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INSTC: रूस से भारत तक बन रही सीधी सड़क, जानिए कैसे चीन की BRI को टक्कर देगा ये कॉरिडोर

INSTC: भारत अब रूस से सीधे कनेक्ट होने जा रहा है। जिससे रूस और भारत के बीच व्यापार और तेजी से होगा। मज़े की बात ये है कि रूस और भारत के इस कनेक्शन के बीच में ईरान भी है जो इस वक्त पश्चिम समेत पूरी दुनिया की आंखों का कांटा बना हुआ है।

नई दिल्लीJul 13, 2024 / 05:36 pm

Jyoti Sharma

Narendra Modi,, Vladimir Putin And Xi Jinping

INSTC: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस तीसरे कार्यकाल में भारत वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूती को बढ़ाता ही जा रहा है। भारत की ताकत और इसके बढ़ते कद का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका समेत पश्चिम के रूस पर तमाम प्रतिबंधों के बावजूद वे (Narendra Modi) राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मिलने के लिए दो दिन के लिए रूस चले गए थे। पीएम मोदी की ये यात्रा रूस (Russia) के साथ भारत के साथ गहरे होते संबंधों की निशानी है। इन संबंधों को और गहरा करने के लिए भारत अब रूस से सीधे कनेक्ट होने जा रहा है। जिससे रूस और भारत के बीच व्यापार (Russia India Trade) और तेजी से होगा। मज़े की बात ये है कि रूस और भारत के इस कनेक्शन के बीच में ईरान (Iran) भी है जो इस वक्त पश्चिम समेत पूरी दुनिया की आंखों का कांटा बना हुआ है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया के इतने प्रतिबंधों के बावजूद भारत कौन से कनेक्शन की बात कर रहा है, कैसे इस पर काम कर रहा है और ऐसा क्यों कर रहा है?

रूस से भारत के बीच सीधी सड़क

दरअसल हम जिस कनेक्शन की बात कर रहे हैं वो कनेक्शन है भारत और रूस के बीच की दूरी को कम करने वाले एक कॉरिडोर का…जिसका नाम है अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा यानी International North South Transport Corridor (INSTC)। ये कॉरिडोर एक ऐसा रास्ता है जिससे रूस और भारत के बीच एक सीधा रास्ता बनेगा। जहां किसी तरह की कोई रोक-टोक नहीं होगी, रूस से भारत पहुंचने में समय कम लगेगा और लागत कम आएगी। इस कॉरिडोर में जमीन और पानी दोनों पर रास्ता बनाया जा रहा है। यानी इस कॉरिडोर में सड़क मार्ग, रेल मार्ग और समुद्री मार्ग शामिल है।

कहां से कहां तक जाएगा ये INSTC

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor – INSTC) एक बहु-मोडल परिवहन परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत, रूस, ईरान, यूरोप और मध्य एशिया के बीच परिवहन नेटवर्क को मजबूत करना है। यह परियोजना 2000 में शुरू की गई थी। इस गलियारे का मुख्य उद्देश्य एशिया और यूरोप के बीच माल परिवहन को तेज और सस्ता बनाना है।
इस कॉरिडोर से भारत को बहुत बड़ा फायदा मिलने वाला है। क्योंकि अभी भारत और यूरोप से व्यापार करने के लिए एक बहुत बड़े और समय बर्बाद करने वाले रास्ते का सहारा लेना पड़ता है। जैसे रूस से कोई समान भारत में आना है तो पहले ये सामान स्वेज नहर के रास्ते करीब 16000 किमी की दूरी तय कर भारत पहुंचता। पहले ये रूस से सेंट पीटर्सबर्ग से मालवाहक जहाज से कैस्पियन सागर जाता। फिर वहां स्थित अस्त्राखान बंदरगाह पर जाता। इसके बाद ये माल ईरान के उत्तरी बंदरगाह अंजाली तक पहुंचता। इसके बाद माल को सड़क मार्ग से फारस की खाड़ी पर स्थित बंदर अब्बास बंदरगाह ले जाया जाता। यहां से ये सामान समुद्री मार्ग से भारत के नवी मुंबई आता। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 50 दिन यानी 2 महीने लग जाते हैं। 
INSTC
वहीं अगर INSTC मार्ग से ये सामान आता तो 2 महीने की जगह एक महीने से भी कम समय यानी लगभग 25 दिन में ये माल भारत आ जाता। इस नए रूट का दूरी सिर्फ 10 हजार 371 किमी है जबकि पुराने रूट की दूरी 16 हजार किमी है। बता दें कि इस कॉरिडोर का पश्चिमी हिस्सा बन चुका है जो भारत को सीधे यूरोप से जोड़ता है। जबकि इसका पूर्वी हिस्सा अभी बन रहा है। जिसे यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड दि पैसिफिक बना रहा है।
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