आम आदमी की नजर से देखें तो यह बदलाव भयावह है। पेजर विस्फोट के बाद अब युद्ध हमारे घर तक आ गया है। भूमंडलीकरण में विकसित सप्लाई चैन अब बम विस्फोटकों को हमारे घर तक ले आई है। यह अहसास डरावना है। इसका असर दिखना शुरू हो गया है। दुबई स्थित एयरलाइन एमिरेट्स ने लेबनान में पेजर विस्फोट के जरिए हुए जानलेवा हमलों के बाद अपने सभी विमानों में पेजर और वॉकी-टॉकी ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। वेबसाइट पर जारी एक बयान में एमिरेट्स ने कहा कि ‘यात्रियों के हैंड बैगेज या चेक किए गए बैगेज में पाई गई ऐसी वस्तुओं को दुबई पुलिस द्वारा जब्त कर लिया जाएगा।’
सप्लाई चैन असुरक्षित यानी खतरे की जद में हर आदमी
सुरक्षा विशेषज्ञों को सबसे ज्यादा यही चीज परेशान कर रही है। इस हमले को अंजाम देने में जटिल अंतरराष्ट्रीय सप्लाई-चैन का इस्तेमाल किया गया, जिस पर आज भारत और अमरीका समेत दुनिया का हर देश निर्भर है। रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले हजारों इलेक्ट्रानिक्स उपकरण जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, बैटरी, कार, सोलर उपकरण, रेफ्रिजेटर का निर्माण भूमंडलीकरण में विकसित हुई जटिल अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चैन पर निर्भर है, जिस पर किसी एक देश का नियंत्रण नहीं है। इस सप्लाई चैन की किसी भी कड़ी या हिस्से में समझौता कर मामूली गड़बड़ी भी बड़े खतरे को निमंत्रण दे सकती है। इस सप्लाई चैन का असुरक्षित होना – मतलब हम सब असुरक्षित हैं।ऐरोप्लेन से लेकर सुरक्षित मीटिंग स्थल में डर का साया
जरूरी नहीं कि इसका इस्तेमाल सरकारों द्वारा किया जाए। कोई जरूरी नहीं कि इसका निशाना आतंकी हों, बल्कि आतंकी भी किसी हद का इस तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं। जाने-अनजाने कोई भी, कहीं भी (ऐरोप्लेन से लेकर बेहद सुरक्षित मीटिंग हाल) इसका निशाना हो सकता है। अगर सटीकता से टारगेट करने में सफलता मिली तो, छोटा सा विस्फोट भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।इजरायल ने कैसे दिया अंजाम
भारत सरकार में साइबर सुरक्षा सेल में निदेशक रह चुके आलोक विजयंत के अनुसार, इजरायल (Israel) की रणनीति दोहरी रही। प्रथम – हिजबुल्लाह को यह डर दिखाया गया कि दुश्मन उसकी मोबाइल पर हो रहीं सारी बातें सुन रहा है। इस तरह जब हिजबुल्लाह (Hezbollah) ने पेजर अपनाया तो, एक शैल कंपनी के माध्यम से सप्लाई चैन की एक कड़ी पर कब्जा कर लिया। सप्लाई किए गए पेजर्स में एक माइक्रो चिप और प्लास्टिक एक्प्लोसिव्स (पीईटीएन/टीएटीपी) की छोटी सी मात्रा रख दी गई। इसके बाद इस हमले को रिमोट कंट्रोल के माध्यम से तब अंजाम दिया गया, जबकि इसका इस्तेमाल होने की सबसे अधिक संभावना हो, जिससे दुश्मन का सबसे अधिक नुकसान किया जा सके।पहले ही दिखने लगा है असर, निशाने पर चीन
अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चैन के संदिग्ध हो जाने का असर भारत से लेकर अमरीका और यूरोप तक देखा जा रहा है। फिलहाल दो प्रकार के डर हैं। जासूसी या फिर सैटेलाइट आधारित रिमोट कंट्रोल से डिवाइस को इनएक्टिव करना। आशंकाओं के चलते, सीसीटीवी उपकरणों की सप्लाई चैन से चीन (China) कंपनियों को हटाने का फैसला भारत सरकार ले चुकी है और इसी महीने इसकी घोषणा हो सकती है। अमरीका से लेकर यूरोप तक की सरकारें जासूसी की आशंका से चीनी कंपनियों को कई प्रकार के संवेदनशील सप्लाई-चैन से बाहर कर रही हैं।पहले भी सामने आ चुके हैं विस्फोटक उदाहरण
1. अमेरिकी ऊर्जा विभाग की इडाहो स्थित नेशनल लैब्ररोटरी में यह प्रमाणित किया जा चुका है कि साइबर अटैक के जरिए इंटरनेट से कनेक्टिड हाई वोल्टेज जनरेटर में विस्फोट को अंजाम दिया जा सकता है। 2. विकीलीक्स के अनुसार, 2010 में अमरीका और इजरायल ने कंप्यूटर वायरस के जरिए ईरान के एक परमाणु केंद्र का सेंट्रीफ्यूज उड़ा दिया था। 3. मीडिया रिपोर्ट में स्नोडन दस्तावेजों के हवाले से कहा गया है कि अमरीका ने सिस्को कंपनी के टेलीकम्यूनिकेशन डिवाइस को मोडिफाइड कर सीरिया में सप्लाई किए थे, जिससे संबंधित पक्षों की जासूसी की जा सके।