मुरलीधर, मार्क मैनल और हॉलिस ने प्रचार किया
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मुरलीधर (Murli Dhar) एक प्रमुख भारतीय-आधारित व्यक्तित्व थे जिन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रचार किया और उनके संदेश को अमेरिकी समाज में फैलाया। वहीं एक अमेरिकी व्यक्ति मार्क मैनल (Mark Manley) ने स्वामी विवेकानंद के धर्म और दर्शन का गहरा अध्ययन किया। इसी तरह अल्फ्रेड हॉलिस (Alfred Hallis): एक अन्य प्रमुख व्यक्ति जिन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपनाया और उनका संदेश दुनिया भर में फैलाया।
अमेरिका में वेदांत सोसाइटी और रामकृष्ण मिशन
भंडारी ने कहा कि हम आध्यात्मिक विज्ञान और धार्मिक संगठन (Vedanta Society) नहीं भूल सकते। स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका में वेदांत सोसाइटी की स्थापना की थी। यह संगठन स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रचार करता है और भारतीय धार्मिक दृष्टिकोण को पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत करता है। इसकी में कई शाखाएं अमेरिका हैं, जैसे:
वेदांता सोसाइटी आफ न्यूयॉर्क (Vedanta Society of New York) वेदांता सोसाइटी आफ सदर्न कैलिफॅार्निया लॉस एंजिल्स (Vedanta Society of Southern California (Los Angeles) और वेदांता सोसाइटी आफ बोस्टन ( Vedanta Society of Boston) ने बहुत काम किया है। रामकृष्ण मिशन (Ramakrishna Mission) संगठन स्वामी विवेकानंद के गुरु, रामकृष्ण परमहंस के विचारों का पालन और प्रसार करता है। इसकी शाखाएं अमेरिका में भी हैं, जो विवेकानंद के दृष्टिकोण का प्रचार करती हैं।
विवेकानंद और थियोसॉफिकल सोसाइटी
उन्होंने कहा कि थियोसॉफिकल सोसाइटी The Theosophical Society पर भी स्वामी विवेकानंद पर गहरा प्रभाव था। थियोसॉफिकल सोसाइटी में कुछ सदस्य विवेकानंद की शिक्षाओं से प्रेरित थे और उन्होंने भारतीय दर्शन को अपने अध्यात्मिक सिद्धांतों में शामिल किया था। वहीं सैल्फ रिलेशन फैलोशिप Self-Realization Fellowship संगठन योगी श्री Yukteswar और स्वामी विवेकानंद के आचार्य के सिद्धांतों का पालन करता है और भारतीय योग के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की शिक्षा देता है। इसी तरह विवेकानंद केंद्र The Swami Vivekananda Vedanta Center: यह एक और संगठन है जो स्वामी विवेकानंद के उपदेशों का प्रचार करता है और वेदांत दर्शन की शिक्षाओं को अमेरिकी समाज में फैलाता है।
विवेकानंद, इमर्सन और थोरियू
भंडारी ने कहा कि एक प्रमुख अमेरिकी दार्शनिक और कवि राल्फ वाल्डो इमर्सन (Ralph Waldo Emerson) ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को बहुत पसंद किया और भारतीय धार्मिकता के प्रति एक गहरी श्रद्धा रखी। वे विवेकानंद से प्रभावित थे। हेनरी डेविड थोरियू (Henry David Thoreau): थोरियू ने भी भारतीय दर्शन और आत्म-निर्भरता के सिद्धांतों को प्रेरक माना, जो स्वामी विवेकानंद के विचारों से मेल खाते थे। इन सबके सबब स्वामी विवेकानंद का संदेश आज भी अमेरिका में जीवित है, और उनके विचारों ने वहाँ के लोगों को भारतीय दर्शन, योग और आध्यात्मिकता की गहरी समझ दी है।
पूरी दुनिया का दिल जीत लिया था
उन्होंने कहा कि विवेकानंद नके शिकागो सम्मेलन के उस भाषण की शुरुआत “भाइयों और बहनों” शब्दों से हुई थी, जिसने पूरी दुनिया का दिल जीत लिया था। उन्होंने सभी धर्मों की एकता, मानवता के प्रति प्रेम और भारत की अद्वितीय संस्कृति पर जोर दिया था। उन्होंने बताया कि हर इंसान के भीतर अपार शक्ति है, बस उसे पहचानने और सही दिशा में लगाने की जरूरत है। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं से कहा, “उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।” उनके ये शब्द युवाओं को निरंतर प्रयास और धैर्य रखने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने आत्मविश्वास, मेहनत और सकारात्मक सोच पर बल दिया। उनके अनुसार, युवा पीढ़ी अगर अपने चरित्र, ज्ञान और शक्ति का सही उपयोग करे, तो समाज में बड़े बदलाव ला सकती है।
पश्चिमी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मेल खाता है वेदों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
भंडारी ने कहा कि प्रवासी भारतीय परिवारों पर भी विवेकानंद का प्रभाव है। क्यों कि स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं और उनका प्रभाव विदेशों में बहुत व्यापक रहा। उनके विचारों का वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ा, और उन्होंने भारतीय संस्कृति और आदर्शों को पश्चिमी देशों में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने धर्म को केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं माना, बल्कि उसे एक जीवन-दृष्टिकोण के रूप में देखा। वहीं धर्म और विज्ञान के बीच कोई विरोधाभास नहीं माना। उन्होंने यह दिखाया कि भारतीय वेदों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी छिपा हुआ है, जो पश्चिमी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मेल खाता है।