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Explainer: अमेरिका में भारतीयों की नागरिकता पर आया कितना बड़ा खतरा? पांच सवालों के जवाब से समझिए

US birthright citizenship: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोमवार को शपथ लेने के ठीक बाद ताबडतोड़ कई कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए।ी ट्रंप के इन फैसलों का विरोध भी शुरू हो गया है। बर्थ राइट सिटीजनशिप के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

नई दिल्लीJan 22, 2025 / 09:15 am

Shaitan Prajapat

Citizenship of Indians in America: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोमवार को शपथ लेने के ठीक बाद ताबडतोड़ कई कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इनमें जन्मसिद्ध अमेरिका नागरिकता (बर्थ राइट सिटीजनशिप) समाप्त करना भी शामिल है। यह आदेश सुनिश्चित करेगा कि विदेशी पासपोर्ट धारकों के बच्चों को अब अमेरिका नागरिक नहीं माना जाएगा। इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो अमरीका में एच1बी वीजा लेकर कानूनी रूप से रह रहे हैं और लंबे समय से ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे हैं, जैसे स्टूडेंट और वर्क वीजा पर रहने वाले लोग। ऐसे लोगों में भारतवंशियों की संख्या 10 लाख हो सकती है, जिनपर इस फैसले का असर पड़ सकता है। ट्रंप के इन फैसलों का विरोध भी शुरू हो गया है। बर्थ राइट सिटीजनशिप के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। माना जा रहा है कि ट्रंप को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त, अवैध तरीके से अमरीका में दाखिल होने वाले लोगों को डिपोर्ट करने के लिए भी कड़े कदम उठाए गए हैं। एक अनुमान है कि इससे करीब सात लाख अवैध अप्रवासी भारतीयों के समक्ष भी निकाले जाने का खतरा पैदा हो गया है। हालांकि, एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि भारत सरकार अमरीका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को बुलाने पर सहमत हो गई है। यह भी दावा किया गया कि दोनों देशों की सरकारों ने अबतक करीब 18 हजार ऐसे भारतीयों की पहचान भी कर ली है जिन्हें संयुक्त प्रयास से वापस बुलाया जाएगा। हालांकि भारत सरकार की तरफ से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है और न ही आधिकारिक तौर पर इस बयान की पुष्टि की गई है।
इसके अतिरिक्त, ट्रंप ने 6 जनवरी 2021 में कैपिटल हिल हमले के दोषी 1500 से अधिक समर्थकों को माफी दे दी। ये हमले पिछले चुनाव में ट्रंप की हार के बाद उनके समर्थकों ने किए थे। इनमें दोषियों को अधिकतम 22 साल तक की सजा हुई थी। नवनियुक्त राष्ट्रपति के आदेशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और पेरिस जलवायु समझौते से बाहर आना शामिल हैं। इन फैसलों का भारत सहित दुनिया पर व्यापक असर होने की आशंका जताई जा रही है। इसकी प्रतिक्रिया में नागरिकों के संगठनों ने अदालत का दरवाजा भी खटखटा दिया है।
ट्रंप ने संघीय एजेंसियों को आदेश दिया कि उन बच्चों के जन्म आधारित नागरिकता को स्वीकार न करें, जिनके माता-पिता अवैध आप्रवासी हैं या जो अस्थाई वीजा पर अमरीका में रह रहे हैं। आदेश के अनुपालन के लिए एजेंसियों को 30 दिन का समय दिया गया है। हालांकि इस मामले में कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जन्म आधारित नागरिकता लंबे समय से अमेरिका संविधान के 14वें संशोधन की व्याख्या रही है। ट्रंप के नए कदम को इस व्याख्या को खत्म करने की पहल के रूप में देखा जा रहा है।

जन्मसिद्ध नागरिकता क्या है?

-जन्मसिद्ध नागरिकता वह कानूनी सिद्धांत है जिसके अनुसार बच्चे उस देश की नागरिकता प्राप्त करते हैं जिसमें उनका जन्म हुआ है, भले ही उनके माता-पिता की राष्ट्रीयता या इमिग्रेशन स्टेट्स कुछ भी हो।
-अमेरिका संविधान में 14वें संशोधन की व्याख्या के बाद अमरीका की धरती पर पैदा हुए लगभग सभी बच्चों को नागरिक माना जाने लगा। यह नियम 1868 में गृह युद्ध के बाद अपनाया गया था।
-ट्रंप के आदेश से अमरीका में जन्मे ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता में से कम से कम एक नागरिक या वैध निवासी नहीं हो, अब अमेरिका नागरिकता नहीं मिलेगी। आदेश की पालना के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।
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भारत में भी है ऐसा कानून

भारतीय कानून के अनुसार, देश की धरती में जन्मे व्यक्ति को स्वतः नागरिकता मिल जाती है, बशर्ते उसके माता-पिता में कोई एक भारत का नागरिक हो और दूसरा अवैध रूप से आया हुआ न हो। अमरीका की ही तरह भारत में भी विदेशी घुसपैठ एक बडा मुद्दा है।

क्या यह तुरंत लागू होगा?

-ट्रंप का कार्यकारी आदेश 20 फरवरी तक प्रभावी होने वाला है, लेकिन इसके लिए कई कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। जन्मसिद्ध नागरिकता संविधान समर्थित है। कई कानूनी विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसे सिर्फ कार्यकारी आदेश से ही नहीं बदला जा सकता।
-इस आदेश ने कई समाज के कई हिस्सों में आक्रोश पैदा किया है। कई प्रभावशाली लोग इस फैसले के खिलाफ हैं। अप्रवासी और नागरिक अधिकार संगठन – जिसमें अमेरिका सिविल लिबर्टीज यूनियन भी शामिल हैं – ने सोमवार को इस आदेश के खिलाफ़ मुकदमा दायर किया।

भारतीयों पर कैसे पड़ेगा असर

-ताजा जनगणना के अनुसार, अमरीका में 54 लाख से अधिक भारतीय हैं, जो अमेरिका आबादी का लगभग 1.47 फीसदी हैं। इनमें दो-तिहाई अप्रवासी हैं, जबकि 34% अमरीका में जन्मे हैं।
-यदि ट्रंप के कदम को लागू किया जाता है, तो अस्थायी वर्क वीजा या टूरिस्ट वीजा पर अमरीका में रहने वाले भारतीय नागरिकों के बच्चों को अब स्वतः नागरिकता नहीं मिलेगी।
-एक अनुमान है कि इस फैसले का असर उन 10 लाख भारतीयों पर असर पड़ेगा जो लंबे समय से ग्रीन कार्ड के लिए कतार में हैं जिनकी मां वैध रूप से लेकिन अस्थायी तौर पर अमरीका में हैं।
-कार्यकारी आदेश का उद्देश्य देश में बर्थ टूरिज्म के ट्रेंड को समाप्त करना भी है। बर्थ टूरिज्म एक ऐसे ट्रेंड को कहते हैं जिसमें कोई महिला बच्चे को जन्म देने के लिए ही अमरीका की यात्रा करती है।
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मस्क की ‘नाजी सलामी’ पर नया विवाद

दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपति एलन मस्क ने डॉनल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के बाद एक कार्यक्रम के दौरान एडॉल्फ हिटलर की ‘नाजी सलामी’ से मिलती-जुलती भंगिमा बना कर नया विवाद खड़ा कर दिया। समारोह में जब उनकी सराहना की जा रही थी, ट्रंप ने कहा- ‘माइ हर्ट गोज टू यू’। ऐसा कहते हुए उन्होंने खास पोज बनाया। इसके बाद मस्क को हिटलर समर्थक बताकर सोशल मीडिया पर आलोचना होने लगी। इस पर मस्क ने कहा कि ‘हर कोई हिटलर है- वाला हमला अब काफी थकाऊ हो गया है।’
दरअसल, नाजी सलामी का यह प्रतीक कभी रोमन सलामी के रूप मेंं प्रसिद्ध रहा है। रोमन साम्राज्य में इसे सम्मान और वफादारी के प्रतीक के रूप से देखा जाता था। लेकिन हिटलर की नाजी पार्टी के अपनाने के बाद इसका अर्थ बदल गया और इसे नफरती और उन्मादी होने के प्रतीक माना जाने लगा। जर्मनी सहित कई देशों में नाजी सलामी पर प्रतिबंध है और इसके लिए छह माह से लेकर कई साल तक की सजा के प्रावधान हैं।

कानूनी चुनौतियों का करना पड़ेगा सामना

हालांकि ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, लेकिन इसे तत्काल कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा और अदालतों द्वारा इसे खारिज किए जाने की संभावना है। संविधान के प्रावधानों में बदलाव के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होती है और यह प्रक्रिया लंबी, चुनौतीपूर्ण और कठिन होती है।

संघीय अदालत में मुकदमा दायर

रॉयटर्स के मुताबिक, कोलंबिया जिले और सैन फ्रांसिस्को शहर के साथ 18 डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले राज्यों के गठबंधन ने मंगलवार को बोस्टन में संघीय अदालत में एक मुकदमा दायर किया, जिसमें तर्क दिया गया कि रिपब्लिकन राष्ट्रपति का जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने का प्रयास अमेरिकी संविधान का एक स्पष्ट उल्लंघन है। यह मुकदमा अमेरिकी नागरिक स्वतंत्रता संघ, अप्रवासी संगठनों और एक गर्भवती मां द्वारा ट्रंप द्वारा कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद दायर किए गए इसी तरह के दो मामलों के बाद आया, जो सोमवार को उनके पदभार ग्रहण करने के बाद से उनके एजेंडे के कुछ हिस्सों को चुनौती देने वाला पहला बड़ा मुकदमा था।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर

इस तरह के कदम से कई भारतीय पेशेवर, छात्र और परिवार अमेरिका में अवसर तलाशने से हतोत्साहित होंगे और इसके बजाय कनाडा या ऑस्ट्रेलिया जैसे अधिक आव्रजन-अनुकूल देशों का विकल्प चुनेंगे। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि भारतीय समुदाय तकनीकी उद्योग, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

माता-पिता को अमेरिका लाने के लिए नहीं कर सकते याचिका दायर

अमेरिका में जन्मे बच्चे अब 21 वर्ष की आयु के बाद अपने माता-पिता को अमेरिका लाने के लिए याचिका दायर नहीं कर सकते हैं, अगर उन्हें जन्मसिद्ध नागरिकता नहीं मिलती है। यह नीति भारत और मैक्सिको जैसे देशों से जन्म पर्यटन पर भी अंकुश लगाएगी, जो महिलाओं द्वारा विशेष रूप से जन्म देने के लिए अमेरिका की यात्रा करने की प्रथा है, ताकि उनके बच्चे नागरिकता का दावा कर सकें।

ट्रंप ने दिया ये तर्क

ट्रंप ने तर्क दिया है कि अमेरिका में उच्च स्तर के आप्रवासन वाले देशों के नागरिकों ने इस प्रणाली का फायदा उठाया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करना चाहते हैं क्योंकि यह हास्यास्पद है। ऐतिहासिक रूप से अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जन्मसिद्ध नागरिकता को बरकरार रखा है, जिसमें यूनाइटेड स्टेट्स बनाम वोंग किम आर्क (1898) का ऐतिहासिक मामला भी शामिल है, जहां न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि अमेरिका में गैर-नागरिक माता-पिता से पैदा हुआ बच्चा अभी भी अमेरिकी नागरिक है।

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