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Hindus in Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं के घर और मंदिर तोड़े, इस्कॉन को बैन करने की उठीं ज़ोरशोर से आवाज़ें

Hindus in Bangladesh: बांग्लादेश हिंसा की आग में झुलस रहा है और हिदुओं पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं। हिंदुओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसके उलट इस्कॉन को बैन करने की मांग उठ रही है।

नई दिल्लीNov 28, 2024 / 01:27 pm

M I Zahir

Bangladesh Hindu Homes fire

Hindus in Bangladesh: बांग्लादेश में बीते 24 घंटों में हिंदुओं के सैकड़ों घरों, प्रतिष्ठानों और मंदिरों को तोड़ डाला गया ( Hindu persecution) है। बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदुओं पर डंडे बरसाए गए हैं, उनके घरों और दुकानों में आग लगाई गई है, जिनके वीडियो वायरल हो रहे हैं। बहन-बेटियों और महिलाओं के साथ अभद्रता की जा रही है, लेकिन इन उपद्रवियों (Communal Violence) को रोकने वाला कोई नहीं है। यह सब सरकार और पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। इधर हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथी संगठन नए सिरे से एकजुट होते हुए दिख रहे हैं।

उन पर भी सख्त कार्रवाई की जा रही

कृष्ण भक्ति के लिए दुनिया भर में चर्चित इस्कॉन (ISKCON) मंदिरों पर हमले किए गए और फिर जब उसके खिलाफ चिन्मय कृष्णदास (Chinmoy Krishnadas) के नेतृत्व में आंदोलन हुआ तो उन पर भी सख्त कार्रवाई की जा रही है। चिन्मय कृष्णदास पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर, उनकी जमानत खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया गया है। अदालत में उनकी पेशी के दौरान बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग जुटे थे। इसी दौरान हिंसा भड़क उठी और एक वकील सैफुल इस्लाम की मौत हो गई थी, जिसके चलते इस्कॉन पर ही बैन लगाने की मांग शुरू हो गई। इसे लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। इतना नहीं, बुधवार को एक बार फिर हिंदुओं और मंदिरों को निशाना बनाया गया, दूसरी और छात्र नेताओं ने उस स्थान पर भी रैली निकाली, जहां सैफुल इस्लाम की हत्या की गई थी।

इस्कॉन मंदिर के उपाध्यक्ष ने पोस्ट किया हमले का वीडियो

इस्कॉन मंदिर कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने भी इसी तरह के एक हमले का एक वीडियो शेयर किया है और उन्होंने लिखा है कि 24 घंटे से हिंदुओं और उनसे जुड़े प्रतीकों पर हमले हो रहे हैं, इसे कौन रोकेगा ?

चिन्मय पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप

बांग्लादेश की नई सरकार में छात्र नेता से मंत्री बने नाहिद इस्लाम ने कहा है कि, चिन्मय कृष्णदास अलग-अलग रैलियों और बैठकों में उकसाऊ भाषण के ज़रिए सांप्रदायिक विभाजन बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। ‘राजद्रोह के मुक़दमे के बावजूद चिन्मय कृष्ण लगातार बैठकें कर रहे थे। उनकी हरकत वैश्विक मीडिया को आकर्षित करने की थी, ताकि वह नई सरकार की नकारात्मक छवि पेश कर सकें। भारतीय मीडिया इस तरह के झूठे प्रॉपेगैंडा को फैलाने में शामिल है।
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