देश की परंपरागत खाद्य प्रणाली से कम होता है नुकसान
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की पारंपरिक कृषि खाद्य प्रणालियों में चीनी, नमक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से बचने के कारण, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय का दो-तिहाई नुकसान कम होता है।सेहत से जुड़े 13 जोखिम कारकों की पहचान
स्वास्थ्य प्रभावों की जांच करते रिपोर्ट में 13 आहार जोखिम कारकों की पहचान की गई है। इनमें साबुत अनाज, फलों और सब्जियों का अपर्याप्त सेवन, अत्यधिक चीनी और सोडियम का सेवन, रेड और प्रसंस्कृत मांस का अधिक सेवन शामिल है जिसमें विभिन्न कृषि खाद्य प्रणालियों में उल्लेखनीय अंतर है।इस तरह से आंकी गई लागत
छिपी हुई (सच्ची) लागतों में सामाजिक लागत भी शामिल है। इसके अंतर्गत कृषि खाद्य श्रमिकों के बीच गरीबी (कृषि और खाद्य प्रणालियों में वितरण संबंधी विफलताओं के कारण उत्पादकता और मजदूरी का कम होना), पर्यावरणीय लागतें जैसे खाद्य और उर्वरक उत्पादन और ऊर्जा उपयोग से संपूर्ण खाद्य श्रृंखला में ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) का उत्सर्जन और प्राथमिक उत्पादन स्तर और सीवरेज से पर नाइट्रोजन उत्सर्जन (वायु में अमोनिया और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन, नाइट्रोजन का लीकेज) ।चीन में सेहत और पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान
भारत में कृषि खाद्य प्रणाली की लागत दुनिया में चीन और अमरीका के बाद तीसरी सबसे अधिक आंकी गई है। चीन में यह नुकसान 1.8 लाख करोड़ डॉलर और अमरीका में 1.4 लाख करोड़ डॉलर आंका गया है।यह भी पढ़ें – 36 साल की महिला ने अब तक 3.50 लाख बच्चों को पिलाया अपना दूध, Breast Milk दान करने का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा