INSTC: रूस की राष्ट्रीय रेलवे कंपनी के अनुसार, रूस ने पहली बार इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के माध्यम से कोयले से भरी दो ट्रेनें भारत भेजी हैं, जो रूस को ईरान के माध्यम से भारत से जोड़ती हैं। यह कॉरिडोर कई देशों को जोड़ कर समंदरों की दूरी आधी कर देगा।
रूस ने कोयले से भरी दो ट्रेनें भारत भेजीं
रूस ने हाल ही में पहली बार INSTC से कोयले से भरी दो ट्रेनें भारत भेजी हैं। यह कंसाइनमेंट (Consignment) रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह होते हुए मुंबई बंदरगाह तक 7,200 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करेगा। यह एक मल्टीमॉडल मार्ग है, जिसमें रेलवे, सड़क नेटवर्क और बंदरगाह शामिल हैं, INSTC भारत में सेंट पीटर्सबर्ग से मुंबई के बंदरगाह तक 7,200 किमी (4,500 मील) तक फैला है।
इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का मार्ग ऐसे समझें।
इस रास्ते से कई देश जुड़े
जानकारी के अनुसार इंग्लैंड के सेंट पीटर्सबर्ग, रूस के मास्को स्पेन, ईरान के तेहरान, पाकिस्तान, मिस्र व सूडान से होते हुए भारत के मुंबई तक एक लंबा इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) बनेगा। यह कॉरिडोर रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से शुरू होकर दक्षिणी ईरान के बंदरगाहों से होते हुए भारत के मुंबई तक 7,200 किलोमीटर तक फैला है। यह एक व्यापारिक मार्ग है जो यूरोप को बायपास करेगा। वहीं यह भूमध्य सागर और स्वेज नहर के माध्यम से रूस तक मौजूदा मार्ग की लंबाई को भी लगभग आधा कर देगा।
नया रास्ता रूस के प्रयास का हिस्सा
दरअसाल यह गलियारा पश्चिमी प्रतिबंधों के आलोक में नए परिवहन मार्गों को खोजने के लिए रूस के प्रयास का हिस्सा है, जिसने उसे व्यापार प्रवाह को यूरोप से एशिया और मध्य पूर्व में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया है। “पहली बार, कुजबास कोयले से भरी दो ट्रेनें अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के साथ भारत की ओर बढ़ी हैं।
रूस और यूरोप से जोड़ेगा
पिछले महीने, भारत ने शुरुआती 10 साल की अवधि के लिए ईरान के चाबहार बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया। यह सौदा आईएनएसटीसी के लिए एक प्रोत्साहन है क्योंकि बंदरगाह आईएनएसटीसी में एक प्रमुख नोड के रूप में काम करेगा।
कनेक्टिविटी का चेहरा बदलेगा
यह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी का चेहरा बदल देगा, मध्य एशिया और अफगानिस्तान के भूमि से घिरे देशों के साथ व्यापार करेगा और एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा जो इस क्षेत्र को रूस और फिर यूरोप से जोड़ेगा। आईएनएसटीसी भारतीय व्यापारियों को अधिक आसानी और अधिक लागत प्रभावी ढंग से मध्य एशिया तक पहुंचने की अनुमति देगा।
INSTC क्या है?
INSTC 7,200 किलोमीटर लंबा मल्टीमोड ट्रांज़िट रूट है, जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के रास्ते कैस्पियन सागर से और फिर रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के रास्ते उत्तरी यूरोप से जोड़ता है। यह भारत, ईरान, अज़रबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल के परिवहन के उद्देश्य से जहाज़, रेल और सड़क मार्गों को जोड़ता है।
त्रिपक्षीय समझौते के तहत
इसे 12 सितंबर 2000 को सेंट पीटर्सबर्ग में सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2000 में यूरो-एशियाई परिवहन सम्मेलन में ईरान, रूस और भारत द्वारा हस्ताक्षरित एक त्रिपक्षीय समझौते के तहत शुरू किया गया था।
कई सदस्य देश
वर्तमान में इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) की सदस्यता में 10 और देश (कुल 13) शामिल हो गए हैं जिनमें अज़रबैजान, आर्मेनिया, कज़ाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, यूक्रेन, सीरिया, बेलारूस और ओमान शामिल हैं।
मार्ग और मोड
सेंट्रल कॉरिडोर: यह मुंबई में जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह से शुरू होता है और होर्मुज़ जलडमरूमध्य पर बंदर अब्बास बंदरगाह (ईरान) को जोड़ता है। इसके बाद यह नौशहर, अमीराबाद और बंदर-ए-अंज़ाली से होता हुआ ईरानी क्षेत्र से गुज़रता है और कैस्पियन सागर से होते हुए रूस में ओल्या और अस्त्राखान बंदरगाह तक विस्तारित होता है।
पश्चिमी कॉरिडोर
यह अस्तारा (अज़रबैजान) और अस्तारा (ईरान) के सीमा-पार नोडल बिंदुओं से अज़रबैजान के रेलवे नेटवर्क को ईरान से जोड़ता है और आगे समुद्री मार्ग के माध्यम से भारत में जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह से जुड़ता है।
पूर्वी कॉरिडोर
यह कज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के माध्यम से रूस को भारत से जोड़ता है।
भारत के लिए INSTC का महत्त्व
INSTC भारत को होर्मुज जलडमरूमध्य और लाल सागर (स्वेज नहर मार्ग) जैसे अवरोध बिंदुओं को पार करने की अनुमति देता है, जिससे उसका व्यापार अधिक सुरक्षित हो जाता है। इजराइल-हमास संघर्ष और दक्षिणी लाल सागर में जहाजों पर हूती हमलों ने वैकल्पिक व्यापार मार्गों के महत्व को उजागर किया है। इसके जरिये भारत पाकिस्तान और अस्थिर अफगानिस्तान को दरकिनार कर मध्य एशिया तक पहुंच सकता है।
मध्य एशिया के साथ बेहतर संपर्क
यह भारत को रूस, काकेशस और पूर्वी यूरोप के बाजारों से जोड़ता है और “कनेक्ट सेंट्रल एशिया” जैसी पहलों के माध्यम से मध्य एशियाई गणराज्यों के साथ व्यापार, ऊर्जा सहयोग, रक्षा, आतंकवाद-रोधी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान सुविधाजनक बनाता है। स्वेज नहर मार्ग की तुलना में INSTC से पारगमन समय में 20 दिन की कमी आती है और माल ढुलाई लागत में 30% की कमी आती है।
ऊर्जा सुरक्षा
ईरान और अफगानिस्तान संबंध
INSTC रूस और मध्य एशिया में ऊर्जा संसाधनों तक भारत की पहुँच को सुगम बनाता है और मध्य पूर्व पर निर्भरता को कम कर सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस से धातुकर्म कोयले का आयात तीन गुना बढ़ गया है, और ऑस्ट्रेलिया से आयात में गिरावट के बीच इसके और बढ़ने की उम्मीद है। भारत ने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में चाबहार बंदरगाह में निवेश किया है और INSTC के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसका उद्देश्य मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार को सुविधाजनक बनाना है। चाबहार बंदरगाह भारत, ईरान और अफगानिस्तान के लिये आवश्यक है क्योंकि यह क्षेत्र में सीधे समुद्री पहुँच और व्यापार के अवसर प्रदान करता है।
INSTC और चुनौतियां
चीन के बैल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) के विपरीत, जिसके समर्पित वित्तपोषण संस्थान हैं, INSTC को विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे प्रमुख संस्थानों से पर्याप्त वित्तीय वित्त पोषण नहीं मिलता है।
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध
वर्ष 2018 में संयुक्त व्यापक कार्य योजना (Joint Comprehensive Plan of Action- JCPOA) से अमरीका के हटने के बाद ईरान पर लगाए गए कठोर प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप कई वैश्विक कंपनियां ईरान में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से हट गईं।
मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताएं
मध्य एशिया में इस्लामिक स्टेट (Islamic State- IS) जैसे आतंकवादी संगठनों की उपस्थिति इस गलियारे पर एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा खतरा पैदा करती है, जो निवेश और मार्ग के सुचारू संचालन को बाधित कर सकती है।
विभेदक टैरिफ और सीमा शुल्क
सदस्य देशों में सीमा शुल्क विनियमों और टैरिफ संरचनाओं में असमानताएं माल की आवाजाही के लिए जटिलताएं और देरी पैदा करती हैं।
असमान बुनियादी ढांचा विकास
इस गलियारे में परिवहन के विभिन्न साधनों (जहाज, रेल व सड़क) का उपयोग किया जाता है। सदस्य देशों में असमान बुनियादी ढांचे का विकास, विशेष रूप से ईरान में अविकसित रेल नेटवर्क, अड़चनें पैदा करता है और माल की निर्बाध आवाजाही में बाधा डालता है। गलियारे और इसके व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने के लिए संयुक्त कार्य योजना का अभाव है।
आगे की राह
सक्रिय दृष्टिकोण: INSTC की सफलता के लिए विशेष रूप से संस्थापक सदस्यों भारत और रूस का सक्रिय दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है। इसमें संयुक्त विपणन प्रयास, बुनियादी ढांचे के विकास की पहल और राजनीतिक बाधाओं को दूर करने के लिए कूटनीतिक प्रयास शामिल हो सकते हैं।
वित्त पोषण अंतराल
बुनियादी ढांचे के विकास और गलियारे के रखरखाव के लिये पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है। क्षेत्र में बेहतर सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता के माध्यम से जोखिमों को कम कर के निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।
सीमा शुल्क और शुल्कों को सुव्यवस्थित करना
सामंजस्यपूर्ण सीमा शुल्क व्यवस्था लागू करने और पारस्परिक मान्यता समझौतों को लागू करने से प्रक्रियाएं सरल हो जाएंगी और माल की आवाजाही में तेजी आएगी।
अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा
INSTC कॉरिडोर में भारत, रूस, ईरान और बाल्टिक और स्कैंडिनेवियाई देशों के बीच एक मजबूत व्यापार संबंध बनाने की क्षमता है। यह अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा दे सकता है। वहीं शामिल देशों के बीच संबंधों को बेहतर बना सकता है और मध्य एशिया में चीन के प्रभाव का मुकाबला कर सकता है। हालांकि, नौकरशाही और क्षेत्रीय संघर्ष जैसी चुनौतियां को INSTC की सफलता के लिए काम में लेने की आवश्यकता है।