उन देशों में अधिक सुधार, जहां जीवन काल कम
‘द लैंसेट’ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि उन देशों में सुधार सबसे अधिक होने की उम्मीद है, जहां जीवन प्रत्याशा कम है। इससे सभी भौगोलिक क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा में समग्र वृद्धि देखने को मिलेगी। अध्ययन में कहा गया है कि हृदय रोगों, कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों, जच्चा-बच्चा तथा पोषण संबंधी बीमारियों से बचाव संबंधी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय जीवित रहने की दर में सुधार करने वाले कारक हैं। इनसे बड़े पैमाने पर विश्व स्तर पर जीवन प्रत्याशा में वृद्धि दिखेगी।
जीवन प्रत्याशा में कम हो जाएगी असमानता
अमरीका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय के ‘इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्यूएशन’ (आइएचएमइ) के निदेशक क्रिस मुरे ने कहा कि हमने पाया है कि समग्र रूप से जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के साथ ही विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा में असमानता कम हो जाएगी।’ यह एक संकेतक है कि उच्चतम और निम्नतम आय वाले क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य असमानताएं बनी रहेंगी, लेकिन अंतर कम हो रहा है। उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र में अधिक सुधार की उम्मीद है। शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया भर में स्वस्थ जीवन प्रत्याशा आने वाले साल में 2.6 वर्ष बढ़ जाएगी।
2050 में औसत जीवन काल होगा 67.4 वर्ष
शोधकर्ताओं ने कहा कि 2022 में जीवन प्रत्याशा का आंकड़ा जहां 64.8 वर्ष था, वहीं 2050 में बढ़कर यह 67.4 वर्ष हो जाएगी। अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2050 तक पुरुषों की जीवन प्रत्याशा औसतन 75 वर्ष से अधिक तथा महिलाओं के लिए यह लगभग 80 वर्ष हो सकती है। हालाँकि, भारत में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ‘स्वस्थ जीवन प्रत्याशा’ 65 वर्ष से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है।