क्या है मामला?
पाकिस्तान के मोबिना टाउन की पुलिस ने 2013 में अबुल हसन इस्पहानी रोड के पास अब्दुल मुगनी नाम के एक भारतीय शख्स को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने अब्दुल पर विदेशी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था। हालांकि अब्दुल ने कोई गुनाह नहीं किया था पर फिर भी उसे जेल में बंद कर दिया गया।
2017 में मिली सज़ा
अब्दुल को पकड़ने के कुछ समय बाद ही उसे वापस भारत भेजने के आदेश दे दिए गए थे, पर ऐसा किया नहीं गया। फिर पाकिस्तान की ही एक सत्र अदालत ने 2017 में अब्दुल को 6 महीने की सज़ा सुनाई थी। लेकिन तब तक अब्दुल 4 साल की सज़ा काट चुका था। ऐसे में अब्दुल को बिना किसी वजह के 11 साल जेल में बिताने पड़े हैं।
हाईकोर्ट में लगाई याचिका
अब्दुल ने अपनी सज़ा के खिलाफ सिंध हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। सिंध हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पता चला कि अब्दुल एक भारतीय नागरिक है पर पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रयासों की कमी के कारण उसकी भारतीय होने के पहले पुष्टि हो ही नहीं पाई।
हाईकोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार
अब्दुल की याचिका पर सिंध हाईकोर्ट भी में यह साबित हो गया है कि अब्दुल एक भारतीय नागरिक है। ऐसे में सिंध हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी सरकार के गृह मंत्रालय को फटकार लगाई है और सवाल किया है कि अब्दुल को बिना किसी वजह से 11 साल जेल में बंद क्यों रखा गया और इतने साल से गृह मंत्रालय क्या कर रहा था कि अब्दुल को न्याय नहीं मिल पाया। इतना ही नहीं, सिंध हाईकोर्ट ने जल्द से जल्द गृह मंत्रालय को इस मामले से संबंधित सभी तथ्यों की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी की नियुक्ति करने, उसकी निगरानी में सारी कार्रवाई पूरी करने और अब्दुल को रिहा करने और भारत निर्वासित करने का आदेश दिया है।