मुगल हरम को लेकर कई रहस्य आज भी बने हुए हैं, जैसे कि मुगल हरम में रहने वाली महिलाएं इतने गुप्त तरीके से क्यों रहती थीं? क्या कारण है कि मुगल बेटियों का विवाह नहीं करते थे? क्या मुगल हरम का तहखाना हजारों दासियों के खून से सना पड़ा है? इसी तरह के कई सवाल आज भी अपने जवाबों को भटक रहे हैं। हम आपको यहां इसी तरह के कुछ रहस्यों के बारे में बता रहे हैं।
हरम में रहने वाली बेटियों की शादी नहीं करते थे मुगल बादशाह
मुगलों के सबसे महान और प्रसिद्ध शासक थे अकबर (Akbar)। इटली के लेखक मनूची की किताब ‘मुगल इंडिया’ के मुताबिक मुगलों के सभी शासकों ने अपने शासन के दौरान हरम बनवाए थे। इन जिन्हें मुगल हरम (Mughal Harem) कहा गया था। इन मुगल हरम में शासकों और उनके मंत्रियों की पत्नियां रहा करती थीं। किताब के मुताबिक सभी मुगल शासक शराब नहीं पीते थे। सिर्फ जहांगीर को शराब पीने की आदत थी और वो शराब और अफ़ीम का आदी था। वहीं मुगल शासक उत्तराधिकार के युद्ध से बचने के लिए अपनी बेटियों की शादी नहीं करते थे।
मुगल हरम मे तहखाना
हर मुगल हरम में एक तहखाना होता है। इसे लेकर कई इतिहासकारों में मतभेद हैं। दरअसल कुछ इतिहासर लिखते हैं कि इन तहखानों में आक्रमण के वक्त बाहर निकलने का रास्ता बनाया गया था। तो कुछ का कहना है कि रास्ते की आड़ में यहां पर कई लोगों को फांसी दी जाती थी या फिर उन्हें यहां बनी काल कोठरी में रखा जाता था। जिन्हें बादशाह सज़ा देते थे। इनमें कई महिलाएं भी होती थीँ।
हरम में बने सीक्रेट दरवाज़े
आगरा और फतेहपुर सीकरी के किलों में बने मुगल हरम के सीक्रेट दरवाजों का भी जिक्र है। वैसे तो कहा जाता है कि इन दरवाज़ों के पीछे हरम से बाहर निकलने का सीक्रेट रास्ता होता था। लेकिन इस तथ्य पर सभी इतिहासकार एकमत नहीं है। कई इतिहासकारों का मानना है कि इन दरवाज़ों के पीछे कई लोगों की लाशें हैं, इन दरवाजों को खोलने की परमिशन सिर्फ चुनिंदा लोगों की होती थी।
हरम के कुएं
मुगल हरम के कुएं भी बड़े रहस्यमयी हैं। दरअसल इन कुओं के बार में कहा जाता है कि बादशाह जिन दासियों चाहे वो महिला हों या किन्नर हों, उनके खिलाफ कोई अपराध सिद्ध हो जाता है तो उसे इन कुओं में फेंककर मार दिया जाता है। वहीं कुछ इतिहासकार इसे झूठा बताते हैं और कहते हैं इन कुओं का सिर्फ पानी के लिए ही इस्तेमाल होता था।
आगरा के किले और फतेहपुर सीकरी में है मुगल हरम
जो मुगल हरम रहस्यों से भरे पड़े हैं उन्हें आप आगरा के किले और फतेहपुर सीकरी में देख सकते हैं। कुछ समकालीन इतिहासकारों ने अपनी किताबों में लिखा है कि अकबर के हरम में 5000 संरक्षक थे जो बिल्कुल अस्पष्ट है। क्योंकि किले के अंदर के महलों में इतनी बड़ी संख्या में लोग नहीं रह सकते। जाहिर तौर पर संख्या ज्यादा थी लेकिन इस पैमाने तक नहीं और वहां सभी महिलाएं सुरक्षित नहीं थीं। बल्कि इस संख्या में संबंधित महलों के सभी शाही दास-दासियां शामिल हैं। महिलाओं ने कुछ शाही आउटहाउसों पर भी कब्जा कर लिया, जैसे कि अकबर के मकबरे के आसपास का क्षेत्र जिसे ‘कांच का महल’ कहा जाता है।
हरम में रहने वाली महिलाओं के नकली नाम
हरम में जो महिलाएं रहती थीं उन्हें उनके असली नाम की जगह नकली नाम से पुकारा जाता था। ऐसा इसलिए किया जाता था कि ताकि महल से बाहर किसी भी तरह की कोई जानकारी ना जाए। इतिहासकारों ने ये भी लिखा है कि मुगल हरम में बड़ी-बड़ी साजिशें गढ़ी जाती थीं जहां भारतीय, अफगान, ईरानी, तुरियन, उज़्बेक जैसे कई समूह रहते थे जिनमें सभी महिलाएं होती थीं। इनमें से हर एक को बादशाह से मिलने और उनसे बात करने का मौका मिलता था। ये महिलाएं बादशाह को अपनी सुंदरता, बुद्धि और वफादारी से जीतने की कोशिश करती थीं।
मुगल रसोई
मुगल हरम की रसोई एक शाही रसोई हुआ करती थी। यहां पर बादशाह और कुछ महिलाओं जिन्हें बादशाह से विशेषाधिकार मिले हुए थे उनके लिए भोजन तैयार किया जाता था। कहा जाता है कि इस रसोई में बने भोजन का पहले परीक्षण किया जाता था। क्योंकि हरम में बादशाह के खिलाफ कई षड्यंत्र रचे जाने की भी तथ्य सामने आते थे। इसलिए बादशाह को खाना परोसने से पहले भोजन को ऐसे चीनी मिट्टी के बर्तनों में परोसा जाता था जो ज़हर के संपर्क में आते ही फट जाते थे या रंग बदल लेते थे। इसके बाद इस भोजन को रसोई का मुख्य रसोईया चखता था।
मुगल हरम में किन्नर क्या करते थे
मुगल हरम में किन्नरों की भूमिका भी काफी रही है। ‘मुगल इंडिया’ किताब के मुताबिक मुगल हरम में बेगमों और शहज़ादियों की सेवा के लिए महिलाओं से ज्यादा किन्नरों को रखा जाता था। ये किन्नर अपनी बेगमों और राजकुमारियों के प्रति बेहद वफादार होते थे। वो इन राजरानियों के मनोरंजन, सुरक्षा, संदेश और सेवा की भूमिका निभाते थे। यहां तक कि वो मार्शल आर्ट भी बहुत अच्छी तरह जानते थे।