कई हिंदू टीचर नौकरी छोड़ने पर मजबूर
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक 29 अगस्त को छात्रों और बाहरी लोगों ने बरिशाल के बेकरगंज सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल शुक्ला रानी हलदर के कार्यालय पर धावा बोला और इस्तीफा देने की मांग की। कई घंटों तक डराने-धमकाने के बाद हलदर ने सादा कागज पर ‘मैं इस्तीफा देती हूं’ लिखकर नौकरी छोड़ दी। इससे पहले 18 अगस्त को अजीमपुर गवर्नमेंट गल्र्स स्कूल और कॉलेज की करीब 50 छात्राओं ने प्रिंसिपल गीतांजलि बरुआ को घेर लिया। उनसे, सहायक प्रधानाध्यापक गौतम चंद्र पॉल और शारीरिक शिक्षा की शहनाजा अख्तर से इस्तीफा मांगा। बरुआ ने कहा कि उनके कार्यालय पर हमला कर अपमानित किया गया। इसी तरह काजी नजरूल विश्वविद्यालय में लोक प्रशासन और शासन अध्ययन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर शंजय कुमार मुखर्जी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। मुखर्जी से कहा गया कि वह बहुत कमजोर हो गए हैं, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद युनूस ने हिंदुओं को सुरक्षा का आश्वासन दिया था। उनका वादा खोखला साबित हो रहा है।
मजारों और दरगाहों को किया जा रहा ध्वस्त…
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद के समन्वयक साजिब सरकार ने बताया कि देश में अल्पसंख्यकों की हालत खराब होती जा रही है। खास तौर पर हिंदुओं को हमलों, लूटपाट, महिलाओं से बदसलूकी, मंदिरों में तोडफ़ोड़, घरों और व्यवसायों में आगजनी, हत्याओं का सामना करना पड़ा है। बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि वर्तमान सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है। लोगों को प्रताडि़त किया जा रहा है। सूफी मुसलमानों की मजारों और दरगाहों को ध्वस्त किया जा रहा है।