हिन्द की तरफ से ठंडी हवाएं
हदीस के अनुसार पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद साहब ( SAW) फरमाते थे कि मुझे हिन्द की तरफ से ठंडी हवाएं आती हैंं, इसे अल्लामा इक़बाल ने ऐसे अपने शेर में कहा है : मीर ए अरब को आई ठंडी हवा जहां से मेरा वतन वही है मेरा वतन वही है, यूनान ओ मिस्र ओ रोमां सब मिट गए जहां से कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
एक प्रमुख त्यौहार
सऊदी अरब का मक्का शहर अल्लाह और मदीना पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद का घर माना जाता है। दुनिया भर के हाजी जब हज करने जाते हैं तो इन दो शहरों में जाते हैं। ईद मीलाद उन-नबी इस्लाम धर्म के मानने वालों के कई वर्गों में एक प्रमुख त्यौहार है। इस शब्द का मूल मौलिद है जिसका अर्थ अरबी में “जन्म” है। अरबी भाषा में ‘मौलिद-उन-नबी’ का मतलब है। हज़रत मुहम्मद का जन्म दिन है। यह त्यौहार 12 रबी अल-अव्वल को मनाया जाता है। उनकी याद को हिजरी सन से ही मनाते हैं, ईस्वीं सन के अनुसार नहीं मनाते हैं।
सबसे बड़ा जश्न
मीलाद उन नबी संसार का सबसे बड़ा जश्न माना जाता है। भारत के साथ-साथ सभी इस्लामिक देशों में इस दिन पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद का जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को ईद-ए-मीलाद, ईद मीलादुन्नबी या बारा वफात कहा जाता है। मदीना में बनी हुई मस्जिद उनकी यादगार है। उनकी वजह से मदीना को मदीना शरीफ कहा जाता है।इस्लामी कैलेंडर का तीसरा महीना
इसकी वजह यह है कि वे 12 रबी उल अव्वल को दुनिया में आए और 12 तारीख को दुनिया से पर्दा लिया था। इसे ईद ए मीलाद या ईद मीलादुन्नबी ही कहना चाहिए। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार,हिजरी महीने रबी उल अव्वल में 12 तारीख को ईद मीलाद-उन-नबी मनाने की परंपरा है, जो इस साल 16 सितंबर 2024 को पड़ रही है। रबी-उल-अव्वल इस्लामी कैलेंडर का तीसरा महीना है।सऊदी अरब के मदीना मेंं पर्दा लिया
ईद-ए-मीलाद बहुप्रतीक्षित मुस्लिम त्योहारों में से एक है। यह त्योहार मुस्लिम समुदाय के लिए खुशियाँ लेकर आता है। दुनिया भर के मुसलमान पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद को श्रद्धांजलि देते हैं। त्योहार के दिन, वे नए कपड़े पहनेंगे और विशेष नमाज अदा करने के लिए करीब की मस्जिदों में जाएँगे। इतिहासकारोंं के अनुसार पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद का जन्म अरब के रेगिस्तान के शहर मक्का में 8 जून, 570 ई. मेंं हुआ। वहीं 8 जून 632 ई.को सऊदी अरब के मदीना मेंं उन्होंने पर्दा लिया।लोग क्या करते हैंं?
मीलादुन्नबी के आयोजन करने वाले लोग पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद के जन्म और उनकी शिक्षाओं को याद करते हैंं,चर्चा करते हैं और जश्न मनाते हैं। कुछ लोग दोस्तों और परिवार को मीलाद-उन-नबी के ई-कार्ड भेजते हैं। कई सुन्नी मुसलमान इस आयोजन को इस्लामी महीने रबी अल-अव्वल की 12 तारीख को मनाते हैं, जबकि शिया समुदाय के लोग इसे रबी अल-अव्वल की 17 तारीख को मनाते हैं।कई गतिविधियाँ शामिल
रात भर चलने वाली दुआएं मीलाद। बड़ी भीड़ के साथ मार्च और परेड। पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद के प्रतीकात्मक पदचिह्नों पर चप्पल की रस्म। घरों, मस्जिदों और अन्य इमारतों पर और अंदर उत्सव के बैनर और ध्वजारोहण। मस्जिदों और अन्य सामुदायिक इमारतों में सामूहिक भोजन। पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद के जीवन, कर्मों और शिक्षाओं के बारे में कहानियाँ और कविताएँ (नात) सुनने के लिए बैठकेंं। सऊदी अरब के पवित्र शहरों मक्का और मदीना में मस्जिदों की तस्वीरों वाली प्रदर्शनी।