IMEC Corridor: इज़रायल और हमास के बीच शांतिवार्ता सफल होने से सबसे बड़ा फायदा भारत को मिला है। जी हां, अब भारत की सीधी पहुंच मिडिल ईस्ट (Middle East) से होकर यूरोप तक होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस युद्धविराम का (Israel Hamas Ceasefire) ऐलान करते हुए ये भी कहा था कि गाजा पट्टी में इस युद्ध समझौते के साथ भारत से मध्य पूर्व के जरिए यूरोप (Europe) तक फैला IMEC कॉरिडोर अब एक वास्तविकता बन सकता है। आखिर ये IMEC कॉरिडोर क्या है और भारत को कैसे इससे फायदा मिलने का दावा किया जा रहा है, ये हम आपको बता रहे हैं।
क्या है IMEC कॉरिडोर?
दरअसल इस IMEC यानी भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (India Middle East Europe Economic Corridor) को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इससे वन बेल्ट एंड वन रोड (OROB) पर चीन के एकाधिकार को कम किया जा सकता है। इस कॉरिडोर पर 9 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में 8 देशों – भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और इटली ने सहमति जताई थी, इसके बाद इसे आधिकारिक तौर पर अस्तित्व में लाया गया था।
इस कॉरिडोर का लक्ष्य है रेल, रोड और शिपिंग नेटवर्क के जरिए यूरोप और एशिया के बीच परिवहन और संचार संपर्क को मजबूत से मजबूत बनाना। लेकिन अक्टूबर 2023 में जब इजरायल पर हमास ने हमला कर दिया था और फिर जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने गाज़ा में युद्ध छेड़ दिया, तब से इस परियोजना के काम में रुकावट पैदा हो गई थी।
जो बाइडेन ने कहा अब ये कॉरिडोर बनेगा वास्तविकता
अब इज़रायल हमास युद्ध के अंत के ऐलान के बाद इस कॉरिडोर का काम शुरू होने की संभावना ने भी नई सांस ली है। युद्धविराम के ऐलान के बाद जो बाइडेन (Joe Biden) ने प्रेस कांफ्रेंस कर जब इस बात की जानकारी दी थी, तब उन्होंने IMEC का भी जिक्र किया था और कहा था कि 23 सितंबर को दिल्ली में G-20 में उन्होंने भारत से मध्य-पूर्व होते हुए यूरोप तक एक आर्थिक गलियारे के दृष्टिकोण के पीछे प्रमुख देशों को एकजुट किया था, वो अब वास्तविकता बन सकता है।
भारत के लिए कैसे अहम है ये गलियारा
भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा पर हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक की हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि IMEC एक उदाहरण बता रहा है कि कैसे भारत अपने सामरिक और आर्थिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर बहुपक्षीय पहलों का इस्तेमाल कर रहा है। IMEC पहल भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार मार्गों को नया आकार देने में एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर स्थापित कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का ये एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
इस कॉरिडोर को लेकर भारत ने इज़राइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच वार्ता कराई थी, जो लचीलेपन और जुड़ाव की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कूटनीतिक बदलाव को दिखाता है।
पीएम मोदी ने कहा था ‘गेमचेंजर’
भारत के लिए ये कॉरिडोर (IMEC) कितना अहम है इसका इस बात से ही अंदाजा लग जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने इस कॉरिडोर को एक ‘गेमचेंजर’ बताया था। न्य़ूज एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में PM Modi ने कहा था कि IMEC चीन की सिल्क बेल्ट की तरह एक बड़ा गेम चेंजर होगा।
कैसे काम करेगा IMEC कॉरिडोर?
भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) भारत को बिना किसी रुकावट के मध्य पूर्व होते हुए यूरोप तक पहुंच सकता है। इसका पूर्वी कॉरिडोर भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है तो वहीं उत्तरी हिस्सा यूरोप से। इसे हम चरणों में समझते हैं-
1- IMEC कॉरिडोर की शुरुआत भारत से होगी। भारत के प्रमुख बंदरगाहों जैसे मुंबई, और गुजरात के मुंद्रा, कांडला से सामान और माल मध्य-पूर्व की तरफ जाएगा। 2- भारत से भेजा गया ये माल समुद्री मार्ग के जरिए UAE यानी संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, और दूसरे मध्य-पूर्व देशों में पहुंचेगा। ये पूरा क्षेत्र अहम ट्रांजिट हब के तौर पर काम करेगा और रेल नेटवर्क से जुड़ेगा।
3- भारत का मध्य-पूर्व तक पहुंचा ये माल रेल मार्ग के जरिए यूरोप के प्रमुख देशों जैसे जर्मनी, इटली में पहुंचाया जाएगा। 4- इस रूट का आखिरी स्टेप यूरोपीय बंदरगाहों और रेल नेटवर्क के जरिए यूरोप के कई हिस्सों में सामान पहुंचाने का होगा।
क्या है खासियत?
इस कॉरिडोर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस गलियारे में समुद्री मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग तीनों का ही इस्तेमाल हो रहा है। समुद्री मार्ग का इस्तेमाल भारत से मध्य-पूर्व सामान भेजने में होगा। ये सीधे मिडिल ईस्ट तक भारत की पहुंच को दिखाता है।
वहीं रेल मार्ग का इस्तेमाल मिडिल ईस्ट से यूरोप तक व्यापार करने में किया जाएगा जो इसका सबसे तेज और कुशल संचालन सुनिश्चित करेगा। सिर्फ इतना ही नहीं सभी देशों के बीच डेटा और इंटरनेट के लिए एक सुरक्षित और तेज नेटवर्क स्थापित किया जाएगा जो वैश्विक डिजिटल कनेक्टिविटी का एक बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत करेगा। इससे भारत से दूसरे देशों में सुरक्षित व्यापार भी हो सकेगा।
ये रूट भारत और यूरोप के बीच व्यापार को तेज और सस्ता बनाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य यूरोप से व्यापार को बढ़ावा देना तो है ही साथ ही बेल्ट एंड रोड का विकल्प बनकर क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक कनेक्टिविटी को भी प्रोत्साहित करना भी है।