इन चुनावों पर दुनिया के देशों ने कई सवाल खड़े किए हैं कि ये चुनाव कितने स्वतंत्र और निष्पक्ष होने वाले हैं।

Mar 01, 2024 / 09:24 am

Jyoti Sharma

Iran Election

अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और आर्थिक संकट से घिरे ईरान (Iran) में आज संसद की 290 सीटों के लिए वोटिंग होगी। साथ ही लोग 88 सीटों वाली असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के लिए भी मतदान करेंगे। सितंबर 2022 में हिजाब नियमों के उल्लंघन में 22 साल की महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद यह पहला संसदीय चुनाव (Iran Election) है। अमिनी की मौत के बाद बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए जिसमें दर्जनों सुरक्षाकर्मियों सहित सैकड़ों लोग मारे गए। आखिर ईरान में कितने स्वतंत्र और निष्पक्ष होते हैं चुनाव?
मतदाता क्या सोचते हैं?

हर चार साल में संसदीय चुनाव और हर आठ साल में असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के चुनाव होते हैं। सड़कों पर चुनावी विज्ञापनों की भरमार के बावजूद ईरान के चुनावी माहौल में उत्साह की कमी है, वो बात नहीं दिख रही जो आमतौर पर चुनावों में दूसरे देशों में देखी जाती हैं। ये मतदाताओं की उदासीनता को दर्शाता है। कुछ सरकारी सर्वेक्षणों से पता चलता है कि आधे प्रतिभागियों को ये भी पता नहीं था कि दो चुनाव हो रहे हैं। पिछले 11 संसदीय चुनावों की तुलना से पता चलता है कि 2020 में हुए पिछले चुनाव में सबसे कम 42% मतदान हुआ था। संसद में दो दशकों से कट्टरपंथियों का वर्चस्व है। पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी (Muhammad Khatami) ने हाल में कहा, ‘ईरान स्वतंत्र और प्रतिस्पर्धी चुनावों से बहुत दूर है।’
कैसे खड़े हुए उम्मीदवार?

चुनावों में उम्मीदवार ‘गार्डियन काउंसिल’ की मंजूरी के बाद ही खड़े हो सकते हैं। 290 सीटों के लिए 15,200 उम्मीदवारों में से नरमपंथी खेमे के केवल 30 उम्मीदवारों को ही मंजूरी मिली है। काउंसिल में 12 सदस्य होते हैं, जिन्हें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर ईरान का सुप्रीम लीडर चुनता है। काउंसिल की मंजूरी के बिना न आर्मी कोई फैसला कर सकती है, न न्यायपालिका। यहां तक कि इसमें संसद के बनाए कानूनों को खारिज करने तक की ताकत है।
असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स का क्या काम?

असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स 88 सदस्यों की मजबूत संस्था है, जिसमें इस्लामिक शोधार्थी और उलेमा शामिल होते हैं। संस्था का काम सुप्रीम लीडर का चुनाव करना है। यह चाहे तो सुप्रीम लीडर को बर्खास्त भी कर सकती है लेकिन ऐसा आज तक हुआ नहीं। इस्लामी गणतंत्र की स्थापना करने वाले अयातुल्ला रूहुल्लाह खुमैनी (Ruhollah Khomeini) की मृत्यु के बाद 1989 से ईरान के सुप्रीम लीडर के पद पर 84 वर्षीय अयातुल्ला अली खामेनेई (Ali Khamenei) काबिज हैं। जिनका देश के सभी मामलों में अंतिम निर्णय होता है।
ये भी पढ़ें- Russia-Ukraine War: परमाणु युद्ध ही है अब आखिरी रास्ता! रूस ने यूक्रेन बॉर्डर पर तैनात किए न्यूक्लिर हथियार

Hindi News / world / Iran Election Explainer : क्यों सवालों के घेरे में ईरान के संसदीय चुनाव

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.