मिस्र के प्राचीन इतिहास के जानकार प्रफेसर क्रिस्चियन लेइट्ज के मुताबिक ‘प्राचीन काल में बर्तन के इन टूटे हुए हिस्सों का इस्तेमाल लिखने के लिए और स्याही से कुछ उकेरने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता था।’
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कैप्सूल खोजने वाली टीम ने बताया कि, ये बर्तन के टूटे हुए हिस्से अथरिबिस शहर में रोजमर्रा के जीवन के बारे में कई महत्वपूर्ण सूचनाएं देते हैं। 80 फीसदी टुकड़ों पर डेमोटिक भाषा में लिखा गया है जो पटोलेमाइक और रोमन काल में प्रशासकीय भाषा थी।
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कैप्सूल खोजने वाली टीम ने बताया कि, ये बर्तन के टूटे हुए हिस्से अथरिबिस शहर में रोजमर्रा के जीवन के बारे में कई महत्वपूर्ण सूचनाएं देते हैं। 80 फीसदी टुकड़ों पर डेमोटिक भाषा में लिखा गया है जो पटोलेमाइक और रोमन काल में प्रशासकीय भाषा थी।
बर्तन के टुकड़े करीब 1700 वर्ष पुराने हैं। यह समय करीब 600 ईसापूर्व का है। कई ऐसे पत्थर मिले हैं जिस पर यूनानी शब्द भी लिखे हैं। कुछ टुकडों पर जहां तस्वीरें बनी हुई हैं, कुछ पर शब्द लिखे हुए हैं।
टीम के मुताबिक इन टुकड़ों पर विभिन्न खानों और अन्य रोजमर्रा के सामानों की लिस्ट बनी हुई है। खास बात यह है कि ज्यादा टुकड़ों पर एक प्राचीन शैली का इस्तेमाल हुआ है। इसमें उनके महीने की लिस्ट, नंबर, गणितीय समस्या, ग्रामर दिखाई दे रहा है।
बता दें कि अथरिबिस एक समय में निचले मिस्र के इलाके की राजधानी हुआ करता था। यह राजधानी काहिरा से 40 किमी दूर नील नदी के पूर्वी किनारे पर है।
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