कोरोना महामारी का कहर अब भी जारी है। दुनियाभर में रोज हजारों लोग इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं, जबकि सैंकड़ों लोगों की मौत हो रही है। हालांकि, कोरोना से जंग में बचाव और सुरक्षा के साथ-साथ वैक्सीन ने काफी अहम भूमिका निभाई है। इसमें अब तक फाइजर की वैक्सीन सबसे ज्यादा प्रभावी साबित हुई है।
दुनिया की इस सबसे प्रभावी वैक्सीन की प्रभावशीलता को लेकर एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। दरअसल, फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता में छह माह बाद बड़ी कमी देखी गई है। एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फाइजर की दोनों खुराक लेने के बाद जो टीका संक्रमण रोकने में 88 प्रतिशत प्रभावी था, वह छह महीने बाद घटकर 47 प्रतिशत हो गया है। यानी दुनिया की सबसे प्रभावशाली वैक्सीन का असर छह महीने में ही 41 प्रतिशत तक घट गया।
यह भी पढ़ें
-तालिबान ने हाजरा समुदाय के 13 लोगों को दी खौफनाक मौत, ज्यादातर युवक अफगान सेना में तैनात थे
यह रिसर्च लांसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल में भर्ती होने और संक्रमण से होने वाली मौतों को रोकने में वैक्सीन की प्रभावशीलता छह महीने तक 90% के उच्च स्तर पर रही। यह कोरोना के अब तक के सबसे खतरनाक और संक्रामक रहे डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी था। रिसर्च टीम ने दावा किया है कि आंकड़ों से पता चलता है कि यह गिरावट अधिक संक्रामक वेरिएंट के बजाय प्रभावोत्पादकता कम होने के कारण है। बता दें कि फाइजर और कैसर पर्मानेंट ने दिसंबर 2020 से अगस्त 2021 के बीच कैसर पर्मानेंट सदर्न कैलिफोर्निया के लगभग 34 लाख लोगों के हेल्थ रिकॉर्ड्स की जांच की। इस अध्ययन को लेकर फाइजर वैक्सीन में चीफ मेडिकल ऑफिसर और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट लुई जोडार ने कहा कि वेरिएंट स्पेसिफिक एनालिसिस बताता है कि फाइजर वैक्सीन कोरोना के डेल्टा समेत सभी चिंताजनक वेरिंएट के खिलाफ प्रभावी है।
यह भी पढ़ें
-ताइवान की सीमा में चीन उड़ा रहा लड़ाकू विमान, अमरीका ने दी ड्रैगन को चेतावनी
रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि फाइजर का टीका लगवाने के एक महीने बाद डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ यह 93 फीसदी प्रभावी थी। लेकिन चार महीने बाद यह घटकर 53 फीसदी हो गई, जबकि अन्य वेरिएंट के मुकाबले प्रभावशीलता 97 फीसदी से घटकर 67 फीसदी हो गई। कैसर पर्मानेंट दक्षिणी कैलिफोर्निया के अनुसंधान और मूल्यांकन विभाग के साथ शोध के प्रमुख लेखक सारा टार्टोफ कहते हैं कि इससे यह पता चलता है कि डेल्टा ऐसा वेरिएंट नहीं है जो वैक्सीन को चकमा दे सके। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता तो शायद हमें टीकाकरण के बाद उच्च सुरक्षा नहीं मिलती। क्योंकि उस स्थिति में टीकाकरण काम नहीं कर रहा होता।अमरीकी स्वास्थ्य एजेंसियां मेडिकल जर्नल में प्रकाशित डाटा का अध्ययन कर कोरोना टीके के बूस्टर शॉट पर फैसला करेंगी। हालांकि, अमरीकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने वयस्कों और उच्च जोखिम वाले अमेरिकियों के लिए फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन की बूस्टर खुराक के उपयोग को मंजूरी दी है। जबकि सभी लोगों को बूस्टर शॉट देने के लिए वैज्ञानिकों ने और अधिक डेटा की मांग की है।