जर्मनी चुनाव में तीन पार्टियां रेस में हैं। इनमें सीडीयू-सीएसयू के आर्मिन लाशेट, एसपीडी के ओलाफ शॉल्स और ग्रीन पार्टी की अनालेना बेयरबॉक। इनमें से ही कोई अगला जर्मनी का चांसलर बनेगा। फिलहाल वोटों की गिनती में एसपीडी आगे है और ओलाफ शॉल्स का चांसलर बनना तय माना जा रहा है। यदि उन्हें भी बहुमत हासिल नहीं होता है, तो गठबंधन सरकार बनेगी। वहीं, एंजेला मर्केल ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह इस बार चांसलर पद की रेस में नहीं हैं। इसीलिए उन्होंने इस बार चुनाव भी नहीं लड़ा।
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वैसे, भारत समेत सभी देशों की नजर जर्मनी में होने वाले चुनाव पर है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है परिणाम कब तक जारी होंगे, मगर संभवत: इसमें एक या दो दिन लगा सकता है। लेकिन अभी तक वहां आए एग्जिट पोल में एसपीडी की सरकार बनती दिख रही है।
जर्मनी की आबादी करीब 8 करोड़ 30 लाख है। यहां 6 करोड़ चार लाख वोटर हैं। यहां वोटिंग की उम्र भारत की तरह ही 18 वर्ष निर्धारित है। इनमें 3 करोड़ दस लाख महिला वोटर जबकि दो करोड़ 92 लाख पुरूष वोटर हैं। इसमें 28 लाख वोटर ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार मतदान में हिस्सा लिया।
फोब्र्स मैग्जीन ने एंजेला मर्केल को करीब दस साल तक दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिला घोषित किया। जर्मनी एक पीढ़ी ऐसी भी है, जिसने एक महिला नेता के अलावा किसी और को नहीं जाना। एंजेला के प्रमुख कार्यों में जो उल्लेखनीय रहे हैं वह यूरो को बचाए रखना और 2008 की मंदी से बेहतर तरीके से निपटना शामिल था।
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एंजेला मर्केल और उनकी वित्त मंत्री ने वर्ष 2008 में जर्मन नागरिकों को यह भरोसा देने के लिए संबोधित किया कि सरकार बैंकों में जमा उनकी बचत की गारंटी देगी। वहीं, यूरो संकट के दौरान ग्रीस को कर्ज में राहत देने के लिए यूरोपीय संघ से बातचीत की। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2015 में हंगरी में फंसे शरणार्थियों के लिए जर्मनी ने अपनी सीमा बंद नहीं करने का निर्णय लिया।