विश्व बैंक ने पीएम मोदी के मिशन लाइफ की भी सराहना की है। साथ ही कहा है कि देश में बढ़ते तापमान को थामने के लिए कूलिंग के क्षेत्र में बड़े बदलाव की जरूरत है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इससे देश में न सिर्फ 37 लाख नए रोजगार के अवसर का रास्ता खुलेगा, बल्कि बढते तापमान को थामने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम करने में मदद भी मिलेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत के कूलिंग के क्षेत्र में जलवायु निवेश के अवसर’ में पाया गया है कि अधिक ऊर्जा कुशल मार्ग में स्थानांतरित करने से अगले दो दशकों में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) में पर्याप्त कमी आ सकती है। भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर अगस्टे तानो कोउमे ने कहा, “भारत की कूलिंग स्ट्रेटजी जीवन और आजीविका को बचाने में मदद कर सकती है, कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकती है और साथ ही साथ भारत को ग्रीन कूलिंग निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर सकती है। इसमें 2040 तक सालाना 300 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने की क्षमता है।”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “भारत हर साल उच्च तापमान का अनुभव कर रहा है। 2030 तक, देश भर में 160-200 मिलियन से अधिक लोग सालाना घातक गर्मी की लहरों के संपर्क में आ सकते हैं। गर्मी के तनाव से संबंधित उत्पादकता में गिरावट के कारण भारत में लगभग 34 मिलियन लोगों को नौकरी के नुकसान का सामना करना पड़ेगा।”
खाद्य सुरक्षा पर, विश्व बैंक ने कहा कि परिवहन के दौरान गर्मी के कारण मौजूदा खाद्य नुकसान सालाना 13 अरब डॉलर के करीब है। विश्व बैंक ने कहा, “2037 तक कूलिंग की मांग मौजूदा स्तर से आठ गुना ज्यादा होने की संभावना है। इसका मतलब है कि हर 15 सेकंड में एक नए एयर-कंडीशनर की मांग होगी, जिससे अगले दो दशकों में वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 435 प्रतिशत की अपेक्षित वृद्धि होगी।”
इसके अलावा उच्च तापमान के कारण परिवहन के दौरान बढ़ते भोजन और दवा की बर्बादी को कम करने के लिए, रिपोर्ट ने कोल्ड चेन वितरण नेटवर्क में अंतराल को ठीक करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्री-कूलिंग और रेफ्रिजेरेटेड परिवहन में निवेश से भोजन की हानि को लगभग 76 प्रतिशत कम करने और कार्बन उत्सर्जन को 16 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिल सकती है।
विश्व बैंक ने भारत को सराहते हुए कहा कि इस चुनौती को स्वीकार करते हुए, भारत पहले से ही लोगों को बढ़ते तापमान के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए नई रणनीतियां लागू कर रहा है। 2019 में, इसने विभिन्न क्षेत्रों में स्थायी कूलिंग उपाय प्रदान करने के लिए इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) लॉन्च किया, जिसमें इमारतों में इनडोर कूलिंग और कोल्ड चेन और कृषि और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में प्रशीतन और यात्री परिवहन में एयर कंडीशनिंग शामिल हैं। इसका मकसद 2037-38 तक कूलिंग की मांग को 25 फीसदी तक कम करना है।
बता दें, भारत का लक्ष्य 2047 तक ओजोन-क्षयकारी हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन और उपयोग को समाप्त करना है, जिसका उपयोग एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर में ठंडक बनाए रखने के लिए किया जाता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट ने हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC) का उपयोग करने वाले उपकरणों की सर्विसिंग, रखरखाव और निपटान में सुधार की सिफारिश की, साथ ही कम ग्लोबल वार्मिंग पदचिह्न के साथ वैकल्पिक विकल्पों में बदलाव किया। यह अगले दो दशकों में प्रशिक्षित तकनीशियनों के लिए 2 मिलियन नौकरियां पैदा कर सकता है और रेफ्रिजरेंट की मांग को लगभग 31 प्रतिशत तक कम कर सकता है।