भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की संवेदना
विदेश मंत्रालय ने कहा, हम मृतकों के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। मॉस्को स्थित हमारा दूतावास उनके परिवारों के संपर्क में है और हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। विदेश मंत्रालय रूस के अधिकारियों से लगातार संपर्क में है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हम पार्थिव शरीर जल्द से जल्द भारत लाने के लिए रूसी अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं। हमने घायल व्यक्ति को भी जल्द से जल्द छुट्टी देने और भारत वापस भेजने की मांग की है।’ उन्होंने कहा कि यह मामला मॉस्को में रूसी अधिकारियों के साथ-साथ नई दिल्ली में रूसी दूतावास के समक्ष भी जोरदार तरीके से उठाया गया है। हमने शेष भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई की अपनी मांग भी दोहराई है।
अब तक 10 लोगों की हो चुकी मौत
ध्यान रहे कि पिछले साल छह दिसंबर को संसद में दिए गए जवाब में विदेश मंत्रालय ने बताया था कि रूस में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें उत्तर प्रदेश और गुजरात से दो-दो, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, तेलंगाना, केरल और ओडिशा से एक-एक व्यक्ति शामिल है। जानकारी के अनुसार यह संभवतः 11वीं ऐसी मौत है।
पीएम मोदी ने पुतिन से की थी बात
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जुलाई में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष रूसी सेना में लड़ रहे भारतीयों का मामला उठाने का दावा किया था, तब रूस ने अपनी सेना में लड़ रहे ऐसे सभी भारतीयों को शीघ्र रिहा करने का वादा किया था।
विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कही थी ये बात
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अगस्त में संसद में कहा था कि सरकार रूस के इस दावे का समर्थन नहीं करती कि भारतीयों ने जानबूझ कर रूसी सेना के साथ अनुबंध किए हैं। जवाब में रूसी दूतावास ने कहा था कि मॉस्को किसी भी भर्ती प्रयास में शामिल नहीं रहा है, खासकर सैन्य सेवा के लिए भारतीय नागरिकों को भर्ती करने की ‘धोखाधड़ी योजनाओं’ में शामिल नहीं है। इसने यह भी दावा किया कि रूसी रक्षा मंत्रालय ने अप्रेल 2024 से भारत सहित कई विदेशी देशों के नागरिकों को रूसी सशस्त्र बलों में सैन्य सेवा में प्रवेश देने पर रोक लगा दी है।
अगस्त तक आठ भारतीय नागरिकों की मौत
भारत के विदेश मंत्रालय ने अगस्त महीने की शुरुआत में संसद में बताया था कि इस युद्ध में अब तक आठ भारतीय नागरिकों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 69 को रूसी सेना से जल्द रिहाई मिलने का इंतजार है। अगस्त महीने में ही पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई परिवार राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इन परिवारों ने सरकार से गुहार की कि सरकार रूसी सेना में फंसे उनके परिजनों को जल्द से जल्द रिहा करवाए। इसके बाद सितंबर महीने में चार भारतीय नागरिक स्वदेश लौट आए थे, जिन्हें धोखा देकर एक निजी रूसी सेना में भर्ती किया गया था और रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए मजबूर किया गया था।
भारत कहता रहा और रूस अनसुनी करता रहा
रूस ने हाल के वर्षों में भारतीय नागरिकों को अपनी सेना में भर्ती करने के बारे में कई बार चर्चा की है, खासकर 2022 के बाद जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू किया था। हालांकि, भारतीय नागरिकों को रूस की सेना में भर्ती करने की खबरें सामने आई थीं, लेकिन इस बारे में आधिकारिक और प्रमाणित आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि भारतीय नागरिकों को रूस की सेना में भर्ती करने को लेकर भारतीय सरकार और रूस दोनों ही संवेदनशील दृष्टिकोण रखते हैं।
रूस और भारतीय नागरिकों का मामला
रूस की सेना ने कथित तौर पर भारतीय नागरिकों को अपने सैन्य बलों में भर्ती करने की कोशिश की है, खासकर उन भारतीयों को जो युद्ध के दौरान भाग लेना चाहते थे। रूस ने अपने सैन्य भर्ती कार्यक्रम के तहत कुछ भारतीयों को आमंत्रित किया था, लेकिन यह संख्या बहुत छोटी रही। रूस ने भारतीय नागरिकों से अपनी सेना में शामिल होने की पेशकश की थी, लेकिन भारतीय नागरिकों के लिए यह एक कानूनी और संविदात्मक चुनौती हो सकती है, क्योंकि भारतीय नागरिकों को विदेशी सेना में शामिल होने की अनुमति नहीं है, जो भारतीय संविधान के खिलाफ है।
रूस के लिए भारत सरकार का रुख
भारत सरकार ने इस विषय पर रूस के सामने स्पष्ट रूप से अपना रुख रखा है कि कोई भी भारतीय नागरिक विदेशी सेना में शामिल नहीं हो सकता। भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों को रूस या किसी अन्य देश की सेना में भर्ती होने से रोकने के लिए कई बार अपनी चिंता व्यक्त की थी।
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय सैनिकों के मरने के आंकड़े
अब तक इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है कि रूस के लिए लड़ते हुए कितने भारतीय सैनिक मारे गए हैं। रूस ने भारतीय नागरिकों को अपनी सेना में भर्ती करने की बात तो की थी, लेकिन अधिकतर भारतीय नागरिक रूस की सेना में शामिल नहीं हुए थे। साथ ही, युद्ध में भारतीय सैनिकों की भागीदारी के बारे में कोई विश्वसनीय आंकड़े नहीं हैं। एक अनुमान के अनुसार यह संख्या लगभग एक दर्जन के आसपास है।